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भव्य यात्रा का अगला पड़ाव: बाबा बैद्यनाथ धाम

अब तक हम 12 ज्योतिर्लिंगों की यात्रा में कई प्रमुख स्थलों का दर्शन कर चुके हैं, जिनमें शामिल हैं:

• सोमनाथ ज्योतिर्लिंग, गिर, गुजरात

• मल्लीकर्जुन ज्योतिर्लिंग, श्रीशैलम, आंध्र प्रदेश

• महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग, उज्जैन, मध्य प्रदेश

• ओम्कारेश्वर ज्योतिर्लिंग, खंडवा, मध्य प्रदेशअब हमारी यात्रा का अगला पड़ाव है – बाबा बैद्यनाथ धाम, जो झारखंड के देवघर में स्थित है।

यह स्थल हिंदुओं के लिए अत्यंत पवित्र है, क्योंकि यहाँ स्थित ज्योतिर्लिंग को भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में एक माना जाता है। इसके अतिरिक्त, यह स्थल 51 शक्तिपीठों में भी शामिल है, जो देवी सती की दिव्य शक्ति से जुड़े हैं। शिव और शक्ति का यह अद्वितीय संगम बाबा बैद्यनाथ धाम को एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल बनाता है।


ज्योतिर्लिंग: शिव के प्रकाश का प्रतीक

12 ज्योतिर्लिंगों में बाबा बैद्यनाथ का स्थान विशेष है। मान्यता है कि यहाँ का ज्योतिर्लिंग स्वयंभू है और प्राचीन काल से पूजा जाता रहा है। मंदिर परिसर में स्थित ज्योतिर्लिंग एक अंधेरे गर्भगृह में प्रतिष्ठित है। दूर-दराज से भक्त यहाँ आकर प्रार्थना करते हैं, आशीर्वाद प्राप्त करते हैं और आध्यात्मिक ज्ञान की खोज में रहते हैं। इस ज्योतिर्लिंग को औषधि की शक्ति का मालिक माना जाता है, जिससे भगवान शिव को “बैद्यनाथ” का उपनाम मिला है, जिसका अर्थ है “वैद्य (चिकित्सक) का भगवान।”


शक्तिपीठ: दिव्य शक्ति का प्रतीक
बाबा बैद्यनाथ धाम का शक्तिपीठ देवी सती की कथा से जुड़ा है। सती के आत्मदाह के बाद, शिव ने उनके शव को धरती पर भटकते हुए ले जाया। जहाँ-जहाँ सती के शरीर के अंग गिरे, वहाँ शक्तिपीठों का निर्माण हुआ। देवघर में मान्यता है कि सती का हृदय यहाँ गिरा, इसलिए इसे हृदय पीठ या हार्ड पीठ कहा जाता है। यहाँ की शक्तिपीठ जय दुर्गा को समर्पित है, जो देवी पार्वती की एक अवतार हैं।

आध्यात्मिक महत्व की यात्रा

बाबा बैद्यनाथ धाम की यात्रा एक परिवर्तनकारी अनुभव मानी जाती है। भक्तों की एक पवित्र यात्रा होती है, जिसमें वे पास के कस्बे जसिडीह से नंगे पैर चलते हैं, हाथ में गंगा के पवित्र जल से भरा कांवड़ लेकर। यह प्रतीकात्मक क्रिया सती के अवशेषों को भगवान शिव द्वारा ले जाने का प्रतीक है। मंदिर पहुंचने पर, वे विस्तृत अनुष्ठान करते हैं, प्रार्थना करते हैं और दिव्य आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

श्रावणी मेला: विश्वास की भव्य उत्सव

श्रावण महीने में आयोजित श्रावणी मेला, बाबा बैद्यनाथ धाम का सबसे महत्वपूर्ण त्योहार है। लाखों तीर्थयात्री यहाँ एकत्र होते हैं, जिससे मंदिर का वातावरण जीवंत और आध्यात्मिक हो जाता है। कांवड़ यात्रा इस समय अपने चरम पर होती है, जिससे कस्बा भक्तिभाव से भर जाता है।

भारत की आध्यात्मिक धरोहर का प्रतीक

बाबा बैद्यनाथ धाम भारत की समृद्ध आध्यात्मिक धरोहर और इसके लोगों की दृढ़ आस्था का प्रतीक है। शिव और शक्ति का संगम, ज्योतिर्लिंग और शक्तिपीठ, एक पवित्र ऊर्जा उत्पन्न करता है जो दुनियाभर से तीर्थयात्रियों को आकर्षित करता है। मंदिर परिसर, इसकी जटिल वास्तुकला और जीवंत वातावरण के साथ, भारत की आध्यात्मिक परंपराओं की झलक प्रदान करता है। बाबा बैद्यनाथ धाम की यात्रा केवल एक तीर्थयात्रा नहीं है; यह आत्म-खोज और आध्यात्मिक जागरण की यात्रा है।

आगमन की जानकारी:

• हवाई मार्ग: आप कोलकाता या रांची एयरपोर्ट से देवघर पहुंच सकते हैं।

• रेल मार्ग: देवघर, जसिडीह जंक्शन से 6 किमी दूर है।

• सड़क मार्ग: बैद्यनाथ मंदिर देवघर बस स्टैंड से लगभग 3 किमी दूर है।

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