IndoUS Tribune की “यात्रा और दर्शन: वृंदावन मंदिर” श्रृंखला का आठवाँ पड़ाव — इस्कॉन कृष्ण बलराम मंदिर

IndoUS Tribune की “यात्रा और दर्शन: वृंदावन मंदिर” श्रृंखला का आठवाँ पड़ाव — इस्कॉन कृष्ण बलराम मंदिर

प्रारंभिक परिचय IndoUS Tribune की “यात्रा और दर्शन: वृंदावन मंदिर” श्रृंखला में एक बार फिर आपका स्वागत है! जहाँ राधा-कृष्ण की मधुर लीला और भक्ति की गूंज हर क्षण वातावरण को पवित्र बनाती है। हमारी यह आध्यात्मिक यात्रा अब पहुँच चुकी है अपने

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Gita Study – In My Understanding, Chapter 8

Gita Study – In My Understanding, Chapter 8

By: Rajendra KapilAt the beginning of this chapter, once again Arjuna showers Lord Krishna with a series of questions.Even after having received answers to many queries, his curiosity remains so deep that his thirst for knowledge keeps growing.Arjuna asks, “O Keshava, what is

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IndoUS Tribune की “यात्रा और दर्शन: वृंदावन मंदिर” श्रृंखला का सातवां पड़ाव — श्री राधा दामोदर मंदिर के दर्शन

IndoUS Tribune की “यात्रा और दर्शन: वृंदावन मंदिर” श्रृंखला का सातवां पड़ाव — श्री राधा दामोदर मंदिर के दर्शन

IndoUS Tribune की “यात्रा और दर्शन: वृंदावन मंदिर” श्रृंखला में आपका स्वागत है! जहाँ भगवान कृष्ण की बांसुरी की धुन हवा में गूंजती है और हर गली राधा-कृष्ण के प्रेम की कहानियाँ सुनाती है। इस आध्यात्मिक यात्रा के सातवें पड़ाव में, हम आपको

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Devotional singer Lakhbir Singh Lakha visits Hindu Temple of Greater Chicago during US tour

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By: Prachi Jaitly   Legendary devotional singer Lakhbir Singh Lakha recently visited the Hindu Temple of Greater Chicago (HTGC) in Lemont as part of his ongoing U.S. tour. Known for his powerful bhajans and Mata Rani ke bhents, Lakha ji is performing at devotional events

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Devotional legend Lakhbir Singh Lakhalaunches soul-stirring U.S. tour ‘Mela Maiya Da’with electrifying chowkis

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Devotional legend Lakhbir Singh Lakhalaunches soul-stirring U.S. tour ‘Mela Maiya Da’with electrifying chowkis By: Staff Writer, IndoUS Tribune  In a triumphant spiritual celebration, legendary bhajan singer Lakhbir Singh Lakha has launched his highly anticipated 2025 U.S. tour, “Mela Maiya Da,” receiving resounding acclaim and packed venues. Revered worldwide

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गीता स्वाध्याय- मेरी समझ से, आठवाँ अध्याय

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By: Rajendra Kapilइस अध्याय के आरम्भ में एक बार फिर अर्जुन ने भगवान कृष्ण के सामने प्रश्नों की झड़ी लगा दी. बहुत सारी बातों का समाधान मिलने के बाद भी, जिज्ञासा इतनी गहन है कि, और जानने की प्यास लगातार बढ़ती ही जा

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Celebrating the 79th birthday of Jagadguru Dr. Chandrashekhar Shivacharya Mahaswamiji – a light of the Veerashaiva tradition

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By: Richa JhangamOn the sacred soil of Varanasi stands the revered Shri Kashi Gyanpeeth, a spiritual center illuminating not only India but the world with the eternal wisdom of the Veerashaiva tradition. At its helm is His Holiness Jagadguru Dr. Chandrashekhar Shivacharya Mahaswamiji — a towering

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Shreemad Bhagwat Gita – As I understand Chapter Seven: The yoga of renunciation of action

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Ask ChatGPT Gita study – in my understanding, chapter seven Ask ChatGPT By: Rajendra Kapil This chapter begins with Lord Krishna’s discourse on the Yoga of Knowledge and Wisdom (Jnana–Vijnana Yoga). That is why it is often referred to as the essence of

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वृंदावन: छठा पड़ाव – श्री राधा मदन मोहन मंदिर

वृंदावन: छठा पड़ाव – श्री राधा मदन मोहन मंदिर

IndoUS Tribune की “यात्रा और दर्शन: वृंदावन मंदिर” श्रृंखला में आपका स्वागत है! जहाँ भगवान कृष्ण की बांसुरी की धुन हवा में गूंजती है और हर गली राधा-कृष्ण के प्रेम की कहानियाँ सुनाती है। इस आध्यात्मिक यात्रा के पहले पड़ाव में हमने बांके

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गीतास्वाध्याय- मेरी समझ से, सातवां अध्याय

गीतास्वाध्याय- मेरी समझ से, सातवां अध्याय

इस अध्याय का आरम्भ भगवान कृष्ण के ज्ञान विज्ञान योग संबंधित प्रवचन से होता है. इसीलिए इस अध्याय को ज्ञान विज्ञान का मूल मंत्र भी माना जाता है. भगवान कृष्ण अर्जुन को बताते हैं कि, जो ज्ञान मैं तुम्हें देने जा रहा हूँ,

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वृंदावन मंदिर यात्रा का पांचवां पड़ाव – राधा गोविंद के दर्शन

वृंदावन मंदिर यात्रा का पांचवां पड़ाव – राधा गोविंद के दर्शन

IndoUS Tribune की “यात्रा और दर्शन: वृंदावन मंदिर” श्रृंखला में आपका पुनः स्वागत है!जहाँ हर गली-नुक्कड़ भगवान श्रीकृष्ण और राधारानी की मधुर लीलाओं की गवाही देता है, वहीं आज हम आपको ले चल रहे हैं वृंदावन के एक और दिव्य स्थल – राधा गोविंद मंदिर की ओर। यह श्रृंखला, जो बांके बिहारी मंदिर से प्रारंभ हुई थी, अब अपने पाँचवें पड़ाव पर पहुँची है, जहाँ भक्ति, शौर्य और शिल्पकला का अद्वितीय संगम है – राधा गोविंद मंदिर। इतिहास और निर्माण का वैभव राधा गोविंद मंदिर, जिसे गोविंद देव जी मंदिर भी कहा जाता है, वृंदावन के सबसे प्राचीन और भव्य मंदिरों में से एक है।इस मंदिर का निर्माण 1590 ई. में आमेर (जयपुर) के राजा मान सिंह ने करवाया था।इस भव्य मंदिर के निर्माण में लगभग 10 लाख रुपये की लागत आई थी, जो उस काल में एक अत्यंतविशाल राशि मानी जाती थी। इस सात-मंज़िला मंदिर की वास्तुकला में हिंदू, इस्लामी और पश्चिमी शैलियों का अद्भुत संगम देखने को मिलता है। यह मंदिर न केवल आध्यात्मिक रूप से, बल्कि स्थापत्य की दृष्टि से भी एक अनमोल धरोहर है। मुगल काल का विध्वंस और मूर्ति की सुरक्षा 1670 ई. में, मुग़ल शासक औरंगज़ेब ने इस मंदिर को आक्रमण का निशाना बनाया और इसके ऊपरी चार मंज़िलों को नष्ट करवा दिया। लेकिन संकट की इस घड़ी में, श्री गोविंद देव जी की मूल मूर्ति को सुरक्षित रूप से जयपुर पहुँचा दिया गया, जहाँ आज भी वह विधिवत पूजित हैं। वर्तमान में वृंदावन स्थित राधा गोविंद मंदिर केवल तीन मंज़िला संरचना के रूप में खड़ा है, लेकिन इसकी भव्यता और भक्ति की ऊर्जा आज भी उसी प्रकार विद्यमान है। यह मंदिर एक उच्च चबूतरे पर स्थित है, जिससे श्रद्धालुओं को कुछ सीढ़ियाँ चढ़कर पहुँचना होता है। जैसे ही आप मंदिर के प्रांगण में प्रवेश करते हैं, आप महसूस करते हैं मानो समय थम गया हो — वातावरण में राधा-कृष्ण की लीला की मधुर अनुभूति होती है। यहाँ की लाल बलुआ पत्थर से बनी संरचना और उसके भीतर की नक्काशी, गोविंद देव जी की अद्वितीय छवि को दर्शाती है। भक्तगण यहाँ आकर एक गहन आध्यात्मिक शांति का अनुभव करते हैं, जो उन्हें प्रभु के समीप ले जाती है। इस मंदिर के निर्माण की प्रेरणा श्रील रूप गोस्वामी से प्राप्त हुई थी, जो श्री चैतन्य महाप्रभु के प्रमुख अनुयायी थे। उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति पर आधारित वैष्णव परंपरा को पुनः जीवित करने में अहम भूमिका निभाई। दर्शनों का समय (Govind Dev Ji Mandir Timings) राधा गोविंद मंदिर में दर्शन कर IndoUS Tribune की यह पांचवीं कड़ी भी भक्ति और ऐतिहासिक गौरव से परिपूर्ण रही। इस मंदिर की भव्यता, इसकी गाथा और श्री गोविंद देव जी की दिव्यता हर श्रद्धालु के मन को आहलादित कर देती है। हम आशा करते हैं कि इस लेख ने आपको राधा गोविंद मंदिर के अद्भुत इतिहास, वास्तुकला और आध्यात्मिक महत्ता से अवगत कराया होगा। अगली कड़ी में, हम आपको ले चलेंगे वृंदावन के एक और प्राचीन एवं पुण्य स्थल — मदन मोहन मंदिर की ओर, जहाँ श्रीकृष्ण भक्ति की एक और अनूठी छवि देखने को मिलेगी। तब तक के लिए, राधा गोविंद देव जी की कृपा आप पर बनी रहे — जय श्री राधे!

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वृंदावन: चौथा पड़ाव – श्री राधा वल्लभ मंदिर में दर्शन

वृंदावन: चौथा पड़ाव – श्री राधा वल्लभ मंदिर में दर्शन

IndoUS Tribune की आध्यात्मिक श्रृंखला ‘यात्रा और दर्शन: वृंदावन मंदिर’ में आपका हार्दिक स्वागत है। यह श्रृंखला केवल मंदिर दर्शन तक सीमित नहीं है, बल्कि एक गहन यात्रा है — उन लीलाओं, परंपराओं और भक्ति रस की, जो युगों से इस पावन भूमि

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Shreemad Bhagwat Gita – As I understand: Chapter six

Shreemad Bhagwat Gita – As I understand: Chapter six

By: Rajendra Kapil This chapter is known as ‘The Yoga of Self-Control’ (Ātma-Saṃyam Yoga).Self-control is generally found in a renunciate or a true yogi. That is why, in this chapter, Lord Krishna attempts to describe the qualities of a true renunciate to Arjuna. The first and foremost

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वृंदावन मंदिर यात्रा का तीसरा पड़ाव प्रेम मंदिर के दिव्य दर्शन

वृंदावन मंदिर यात्रा का तीसरा पड़ाव प्रेम मंदिर के दिव्य दर्शन

IndoUS Tribune की “यात्रा और दर्शन: वृंदावन मंदिर“ श्रृंखला में आपका पुनः स्वागत है! जहाँ हवाओं में राधे-राधे की पुकार गूंजती है, जहाँ हर वृक्ष, हर कली, हर कुंज गवाही देती है राधा-कृष्ण के अमर प्रेम की—वहीं स्थित है एक ऐसा अद्वितीय मंदिर जो अपने नाम के अनुरूप प्रेम का प्रतीक है – प्रेम मंदिर। बांके बिहारी जी और निधिवन की रहस्यमयी दिव्यता के बाद, हमारा अगला पड़ाव है एक ऐसा मंदिरजो श्रद्धालु के हृदय को भक्ति, सौंदर्य और निर्मल प्रेम से सराबोर कर देता है। प्रेम मंदिर – जहाँ भक्ति और सौंदर्य का मिलन होता है वृंदावन की बाहरी परिधि में स्थित यह मंदिर, जैसे ही दृष्टि के सामने आता है, श्रद्धालु स्तब्ध रह जाता है –संगमरमर की अद्भुत नक्काशी, चमचमाता श्वेत सौंदर्य, और चारों ओर सजे गुलाबों से सुगंधित बगीचे, सब मिलकर मानो स्वर्गिक सौंदर्य की अनुभूति कराते हैं। रात्रि में जब मंदिर रंग–बिरंगी रोशनियों में नहाता है, तब यह दृश्य किसी चित्रकला के दिव्य कैनवास से कम नहीं होता।फव्वारों की लहरों में प्रतिबिंबित होता मंदिर, और राधा-कृष्ण के झूलते झांझर भक्ति की अमिट छाप छोड़ जाते हैं। मंदिर की स्थापत्य कला – एक अनुपम कृति प्रेम मंदिर का निर्माण सफेद इटालियन कैरारा संगमरमर से किया गया है, जिसे कारीगरों ने 12 वर्षों की अथक साधना से आकार दिया।इसकी बेसमेंट 20 फीट गहरी ग्रेनाइट से बनी है, जो इसे सदियों तक स्थायित्व प्रदान करेगी। इस मंदिर की दीवारों पर राधा–कृष्ण की 84 लीलाओं को इतनी बारीकी और जीवंतता से उकेरा गया है कि लगता है जैसे समय वहीं ठहर गया हो —श्रीकृष्ण कालिया नाग पर नृत्य कर रहे हों, गोवर्धन पर्वत उठा रहे हों, या रास लीला में राधा जी संग आनंद में मग्न हों। परिक्रमा पथ में चलते हुए हर झांकी से भक्ति का प्रवाह इतना गहरा होता है कि मनुष्य को अपनी सांसों की गति का भी भान नहीं रहता। प्राकृतिक सौंदर्य और शांति का संगम प्रेम मंदिर का परिसर लगभग 55 एकड़ में फैला हुआ है।चारों ओर हरियाली, गुलाब के फूल, कमल के ताल, और संगीत की धीमी धुनें इस स्थान को किसी स्वप्नलोक में बदल देते हैं। श्रद्धालु मंदिर की सीढ़ियां चढ़ते हुए जैसे-जैसे गर्भगृह के समीप आता है, वह माया, मोह और व्यर्थ के विचारों से स्वतः मुक्त हो जाता है।गर्भगृह में विराजमान श्री राधा गोविंद और श्री सीता राम की मूर्तियाँ इतनी दिव्य हैं कि नेत्रों से अश्रु स्वतः बहने लगते हैं। दीवारों पर अंकित भक्ति के पद और संत परंपरा मंदिर के भीतर की दीवारों पर जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा रचित पद–संकीर्तन अंकित हैं, जो हर हृदय को भीतर तक भिगो देते हैं।यहाँ आठ प्रमुख सखियाँ, पाँच जगद्गुरु, और रासिक संतों की भव्य मूर्तियाँ भी स्थापित हैं, जो भक्ति की परंपरा को मूर्त रूप देती हैं। जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज – प्रेम के अवतार इस मंदिर के संस्थापक, भक्ति–योग–रसावतार, जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज, एक ऐसी दिव्य विभूति हैं जिन्होंने भक्ति मार्ग को सरल, सुलभ और सर्वसुलभ बनाया।वे अंतिम 700 वर्षों में जगद्गुरु की उपाधि पाने वाले एकमात्र संत हैं। उनका सपना था –एक ऐसा मंदिर बनाना, जो भक्ति, दर्शन, और आध्यात्मिक शिक्षा का केंद्र बने।1946 में जब वे युवा थे, तभी उन्होंने यह संकल्प लिया था।और 2001 से 2012 तक, यह सपना रूपांतरित हुआ एक ऐसे मंदिर में जो युगों तक प्रेम की गा  कहता रहेगा। दर्शन समय और जानकारी समापन – भक्ति की निष्कलंक झलक प्रेम मंदिर, IndoUS Tribune की वृंदावन यात्रा का ऐसा पड़ाव है जहाँ सिर्फ दर्शन नहीं, बल्कि आत्मा का साक्षात्कार होता है। यहाँ का हर पत्थर, हर ध्वनि, हर दृश्य भगवान के प्रेम को जीता है। हम आशा करते हैं कि इस यात्रा ने आपको राधा-कृष्ण के निराकार प्रेम से साक्षात्कार कराया होगा। अब समय है अगले पड़ाव की ओर बढ़ने का –हमारी अगली कड़ी में, हम आपको ले चलेंगे राधा वल्लभ मंदिर, जहाँ राधारानी की महिमा अपने चरम पर है। तब तक के लिए —राधे राधे! प्रेम मंदिर की अनुभूति आपके जीवन में प्रेम, सौंदर्य और भक्ति की सरिता बहाती रहे।

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गीता स्वाध्याय- मेरी समझ से,  छटा अध्याय

गीता स्वाध्याय- मेरी समझ से,  छटा अध्याय

By: Rajendra Kapilयह अध्याय ‘आत्म सयंम योग’ के नाम से जाना जाता है.  आत्म संयम साधारणतः एक संन्यासी या योगी में पाया जाता है. इसीलिए इस अध्याय में, प्रभु कृष्ण ने, अर्जुन को एक संन्यासी के लक्षण बताने का प्रयास किया है. संन्यासी

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Japanese Ambassador visits Ayodhya, prays at Ram Janmabhoomi temple

Japanese Ambassador visits Ayodhya, prays at Ram Janmabhoomi temple

Japanese Ambassador to India and Bhutan, Keiichi Ono, visited Ayodhya on Saturday and offered prayers at the Shri Ram Janmabhoomi and Shri Hanuman Garhi temples, highlighting Japan’s growing cultural connection with India. “Witnessed the cultural and spiritual significance at Shri Hanuman Garhi Temple

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Gita study — in my understanding, chapter five: the yoga of renunciation of action

Gita study — in my understanding, chapter five: the yoga of renunciation of action

By: Rajendra Kapil The central message of this chapter is — Karma Sannyasa Yoga. In this chapter, Lord Krishna beautifully and insightfully explains the difference between renunciation of action and performing action without attachment.By now, Arjuna had gained significant insight into the concept

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वृंदावन यात्रा का दूसरा पड़ाव: राधा रमण मंदिर — जहां शालिग्राम बने श्रीकृष्ण

वृंदावन यात्रा का दूसरा पड़ाव: राधा रमण मंदिर — जहां शालिग्राम बने श्रीकृष्ण

IndoUS Tribune की विशेष श्रृंखला “यात्रा और दर्शन: वृंदावन मंदिर” की दूसरी कड़ी में हम चलते हैं वृंदावनके एक दिव्य और चमत्कारिक मंदिर — राधा रमण मंदिर की ओर। यह मंदिर न केवल अपनी अलौकिक मूर्तिऔर जीवंत भक्ति परंपरा के लिए प्रसिद्ध है,

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गीता स्वाध्याय- मेरी समझ से,  पाँचवा अध्याय

गीता स्वाध्याय- मेरी समझ से,  पाँचवा अध्याय

By: Rajendra Kapilइस अध्याय का मूल भाव है, कर्म संन्यास योग. इसमें भगवान कृष्ण ने ‘कर्म संन्यास योग’ को बड़े सुंदर ढंग सेपरिभाषित किया है. अब तक अर्जुन को निष्काम कर्म में बारे में बहुत सारा ज्ञान प्राप्त हो चुका था. एक और

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वृंदावन यात्रा का पहला पड़ावबांके बिहारी मंदिर — राधा-कृष्ण भक्ति का दिव्य केंद्र

वृंदावन यात्रा का पहला पड़ावबांके बिहारी मंदिर — राधा-कृष्ण भक्ति का दिव्य केंद्र

IndoUS Tribune की श्रृंखला ‘यात्रा और दर्शन: वृंदावन के मंदिर’ में आपका स्वागत है। इस पवित्र श्रृंखला की शुरुआत हम वृंदावन के सबसे प्रसिद्ध और आध्यात्मिक मंदिर बांके बिहारी मंदिर से कर रहे हैं — एक ऐसा स्थल जो राधा-कृष्ण भक्ति के असंख्य श्रद्धालुओं के लिए केवल मंदिर नहीं, बल्कि एक जीवंत अनुभव है। इतिहास और महिमा: हरिदास जी की भक्ति से प्रकट हुआ ईश्वर का रूप बांके बिहारी मंदिर की स्थापना स्वामी हरिदास जी ने 1864 में की थी। हरिदास जी स्वयं राधा-कृष्ण के महान उपासक और प्रसिद्ध संगीतज्ञ थे। किंवदंती है कि जब वह वृंदावन के निधिवन में ध्यानपूर्वक भजन गा रहे थे, तब राधा और कृष्ण उनके सामने संयुक्त रूप में प्रकट हुए। स्वामी हरिदास जी ने उनसे आग्रह किया कि वे एक ही मूर्ति के रूप में भक्तों के लिए सदा प्रकट रहें। यही मूर्ति बाद में बांके बिहारी के नाम से प्रसिद्ध हुई। ‘बांके’ का अर्थ होता है टेढ़ा, और ‘बिहारी’ का मतलब है ब्रज में रमण करने वाला। भगवान की इस प्रतिमा की झुकी हुई मुद्रा इस बात की प्रतीक है कि वे प्रेम से अपने भक्तों की ओर आकर्षित हो गए हैं। यह स्वरूप राधा और कृष्ण के मिलन का प्रतिनिधित्व करता है। मंदिर की अनूठी परंपराएँ और दिव्यता बांके बिहारी मंदिर अपने विशेष दर्शन और भक्ति परंपराओं के लिए जाना जाता है: राधा–कृष्ण भक्ति का वैश्विक केंद्र बांके बिहारी मंदिर न केवल उत्तर भारत का, बल्कि पूरे विश्व में राधा–कृष्ण भक्ति का सबसे बड़ा और जीवंत केंद्र बन चुका है।अमेरिका, यूके, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और खाड़ी देशों से हजारों श्रद्धालु यहाँ आकर दर्शन करते हैं।मंदिर के प्रांगण में प्रवेश करते ही भक्तों का मन आत्मिक शांति और प्रेम से भर उठता है। यह मंदिर सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और भावनात्मक ऊर्जा का संगम है, जहाँ संगीत, भजन, सेवा और प्रेम के साथ राधा-कृष्ण की भक्ति जीवंत रूप में प्रकट होती है। त्योहार और विशेष अवसर बांके बिहारी मंदिर में अनेक पर्व अत्यंत धूमधाम से मनाए जाते हैं: त्योहारों के दौरान मंदिर पूरी तरह राधा-कृष्ण के रंगों में रंग जाता है, लेकिन इसी समय अत्यधिक भीड़ और प्रशासनिक अव्यवस्था की भी झलक दिखाई देती है। चुनौतियाँ: भीड़ प्रबंधन और मंदिर प्रशासन बांके बिहारी मंदिर की लोकप्रियता के कारण यहाँ दर्शन के समय भारी भीड़ एक सामान्य दृश्य बन चुकी है। दुर्भाग्यवश, स्थानीय प्रशासन और मंदिर प्रबंधन द्वारा उपयुक्त सुरक्षा एवं व्यवस्था न किए जाने के कारण कई बार भगदड़ जैसी स्थितियाँ उत्पन्न हो जाती हैं। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा मंदिर परिसर में एक कॉरिडोर विकसित करने की योजना भी विवादों में घिरी रही है, जिसमें मंदिर की परंपरा और पुजारियों के अधिकारों को लेकर न्यायालय तक में मामला पहुंचा। कैसे पहुँचें? श्रद्धा और सुधार का संगम आवश्यक बांके बिहारी मंदिर एक आध्यात्मिक तीर्थ है, जो श्रद्धालुओं के मन, हृदय और आत्मा को कृष्ण-प्रेम से जोड़ता है। परंतु इसकी प्रतिष्ठा और दिव्यता को बनाए रखने के लिए प्रशासनिक सुधार, पारदर्शिता और पुजारियों की भूमिका की स्पष्ट परिभाषा आज की आवश्यकता बन चुकी है। IndoUS Tribune की यह श्रृंखला न केवल आपको धार्मिक स्थलों के दर्शन कराती है, बल्कि उन सामाजिक और व्यवस्थागत पहलुओं को भी उजागर करती हैजिन्हें समझना और सुधारना हम सभी की जिम्मेदारी है। अगली कड़ी में हम आपको वृंदावन के एक अन्य महत्वपूर्ण मंदिर की यात्रा पर ले चलेंगे। तब तक के लिए, “राधे राधे”।

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