IndoUS Tribune की हरिद्वार के मंदिरों की यात्रा का नौवां पड़ाव: सप्तऋषि आश्रम – जहां योग, ध्यान और वेदों की ऊर्जा एक साथ प्रवाहित होती है
हरिद्वार, जिसे ‘धर्म द्वार’ कहा जाता है, हिंदू धर्म में एक अत्यंत पवित्र स्थल है। यहाँ के हर मंदिर और घाट अपनी एक विशेषता रखते हैं, जो उन्हें श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र बनाता है। IndoUS Tribune की हरिद्वार के मंदिरों और
दो मार्ग, एक सत्य: श्रीमद्भगवद्गीता और पावन रामायण की शिक्षाएँ
By: Rajendra Kapil भारत की आध्यात्मिक सभ्यता दो अमर ग्रंथों पर आधारित है—श्रीमद्भगवद्गीता और पावन रामायण। यद्यपि ये दोनों अलग-अलग काल, शैली और प्रसंग में रचे गए, फिर भी इनकी आत्मा एक है—कि मनुष्य यदि धर्म, साहस और भक्ति से जीवन जिए, तो
IndoUS Tribune की हरिद्वार के मंदिरों की यात्रा का सातवां पड़ाव: दक्ष महादेव मंदिर – श्रद्धा, बलिदान और क्षमा काप्रतीक
हरिद्वार, जिसे ‘धर्म की द्वार’ कहा गया है, न केवल गंगा मैया के तट पर बसा एक तीर्थ है, बल्कि वह भूमि भी है जहाँ देव-मानव कथाओं ने आकार लिया। IndoUS Tribune की हरिद्वार के मंदिरों और पवित्र स्थलों की आध्यात्मिक यात्रा के
ISKCON Chicago marks Ram Navami with a dramatic Ramayana tribute
By: Jayanti OzaOn April 5, the ISKCON Chicago Temple commemorated Ram Navami, the divine appearance day of Lord Rama, with a vibrant cultural and spiritual celebration attended by over 200 devotees. The evening featured an immersive theatrical and musical presentation, bringing the epic tale
Ram Navami Special: “Pragat Hue Mere Raghurai – Sabko Badhai Ho Badhai!!”
By: Rajendra Kapil On the sacred occasion of Ram Navami, the joy of Shri Ram’s divine birth has reached a peak across the global Sanatan Hindu community. From India to every corner of the world where Ram bhakts reside, preparations are in full swing.
Nine nights of divine energyThe spiritual essence of Chaitra Navratri
By: Dr. Avi VermaChaitra Navratri, an auspicious nine-day festival dedicated to the worship of Goddess Durga, is currently being observed across India and by devotees worldwide. This sacred period, which began on March 30, will conclude on April 7, with Ram Navami being
IndoUS Tribune की हरिद्वार के मंदिरों की यात्रा का सातवाँ पड़ाव: भारत माता मंदिर – देशभक्ति औरआध्यात्मिकता का संगम: भारत माता मंदिर
हरिद्वार, जिसे ‘धर्म द्वार’ कहा जाता है, हिंदू धर्म में एक अत्यंत पवित्र स्थल है। यहाँ के हर मंदिर और घाट अपनीएक विशेषता रखते हैं, जो उन्हें श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र बनाता है। IndoUS Tribune की हरिद्वार केमंदिरों और पवित्र स्थलों
प्रगट हुए मेरे रघुराई- सबको बधाई हो बधाई!!
By: Rajendra Kapilराम नवमी के पुनीत अवसर पर रामजी के जन्म का उत्साह, विश्व के सनातन हिन्दु समाज में, चरम सीमा परहै. हर कोई राम जन्मोत्सव की भरपूर तैयारी में है. विश्व भर में, जहाँ कहीं राम भक्त हैं, घरों और मंदिरों कोसजाने
Kevat – Bhagwan Ram, Meri Naiya Paar Karo
By: Rajender Kapil The character of Kevat in the Ramayana is one of innocence and devotion. When we think of Kevat, an image comes to mind of him sitting at Lord Ram’s feet, washing them with great reverence, and then drinking that sacred
IndoUS Tribune की हरिद्वार के मंदिरों की यात्रा का चौथा पड़ाव: माया देवी मंदिर
हरिद्वार, जिसे ‘धर्म द्वार’ कहा जाता है, हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र स्थानों में से एक है। यहां स्थित माया देवीमंदिर न केवल श्रद्धालुओं के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है, बल्कि इसे हरिद्वार की अधिष्ठात्री देवी का सम्मानभी प्राप्त है। IndoUS Tribune
Unity, harmony, and spirituality: The sacred expression of Maha Kumbh 2025
By: Satyaprakash Dwivedi The grand and divine Maha Kumbh 2025 in Prayagraj witnessed a historic moment as the Honorable President of India, Smt. Droupadi Murmu, along with the Honorable Chief Minister of Uttar Pradesh, Yogi Adityanath Ji, and their families, took a holy dip in the sacred Triveni Sangam—the confluence of the
Honorable Chief minister of Haryana, Nayab Singh Saini, takes a holy dip at Triveni Sangam during Maha Kumbh 2025
By: Satyaprakash Dwivedi The Honorable Chief Minister of Haryana, Nayab Singh Saini, along with his family, participated in the sacred Maha Kumbh 2025 in Prayagraj by taking a holy dip in the revered Triveni Sangam, the confluence of the three divine rivers—Maa Ganga, Maa Yamuna, and Maa Saraswati. Following the purifying
Union Home and Home Minister Amit Shah, Along with Chief Minister Yogi Adityanath and Revered Saints, Takes a Sacred Dip at Maha Kumbh 2025
By: Satyaprakash Dwivedi India’s Honorable Union Home and Cooperation Minister, Shri Amit Shah, accompanied by his family, Uttar Pradesh’s Honorable Chief Minister, Shri Yogi Adityanath, and several revered saints, participated in the world’s largest spiritual congregation, the Maha Kumbh 2025 in Prayagraj. As a mark of deep faith and devotion,
हरिद्वार के मंदिरों की यात्रा का तीसरा पड़ाव: हर की पौड़ी
हरिद्वार, जिसे ‘धर्म द्वार’ कहा जाता है, हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र स्थानों में से एक है। यहां बहने वाली मां गंगा न केवल आस्था का प्रतीक हैं, बल्कि मोक्ष प्राप्ति का द्वार भी मानी जाती हैं। IndoUS Tribune की हरिद्वार के मंदिरों
केवट – मेरी नैया पार करो मेरे राम
By: Rajendra Kapil रामायण का पात्र केवट, एक ऐसा चरित्र, जिसकी छवि बड़ी भोली है. केवट का ध्यान आते ही एक ऐसा चित्र सामने आ जाता है, जो रामजी के चरणों में बैठा, रामजी के पग पखार रहा है. और उस चरणामृत को पीकर अपने आप को धन्य धन्य अनुभव कर रहा है. रामजी को जब वनवास की आज्ञा सुनाई गई, तो वह संन्यासी वेष में, लक्ष्मण और सिया संग, वनों की ओर निकल पड़े. उनके साथ पूरी अयोध्या भी साथ हो चली. जहाँ जहाँ प्रभु रुकते, प्रजा भी वहाँ पड़ाव डाल लेती. ऐसा करते प्रभु गंगा के किनारे आ पहुँचे. साथ आये सुमंत्र काका से सलाह कर, उन्होंने निर्णय लिया कि, चुपचाप गंगा पार कर प्रजा से विलग हो जाते हैं. ताकि प्रजा अपने अपने घरों में लौट कर, अपनी दिनचर्या में पुन: व्यस्त हो सके. लेकिन प्रश्न यह था कि, गंगा पार कराए कौन? यहीं केवट का प्रवेश राम रामायण में होता है. एक साधारण सा नौका चालक, जो दिन भर चप्पू चला अपनी जीविका कमा रहा था. प्रभु को जब उसके बारे में पता चला तो उसे बुला भेजा. केवट आ गया. प्रभु ने पार जाने की विनती की. मागी नाव न केवटु आना, कहइ तुम्हार मरमु मैं जाना केवट को रामजी के बारे में कुछ जानकारी पहले से थी. उसने रामजी और उनके द्वारा, अहिल्या उद्धार की कथा सुन रखी थी. उसने सुन रखा था कि, जैसे ही रामजी की चरण धूलि ने शिलावत् अहिल्या को छुआ, तो वह एक स्त्री के रूप में परिवर्तित हो गई थी. चरन कमल रज कहुँ सबु कहई, मानुष करनि मूरि कछु अहई आपके चरणों की धूलि के बारे सभी ने मुझे यह बता रखा है कि, उसमें एक जादू है, जो अगर पत्थर को भी छू ले तो उसे स्त्री बना देती है. छुअत सिला भइ नारि सुहाई, पाहन तें न काठ कठिनाई एहि प्रतिपालऊँ सबु परिवारु, नहीं जानऊँ कछु अउर कबारू प्रभु, आपकी चरण धूलि छूते ही एक शिला एक सुंदर नारी बन गई थी, और मेरी नाव तो केवल लकड़ी की है. पत्थर की तुलना में लकड़ी पत्थर से कहीं अधिक कोमल है. अगर मेरी नौका कुछ और बन गई तो, मेरी तो जीविका ही जाती रहेगी. फिर यह ग़रीब नाविक अपने परिवार का पेट कैसे पाल पायेगा? मैं तो इसी नौका की मजूरी से परिवार पालता हूँ. मुझे कोई और दूसरा धंधा भी नहीं आता. लेकिन आपने कहा है तो, मैं आपकी सहायता अवश्य करूँगा. आपको निराश नहीं करूँगा. मेरी आपसे एक बिनती है, यदि आप मान लें तो हम दोनों का काम आसानी से हो सकता है. प्रभु ने बोला, बताओ मैं सुनने को तैयार हूँ. तब केवट बोला: जौं प्रभु पार अवसि गा चहहू, मोहि पद पदुम पखारन क़हहू अगर आप पार उतरना चाहते तो मुझे आप अपने चरण धोने की आज्ञा दीजिए. मैं आपके चरणों का चरणामृत पान कर आश्वस्त होना चाहता हूँ कि, मेरी नाव को कुछ नहीं होगा. इसके बाद मैं आपको ख़ुशी ख़ुशी गंगा पार करवा दूँगा. प्रभु केवट की भोली भोली बातें सुन मुस्कुराने लगे, और बोले केवट वही करो जिससे तुम्हारा कोई नुक़सान न हो. फिर क्या था, केवट भाग कर जल से भरा एक कठोता ले आया, और प्रभु के पग पखारने लगा. पद कमल धोइ चढ़ाइ नाव न नाथ उतराई चहों मोहि राम राउरि आन दसरथ सपथ सब साँची कहों बरु तीर मारहुँ लखनु पै जब लगि न पाय पखारिहों तब लगि न तुलसीदास नाथ कृपाल पारू उतारिहों तुलसी बाबा ने इस वार्तालाप को बड़े सुंदर ढंग से छंदबंध किया. केवट बोला, प्रभु मैं आपसे उतराई भी नहीं लूँगा. अगर आपको मंज़ूर न हो तो, फिर चाहे लखन लाल मुझे अपने तीर से घायल भी कर दें तो भी, मैं आपको पार नहीं उंतराऊँगा. प्रभु केवट की अटपटी बातों का आनंद ले रहें हैं. सुनि केवट के बैन प्रेम लपेटे अटपटे बिहसे करुनाऐन चितइ जानकी लखन तन केवट के प्रेम एवं भक्ति से परिपूर्ण, ऐसे अटपटे बचन सुन रामजी, सीता और लखन की ओर देख मुस्कुराने लगे. मानो पूछ रहे हो कि, मैं अपने इस भक्त का क्या करूँ? तुलसी बाबा इस मधुर दृश्य को देख गद गद हो कह उठे: जासु नाम सुमिरत एक बारा, उतरहि नर भवसिंधु अपारा सोइ कृपालु केवटहि निहोरा, जेहि जगु किय तिहु पगहु ते थोरा वह रामजी जिनके नाम सिमरन से भक्त
The First Meeting of Ram and Sita
By: Rajender Kapil The story of the first meeting between Ram and Sita is described in the Bal Kand of Ramcharitmanas. When King Janak decided on Sita’s Swayamvar, he sent invitations to all the great kings of the land, including even Ravan, the King of
हरिद्वार मंदिर यात्रा श्रृंखला: दूसरी यात्रा – श्री चंडी देवी मंदिर
इंडोयूएस ट्रिब्यून के धर्म कर्म अनुभाग में हम आपके लिए लेकर आए हैं हरिद्वार मंदिर यात्रा की एक विशेषश्रृंखला। इस श्रृंखला में हम आपको हरिद्वार के प्रमुख धार्मिक स्थलों के दर्शन कराएंगे। हरिद्वार, जिसे देवभूमि काप्रवेश द्वार माना जाता है, आध्यात्मिकता, भक्ति और
राम सिया का प्रथम मिलन
By: Rajendra Kapilराम सिया के प्रथम मिलन की कथा राम चरित मानस के बालकाण्ड में आती है.जब राजा जनक ने सीता स्वयंवर के बारे में निश्चय किया, तो उस समय उन्होंने देश के सभी बड़े बड़े राजाओं को निमंत्रण भेजा. यहाँ तक कि,
हरिद्वार मंदिर यात्रा श्रृंखला की प्रथम कड़ी : मां मनसा देवी
इंडोयूएस ट्रिब्यून के धर्म कर्म अनुभाग में हम आपके लिए लेकर आए हैं हरिद्वार मंदिर यात्रा की एक विशेषश्रृंखला, जिसमें हम आपको हरिद्वार के प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों के दर्शन कराएंगे। इस पवित्र नगरी को देवभूमि काप्रवेश द्वार माना जाता है, जहाँ अध्यात्म, भक्ति
हरिद्वार: गंगा की गोद में बसी आध्यात्मिक नगरी
हरिद्वार—जहां गंगा की पावन धारा बहकर मानव जीवन को मोक्ष के पथ पर अग्रसर करती है। यह मात्र एक तीर्थस्थल नहीं, बल्कि सनातन संस्कृति, आध्यात्मिक साधना और दिव्यता का केंद्र है। भारत की धार्मिक धरोहर में हरिद्वार का स्थान अत्यंत विशिष्ट और पूजनीय