व्रत विधि एवं कथा…
मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष को आने वाली यह एकादशी मनुष्य को जन्म-मृत्यु के बंधन से मुक्त कराती है। इस व्रत को धारण करने वाला मनुष्य जीवन भर सुख भोगता है और अपने समय में निश्चित ही मोक्ष को प्राप्त होता है। मोक्ष दिलाने वाले इस दिन को मोक्षदा एकादशी कहते हैं।
कैसे करें मोक्षदा एकादशी व्रत…
इस दिन प्रात: स्नानादि कार्यों से निवृत्त होकर प्रभु श्रीकृष्ण का स्मरण कर पूरे घर में पवित्र जल छिड़कें तथा अपने आवास तथा आसपास के वातावरण को शुद्ध बनाएं।
तत्पश्चात पूजा सामग्री तैयार करें।
तुलसी की मंजरी (तुलसी के पौधे पर पत्तियों के साथ लगने वाला), सुगंधित पदार्थ विशेष रूप से पूजन सामग्री में रखें।
गणेशजी, श्री कृष्ण और वेदव्यास जी की मूर्ति या तस्वीर सामने रखें। गीता की एक प्रति भी रखें।
इसी दिन श्रीकृष्ण ने अर्जुन को रणभूमि में उपदेश दिया था। अत: आज के दिन उपवास रखकर रात्रि में गीता-पाठ करते हुए या गीता प्रवचन सुनते हुए जागरण करने का भी काफी महत्व है।
पूजा-पाठ कर व्रत कथा को सुनें, पश्चात आरती कर प्रसाद बांटें।
मोक्षदा एकादशी व्रत कथा
महाराज युधिष्ठिर ने कहा- हे भगवान! आप तीनों लोकों के स्वामी, सबको सुख देने वाले और जगत के पति हैं। मैं आपको नमस्कार करता हूँ। हे देव! आप सबके हितैषी हैं अत: मेरे संशय को दूर कर मुझे बताइए कि मार्गशीर्ष एकादशी का क्या नाम है?
काफी समय पुरानी बात है, गोकुल नामक नगर में एक ब्राह्मण वास करता था। वहां का राजा वैखानस काफी दयालु था, वह अपनी प्रजा को संतान की तरह प्यार करता था। एक दिन राजा ने स्वप्न में देखा कि उनके पिता नरक में घोर यातनाएं भुगत कर विलाप कर रहे हैं।
राजा की नींद खुल गई। अब वह बेचैन हो गया। प्रात: उसने अपने दरबार में सभी ब्राह्मणों को बुलाया और स्वप्न की सारी बात बता दी। फिर सभी ब्राह्मणों से प्रार्थना की कि कृपा कर कोई ऐसा उपाय बताओ, जिससे मेरे पिता का उद्धार हो सके।
ब्राह्मणों ने राजा को सलाह दी कि यहां से थोड़ी दूरी पर महा विद्वान, भूत-भविष्य की घटनाओं को देखने वाले पर्वत ऋषि रहते हैं, वे ही आपको उचित मार्गदर्शन दे सकेंगे।
तत्काल राजा पर्वत ऋषि के आश्रम में गया और ऋषिवर को प्रार्थना की कि हे मुनि! कृपा कर मुझे ऐसा उपाय बताएं जिससे मेरे पिता को मुक्ति मिल जाए। राजा की बात सुन ऋषि बोले, तुम्हारे पिता ने अपने जीवन काल में बहुत अनाचार किए थे, जिसकी सजा वे नरक में रहकर भुगत रहे हैं।
यदि आप चाहते हैं कि आपके पिता की मुक्ति हो जाए तो आप मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष को आने वाली मोक्षदा एकादशी का उपवास करें।
राजा वैखानस ने वैसा ही किया, फलस्वरूप उनके पिता को मोक्ष की प्राप्ति हुई। अत: जो भी व्यक्ति इस त्योहार को धारण करता है, उसे स्वयं को तो मोक्ष मिलता ही है, उसके माता-पिता को भी मोक्ष प्राप्ति होती है।
श्री एकादशी महारानी की जय