
IndoUS Tribune की हरिद्वार मंदिर यात्रा का 15वाँ पड़ाव ऋषिकेश — योग, तप और दिव्यता की नगरी
हरिद्वार-ऋषिकेश मार्ग पर स्थित एक अलौकिक स्थल, जहाँ गंगा की लहरों में पौराणिकता की गूंज है और वनों की शांति में तपस्याओं की आभा। IndoUS Tribune की हरिद्वार मंदिर यात्रा के 15वें पड़ाव पर हम पहुँचे हैं ऋषिकेश — जिसे योग नगरी और योगा की वैश्विक राजधानी कहा जाता है। यह शहर न केवल योग और अध्यात्म का केंद्र है, बल्कि पौराणिक कथाओं, ऋषियों के तप और दिव्य घटनाओं का जीवंत प्रमाण भी है।
ऋषिकेश: पौराणिक इतिहास और आध्यात्मिक ऊर्जा का संगम
ऋषिकेश शब्द की उत्पत्ति भगवान विष्णु के एक रूप “हृषीकेश” से हुई है। ऐसी मान्यता है कि रैभ्य ऋषि ने यहाँ घोर तपस्या की थी, और उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने “हृषीकेश” के रूप में प्रकट होकर इस स्थान को पावन बनाया। उसी क्षण से इस नगरी को “ऋषिकेश” कहा जाने लगा।
रामायण से जुड़ाव:
ऋषिकेश का उल्लेख रामायण काल से भी मिलता है। कहा जाता है कि भगवान राम ने लंका विजय के पश्चात अपने पापों के प्रायश्चित हेतु यहाँ तपस्या की थी। उनके अनुज लक्ष्मण ने भी यहीं गंगा नदी को एक जूट की रस्सी के पुल के माध्यम से पार किया था, जिसे आज लक्ष्मण झूला के नाम से जाना जाता है।
ऋषिकेश के प्रमुख धार्मिक और दर्शनीय स्थल:
- लक्ष्मण झूला और राम झूला:
गंगा नदी पर बना यह प्रसिद्ध झूलता पुल न केवल वास्तुशिल्प का अद्भुत नमूना है, बल्कि इसकी पौराणिकता भी अत्यंत गहन है। पास ही स्थित राम झूला भी एक आधुनिक पुल है, जो अनेक आश्रमों को जोड़ता है। - भारत मंदिर:
ऋषिकेश का सबसे प्राचीन मंदिर, जिसे आदि शंकराचार्य ने 8वीं सदी में स्थापित किया था। यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है और यहाँ का शालग्राम शिला विग्रह अत्यंत पूजनीय है। - परमार्थ निकेतन आश्रम:
यह आश्रम न केवल योग और ध्यान का केंद्र है, बल्कि यहाँ होने वाली संध्या गंगा आरती पूरी दुनिया से श्रद्धालुओं को आकर्षित करती है। यहाँ आयुर्वेद, वेद, ध्यान और स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी के मार्गदर्शन में जीवन दर्शन सिखाया जाता है। - नीलकंठ महादेव मंदिर:
ऋषिकेश से लगभग 32 किमी की पहाड़ी यात्रा पर स्थित यह शिव मंदिर अत्यंत श्रद्धेय है। मान्यता है कि समुद्र मंथन के समय जब विष उत्पन्न हुआ, तो भगवान शिव ने इसे यहीं पर ग्रहण किया, जिससे उनका कंठ नीला हो गया और वह नीलकंठ कहलाए।
ऋषिकेश की योग परंपरा: विश्व स्तर पर प्रतिष्ठा
ऋषिकेश को “Yoga Capital of the World” कहा जाता है। यहाँ स्वामी शिवानन्द, स्वामी सत्यानन्द, स्वामी चिदानन्द, और स्वामी दयानन्द सरस्वती जैसे महान योग गुरुओं ने अपने आश्रम स्थापित किए और योग की परंपरा को आगे बढ़ाया।
हर वर्ष यहाँ अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव आयोजित होता है, जिसमें दुनिया भर से योग साधक भाग लेते हैं। ऋषिकेश का शांत वातावरण, गंगा का कलकल स्वर, और हिमालय की गोद में स्थित वनों की शांति, योग अभ्यास के लिए उपयुक्त वातावरण प्रदान करते हैं।
ऋषिकेश में अन्य दर्शनीय स्थल और गतिविधियाँ:
स्वर्ग आश्रम: तप और साधना का केंद्र, जहाँ कई महापुरुषों ने वर्षों तक ध्यान किया।
त्रयम्बकेश्वर मंदिर: लक्ष्मण झूले के पास स्थित इस मंदिर की 13 मंज़िलें हैं, और हर मंज़िल पर विभिन्न देवी-देवताओं की मूर्तियाँ स्थापित हैं।
बीटल्स आश्रम (चौरासी कुटिया): प्रसिद्ध संगीत समूह The Beatles ने 1968 में यहाँ आकर Maharishi Mahesh Yogi से ट्रांसेंडेंटल मेडिटेशन सीखा था। आज यह स्थान विश्व के पर्यटकों में आकर्षण का केंद्र है।
रिवर राफ्टिंग और टूरिज्म: ऋषिकेश केवल धार्मिक ही नहीं, साहसिक पर्यटन के लिए भी प्रसिद्ध है। यहाँ रिवर राफ्टिंग, बंजी जम्पिंग, कैंपिंग, और हाइकिंग जैसी गतिविधियाँ पर्यटकों को आकर्षित करती हैं।
ऋषिकेश: आत्मा से साक्षात्कार का स्थान
ऋषिकेश की धरती पर कदम रखते ही एक अद्भुत शांति का अनुभव होता है। यह स्थान केवल एक नगर नहीं, बल्कि आत्म-खोज, साधना और मुक्ति का माध्यम है। यहाँ आने वाला हर व्यक्ति गंगा की निर्मल धारा में स्नान कर, योग के माध्यम से अपने भीतर झाँकने की प्रेरणा पाता है।
IndoUS Tribune की ओर से श्रद्धा-सम्मान
IndoUS Tribune की हरिद्वार मंदिर यात्रा में ऋषिकेश एक विशेष स्थान रखता है — यह सिर्फ एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि आत्म-शुद्धि, साधना और दिव्यता का प्रतीक है। यहाँ आकर व्यक्ति अपने जीवन की गति को विराम देकर आत्म-निरीक्षण करता है, ध्यान और योग के माध्यम से ईश्वर से जुड़ने का प्रयास करता है।
हमारी अगली कड़ी में हम आपको हरिद्वार या उसके आसपास के एक और दिव्य मंदिर या घाट की यात्रा पर ले चलेंगे। तब तक के लिए, गंगा माँ की कृपा बनी रहे, यही शुभकामनाएँ।
यदि आप ऋषिकेश की यात्रा पर जा रहे हैं, तो यह लेख आपके लिए एक आध्यात्मिक मार्गदर्शिका हो सकती है। IndoUS Tribune की यह श्रृंखला न केवल दर्शनीय स्थलों की जानकारी देती है, बल्कि उनके आध्यात्मिक और पौराणिक महत्व को भी उजागर करती है।
हर हर गंगे! ॐ नमः शिवाय!
क्या आप अगला पड़ाव जानना चाहते हैं? कृपया बने रहें IndoUS Tribune के साथ।