
IndoUS Tribune की हरिद्वार मंदिर यात्रा का 18वाँ और अंतिम पड़ाव: श्री श्री मा आनंदमयी आश्रम — एक दिव्य उपस्थिति, जहाँ मौन भी साधना बन जाता है
हरिद्वार (कनखल) —
जहाँ गंगा की लहरों में श्रद्धा बहती है और हर घाट, हर मंदिर एक कथा सुनाता है, वहीं कनखल स्थित
श्री श्री मा आनंदमयी आश्रम आध्यात्मिक साधना और आत्मिक शांति का अद्भुत केंद्र बनकर
सामने आता है। IndoUS Tribune की हरिद्वार मंदिर यात्रा के इस 18वें और अंतिम पड़ाव पर हम पहुँचे हैं इस पावन आश्रम में, जो स्वयं मा आनंदमयी की दिव्य उपस्थिति से आलोकित है।
दिव्यता का केंद्र – श्री श्री मा आनंदमयी आश्रम
शांत वातावरण, श्वेत संगमरमर की इमारतें, गंगा का पावन प्रवाह और मा आनंदमयी का सजीव स्मरण — यह आश्रम केवल एक स्थान नहीं, बल्कि एक अनुभव है। आश्रम का मुख्य आकर्षण मा आनंदमयी की समाधि है, जहाँ श्रद्धालु मौन ध्यान में बैठकर उनकी आध्यात्मिक उपस्थिति को अनुभव करते हैं।
यहाँ ध्यान, योग और आत्मचिंतन के लिए अनेक साधन उपलब्ध हैं, जो साधकों को भीतर की यात्रा पर प्रेरित करते हैं। आश्रम परिसर में स्थित मंदिर, ध्यान कक्ष और पुस्तकालय सभी आध्यात्मिक जागरूकता के वाहक हैं।
मा आनंदमयी: एक जीवंत दिव्यता
मा आनंदमयी केवल एक संत नहीं थीं, बल्कि उन्होंने उस दिव्यता को प्रत्यक्ष रूप से जिया, जिसे अनेक लोग केवल ग्रंथों में पढ़ते हैं। उन्हें विभिन्न रूपों में पूजा गया — मनुष काली, देवी नर्मदा, गौरा माँ, और कई अन्य रूपों में। उनका यह सार्वभौमिक स्वरूप सभी धर्मों और परंपराओं को जोड़ता है।
मा का कहना था:
“प्रत्येक व्यक्ति और प्रत्येक वस्तु ईश्वर का रूप है। मैं वही हूँ, जो तुम्हारी अंतरात्मा में ईश्वर की कल्पना है।”
उनके उपदेश आत्मसमर्पण, सत्संग, और निरंतर ईश्वर-स्मरण पर आधारित थे। आश्रम में आज भी ये परंपराएँ जीवंत हैं — प्रतिदिन की आरती, कीर्तन, ध्यान और साधना सत्र, सभी साधकों को आध्यात्मिक ऊर्जा प्रदान करते हैं।
एक आत्मिक तीर्थ का अनुभव कनखल में स्थित यह आश्रम न केवल साधकों के लिए एक तीर्थ है, बल्कि उन सभी के लिए भी, जो जीवन में शांति और उद्देश्य की तलाश में हैं। यहाँ आने वाला हर व्यक्ति, चाहे वह भक्त हो या जिज्ञासु, मा की उपस्थिति में आत्मिक विश्रांति का अनुभव करता है।
IndoUS Tribune की ओर से श्रद्धा–सम्मान
हरिद्वार मंदिर यात्रा की इस अंतिम कड़ी में IndoUS Tribune मा आनंदमयी आश्रम को समर्पित करता है — एक ऐसा स्थल जहाँ श्रद्धा, शांति और साधना का दिव्य संगम होता है। इस यात्रा में आपने जिन तीर्थों के दर्शन किए, वे भारतीय आध्यात्मिक परंपरा की विविधता और गहराई को दर्शाते हैं।
आगे की यात्रा… वृंदावन की ओर
हमारी “हरिद्वार मंदिर यात्रा“ यहीं समाप्त होती है, पर हमारी आध्यात्मिक यात्रा जारी रहेगी।
27 जून से शुरू हो रही है IndoUS Tribune की नई श्रृंखला — “वृंदावन के मंदिरों की यात्रा“।
जहाँ हर मोड़ पर राधा-कृष्ण की लीलाएँ, हर कुंज में भक्ति का भाव और हर मंदिर में प्रेम का स्पंदन है।
तब तक के लिए, माँ गंगा और माँ आनंदमयी का आशीर्वाद बना रहे।
हर हर गंगे। राधे राधे।