
वृंदावन मंदिर यात्रा का पांचवां पड़ाव – राधा गोविंद के दर्शन
IndoUS Tribune की “यात्रा और दर्शन: वृंदावन मंदिर” श्रृंखला में आपका पुनः स्वागत है!
जहाँ हर गली-नुक्कड़ भगवान श्रीकृष्ण और राधारानी की मधुर लीलाओं की गवाही देता है, वहीं आज हम आपको ले चल रहे हैं वृंदावन के एक और दिव्य स्थल – राधा गोविंद मंदिर की ओर। यह श्रृंखला, जो बांके बिहारी मंदिर से प्रारंभ हुई थी, अब अपने पाँचवें पड़ाव पर पहुँची है, जहाँ भक्ति, शौर्य और शिल्पकला का अद्वितीय संगम है – राधा गोविंद मंदिर।
इतिहास और निर्माण का वैभव
राधा गोविंद मंदिर, जिसे गोविंद देव जी मंदिर भी कहा जाता है, वृंदावन के सबसे प्राचीन और भव्य मंदिरों में से एक है।इस मंदिर का निर्माण 1590 ई. में आमेर (जयपुर) के राजा मान सिंह ने करवाया था।इस भव्य मंदिर के निर्माण में लगभग 10 लाख रुपये की लागत आई थी, जो उस काल में एक अत्यंतविशाल राशि मानी जाती थी।
इस सात-मंज़िला मंदिर की वास्तुकला में हिंदू, इस्लामी और पश्चिमी शैलियों का अद्भुत संगम देखने को मिलता है। यह मंदिर न केवल आध्यात्मिक रूप से, बल्कि स्थापत्य की दृष्टि से भी एक अनमोल धरोहर है।
मुगल काल का विध्वंस और मूर्ति की सुरक्षा
1670 ई. में, मुग़ल शासक औरंगज़ेब ने इस मंदिर को आक्रमण का निशाना बनाया और इसके ऊपरी चार मंज़िलों को नष्ट करवा दिया। लेकिन संकट की इस घड़ी में, श्री गोविंद देव जी की मूल मूर्ति को सुरक्षित रूप से जयपुर पहुँचा दिया गया, जहाँ आज भी वह विधिवत पूजित हैं।
वर्तमान में वृंदावन स्थित राधा गोविंद मंदिर केवल तीन मंज़िला संरचना के रूप में खड़ा है, लेकिन इसकी भव्यता और भक्ति की ऊर्जा आज भी उसी प्रकार विद्यमान है।
दर्शन और आध्यात्मिक अनुभूति
यह मंदिर एक उच्च चबूतरे पर स्थित है, जिससे श्रद्धालुओं को कुछ सीढ़ियाँ चढ़कर पहुँचना होता है। जैसे ही आप मंदिर के प्रांगण में प्रवेश करते हैं, आप महसूस करते हैं मानो समय थम गया हो — वातावरण में राधा-कृष्ण की लीला की मधुर अनुभूति होती है।
यहाँ की लाल बलुआ पत्थर से बनी संरचना और उसके भीतर की नक्काशी, गोविंद देव जी की अद्वितीय छवि को दर्शाती है। भक्तगण यहाँ आकर एक गहन आध्यात्मिक शांति का अनुभव करते हैं, जो उन्हें प्रभु के समीप ले जाती है।
प्रेरणा के स्रोत: रूप गोस्वामी
इस मंदिर के निर्माण की प्रेरणा श्रील रूप गोस्वामी से प्राप्त हुई थी, जो श्री चैतन्य महाप्रभु के प्रमुख अनुयायी थे। उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति पर आधारित वैष्णव परंपरा को पुनः जीवित करने में अहम भूमिका निभाई।
दर्शनों का समय (Govind Dev Ji Mandir Timings)
- प्रातःकाल: 04:30 बजे से 12:15 बजे तक
- सांयकाल: 05:30 बजे से 09:15 बजे तक
एक नज़र में – राधा गोविंद मंदिर की विशेषताएँ
- निर्माण वर्ष: 1590 ई.
- निर्माता: राजा मान सिंह (आमेर)
- प्रेरणा स्रोत: संत रूप गोस्वामी
- स्थापत्य शैली: हिंदू, इस्लामी व पश्चिमी मिश्रित
- वर्तमान मूर्ति: जयपुर स्थित
- पुनर्निर्माण: 1870 के दशक में
- महत्त्व: वृंदावन के वैष्णव भक्तों के लिए अत्यंत पूजनीय
अगली कड़ी में मिलेंगे मदन मोहन मंदिर में
राधा गोविंद मंदिर में दर्शन कर IndoUS Tribune की यह पांचवीं कड़ी भी भक्ति और ऐतिहासिक गौरव से परिपूर्ण रही। इस मंदिर की भव्यता, इसकी गाथा और श्री गोविंद देव जी की दिव्यता हर श्रद्धालु के मन को आहलादित कर देती है।
हम आशा करते हैं कि इस लेख ने आपको राधा गोविंद मंदिर के अद्भुत इतिहास, वास्तुकला और आध्यात्मिक महत्ता से अवगत कराया होगा।
अगली कड़ी में, हम आपको ले चलेंगे वृंदावन के एक और प्राचीन एवं पुण्य स्थल — मदन मोहन मंदिर की ओर, जहाँ श्रीकृष्ण भक्ति की एक और अनूठी छवि देखने को मिलेगी।
तब तक के लिए, राधा गोविंद देव जी की कृपा आप पर बनी रहे — जय श्री राधे!