
IndoUS Tribune की “यात्रा और दर्शन: वृंदावन मंदिर” श्रृंखला का सातवां पड़ाव — श्री राधा दामोदर मंदिर के दर्शन
IndoUS Tribune की “यात्रा और दर्शन: वृंदावन मंदिर” श्रृंखला में आपका स्वागत है! जहाँ भगवान कृष्ण की बांसुरी की धुन हवा में गूंजती है और हर गली राधा-कृष्ण के प्रेम की कहानियाँ सुनाती है। इस आध्यात्मिक यात्रा के सातवें पड़ाव में, हम आपको लेकर चल रहे हैं श्री राधा दामोदर मंदिर के दिव्य दर्शन के लिए। यह मंदिर न केवल अपनी प्राचीनता के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि भक्तों के लिए भक्ति, तपस्या और श्रीकृष्ण की सेवा भावना का अमूल्य केंद्र भी है।
इतिहास और स्थापना
श्री राधा दामोदर मंदिर की स्थापना 1542 ईस्वी में श्री जीव गोस्वामी ने की थी, जो श्री चैतन्य महाप्रभु के प्रमुख शिष्यों में से एक थे। प्रारंभ में यह मंदिर सेवा कुंज में स्थित था। लेकिन 1670 में जब मुगल सम्राट औरंगज़ेब ने वृंदावन पर आक्रमण किया, तो मंदिर की मूल मूर्तियों को सुरक्षा हेतु जयपुर स्थानांतरित कर दिया गया। जब परिस्थितियाँ अनुकूल हुईं, तो 1739 ईस्वी में राधा दामोदर जी को पुनः वृंदावन लाया गया और तब से आज तक उनकी सेवा यहीं निरंतर हो रही है।
जीव गोस्वामी के 1596 में ब्रह्मलीन होने से पूर्व उन्होंने अपनी पूजा-अर्चना का उत्तरदायित्व अपने उत्तराधिकारी कृष्ण दास को सौंपा था। आज उनके वंशज ही मंदिर में सेवा कार्य कर रहे हैं।
मंदिर का धार्मिक महत्व
श्री राधा दामोदर मंदिर वृंदावन के सात प्रसिद्ध गोस्वामी मंदिरों में से एक है। इनमें राधा मदन मोहन, राधा गोविंद, राधा रमण, राधा श्यामसुंदर, राधा गोपीनाथ और राधा गोकुलानंद मंदिर भी शामिल हैं।
यहाँ विराजमान गिरिराज शिला भी विशेष श्रद्धा का केंद्र है। मान्यता है कि इसमें श्रीकृष्ण के पदचिन्ह अंकित हैं और यह शिला सनातन गोस्वामी को स्वयं भगवान ने प्रदान की थी। यह भी कहा जाता है कि राधा दामोदर मंदिर की चार परिक्रमा करने से एक गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा के बराबर पुण्य फल प्राप्त होता है।
गौड़ीय वैष्णव परंपरा और संतों की समाधियाँ
मंदिर में कई गौड़ीय संतों की समाधियाँ भी स्थित हैं, जिनमें रूप गोस्वामी, जीव गोस्वामी और कृष्णदास कविराज गोस्वामी प्रमुख हैं। यह स्थान इसलिए भी विशेष है क्योंकि इस्कॉन के संस्थापक श्रील प्रभुपाद ने अमेरिका जाने से पहले छह वर्षों तक यहीं निवास कर तपस्या और साधना की थी।
मंदिर में पूजित विग्रह
यहाँ मुख्य रूप से श्री राधा दामोदर और गिरिराज शिला की पूजा होती है। इनके अतिरिक्त राधा वृंदावनचंद्र, राधा माधव, गौर-निताई तथा भगवान जगन्नाथ की भी पूजा होती है।
मंदिर दर्शन समय
- प्रातः काल: 4:30 AM – 1:00 PM
- सायंकाल: 4:30 PM – 9:00 PM
समापन: प्रेम, सेवा और श्रीकृष्ण की कृपा
श्री राधा दामोदर मंदिर में दर्शन, वृंदावन की हमारी आध्यात्मिक यात्रा का एक और अद्भुत अध्याय है। यहाँ की सेवा परंपरा, संतों की उपस्थिति और गिरिराज शिला का दर्शन, हर भक्त के हृदय को प्रभु भक्ति से सराबोर कर देता है। IndoUS Tribune की ओर से, हम आशा करते हैं कि इस यात्रा ने आपको श्री राधा दामोदर जी की महिमा और वृंदावन की पवित्रता का अनुभव कराया होगा।
हमारी अगली कड़ी में, हम आपको ले चलेंगे वृंदावन के ही एक और पवित्र तीर्थ—इस्कॉन कृष्ण बलराम मंदिर की ओर। तब तक के लिए, श्रीराधा-दामोदर की कृपा आप पर बनी रहे, यही शुभकामनाएँ।