
IndoUS Tribune की “यात्रा और दर्शन: वृंदावन मंदिर” श्रृंखला का नवाँ पड़ाव — शाहजी मंदिर
प्रारंभिकपरिचय
IndoUS Tribune की “यात्रा और दर्शन: वृंदावन मंदिर” श्रृंखला में आपका पुनः स्वागत है! राधा-कृष्ण की भक्ति-रसपूर्ण गलियों और मंदिरों की इस आध्यात्मिक यात्रा में हम अब पहुँच चुके हैं अपने नवेंपड़ाव — शाहजीमंदिर पर। इसे “तेड़े खंभे वाला मंदिर” या “छोटे राधा रमण मंदिर” के नाम से भी जाना जाता है। यहाँ की अद्वितीय कलात्मकता, स्थापत्य वैभव और गहरी भक्ति भावना इसे वृंदावन के प्रमुख दर्शनीय स्थलों में स्थान दिलाती है।
शाहजीमंदिर: इतिहास, कथाऔरश्रद्धा
इतिहास
- निर्माण: शाहजी मंदिर का निर्माण 1860 से 1876 के बीच लखनऊ के प्रसिद्ध जौहरी भाईयों — शाह कुंदन लाल और शाह फुंदन लाल — ने कराया।
- स्थापत्यशैली: इस मंदिर में राजस्थानी, इटालियन, ग्रीक, मुगल और हिंदू स्थापत्य शैलियों का अनूठा संगम देखने को मिलता है।
- विशेषआकर्षण: बारह शानदार सर्पिल (घुमावदार) खंभे, जो इटालियन संगमरमर के एक-एक टुकड़े से तराशे गए हैं। हर स्तंभ 15 फीट ऊँचा है।
- बसंतीकमरा: मंदिर का “बसंती कमरा” (दरबार हाल) बेल्जियन काँच की झूमरों और राधा-कृष्ण की लीलाओं पर आधारित भित्ति-चित्रों से सुसज्जित है। यह केवल साल में दो बार (बसंत पंचमी और झूलन यात्रा) पर खोला जाता है।
कथाऔरश्रद्धा
- संस्थापकोंकीविनम्रता: मंदिर की प्रांगणीय बारहखंभा बरामदे की फर्श पर संस्थापकों के चित्र मोज़ाइक में जड़े हैं। यह उनकी विनम्रता और वृंदावन की धूल में समर्पण का प्रतीक है।
- भक्तिकाप्रतीक: दीवारों पर चित्र लगाने की बजाय अपने चित्रों को फर्श पर लगवाना, इस भावना को दर्शाता है कि वे निरंतर ब्रजराज (वृंदावन की धूल) से आच्छादित रहें और भगवान की सेवा में लीन हों।
- आध्यात्मिकमहत्व: मंदिर का शांत वातावरण, कलात्मक भव्यता और भक्तिभावना मिलकर इसे एक पवित्र और आकर्षक स्थल बनाते हैं।
स्थापत्यविशेषताएँ
- तेड़ेखंभे: मंदिर के बारह संगमरमर के घुमावदार खंभे इसके स्थापत्य का सबसे अनूठा पहलू हैं।
- बसंतीकमरा: बेल्जियन झूमरों और जीवंत चित्रों से सजा यह हॉल केवल साल में दो बार खुलता है और अपनी अनुपम सुंदरता से भक्तों को मोहित करता है।
समय (दर्शन/आरती):
ग्रीष्मकाल
- मंगल आरती: सुबह 07:30 बजे
- शयन आरती: शाम 07:30 बजे
शीतकाल
- मंगल आरती: सुबह 08:30 बजे
- शयन आरती: शाम 06:30 बजे
स्थान: शाहजी मंदिर, निधिवन के निकट, वृंदावन।
समापन
शाहजी मंदिर अपनी स्थापत्य कला, भव्यता और अद्वितीय श्रद्धा भाव के कारण वृंदावन के प्रमुख आकर्षणों में से एक है। यहाँ के “तेड़े खंभे” और “बसंती कमरा” न केवल कला प्रेमियों को मोह लेते हैं बल्कि श्रद्धालुओं को भक्ति और सौंदर्य का अद्भुत संगम भी कराते हैं। IndoUS Tribune की ओर से, हम आशा करते हैं कि इस पड़ाव ने आपको वृंदावन की पवित्रता और भक्ति की गहराई का अनुभव कराया होगा।
अब हम आपको लेकर चलेंगे अपने अगले पड़ाव की ओर — जयपुर मंदिर (राधामाधवमंदिर)।