इंडो-यूएस ट्रिब्यून की वृंदावन मंदिर यात्रा: श्री रंगजी मंदिर

इंडो-यूएस ट्रिब्यून की वृंदावन मंदिर यात्रा: श्री रंगजी मंदिर

वृंदावन: 11वां पड़ाव – श्री रंगजी मंदिर में दर्शन

IndoUS Tribune की “यात्रा और दर्शन: वृंदावन मंदिर” श्रृंखला में हम आपको स्वागत करते हैं! जहां भगवान श्री कृष्ण की लीलाओं और उनके प्रेम की गूंज हर एक मंदिर और गली में सुनाई देती है। इस आध्यात्मिक यात्रा के 11वें पड़ाव में, हम वृंदावन के पवित्र श्री रंगजी मंदिर की यात्रा करेंगे। यह मंदिर भगवान श्री कृष्ण के एक अद्वितीय रूप के प्रतीक के रूप में खड़ा है, और इसमें विशेष रूप से दक्षिण भारतीय वास्तुकला की छवि दिखाई देती है।

मंदिर का इतिहास और महत्व
श्री रंगजी मंदिर का मुख्य आकर्षण भगवान श्री कृष्ण और उनकी भक्त गोदा देवी (आंदल) का मिलन है। गोदा देवी एक 8वीं सदी की प्रसिद्ध संत और कवि थीं, जिन्होंने अपने जीवन को भगवान कृष्ण के चरणों में बिताने और उन्हें अपना पति मानने की इच्छा व्यक्त की थी। श्री रंगनाथ, जो भगवान विष्णु के अवतार हैं, ने उनकी प्रार्थनाओं का उत्तर दिया और उन्हें अपने विवाह का वचन दिया।

गोदा देवी की तीन इच्छाएँ

  1. वृंदावन में निवास: गोदा देवी ने वृंदावन में अपना जीवन भगवान कृष्ण के चरणों में बिताने की इच्छा व्यक्त की थी। यह मंदिर इसी इच्छा को सम्मानित करने के लिए वृंदावन में स्थापित किया गया।
  2. विवाह: भगवान श्री रंगनाथ ने गोदा देवी को अपनी पत्नी स्वीकार किया।
  3. क्षीरन्नम (खीर): गोदा देवी ने भगवान से निवेदन किया कि उन्हें 100 बर्तनों में “क्षीरन्नम” (चावल और दूध से बनी मिठाई) अर्पित किया जाए, और यह इच्छा 11वीं सदी के वैष्णव संत श्री रामानुजाचार्य ने पूरी की।

मंदिर का निर्माण

श्री रंगजी मंदिर का निर्माण 1845 में शुरू हुआ था, जब श्री रंगदेशिक स्वामीजी ने वृंदावन में इस मंदिर की स्थापना के लिए दक्षिण भारत के प्रसिद्ध श्री रंगनाथ मंदिर की प्रेरणा ली। मंदिर की वास्तुकला दक्षिण भारतीय शैली में है, जिसमें पाँच परतों वाले गोपुरों (टावरों) और दक्षिण भारतीय निर्माण परंपराओं का पालन किया गया है। इस मंदिर का उद्घाटन 1851 में हुआ था।

मंदिर की विशेषताएँ

  • गोपुरम और संरचना: मंदिर की संरचना दक्षिण और उत्तर भारतीय वास्तुकला का अद्भुत संगम है। पश्चिमी और पूर्वी दिशा में सुंदर पत्थर से बने द्वार हैं।
  • प्रमुख स्थल: मुख्य मंदिर के अंदर, भगवान श्री रंगनाथ और गोदा देवी के रूप में दिव्य युगल विराजमान हैं।
  • विशाल रथ: मंदिर के पश्चिमी द्वार के बाहर 50 फीट लंबा लकड़ी का रथ है, जिसे प्रतिवर्ष एक बार ब्राह्मोत्सव के दौरान बाहर निकाला जाता है।
  • पुश्कर्णी और बगीचा: मंदिर के बाहरी क्षेत्र में एक बड़ा तालाब (पुश्कर्णी) और एक सुंदर बगीचा स्थित है, जहां हर शुक्रवार को गोदा देवी की सवारी निकाली जाती है।

मंदिर का महत्व

श्री रंगजी मंदिर न केवल भगवान श्री कृष्ण और उनकी प्रेमिका गोदा देवी के मिलन का प्रतीक है, बल्कि यह भारतीय वैष्णव परंपरा का एक महत्वपूर्ण केंद्र भी है। मंदिर का निर्माण, दक्षिण भारत की स्थापत्य कला और वृंदावन के धार्मिक महत्व को एक साथ जोड़ता है।

निष्कर्ष

श्री रंगजी मंदिर में दर्शन, वृंदावन की हमारी आध्यात्मिक यात्रा का एक अभिन्न हिस्सा है। यह हमें भगवान श्री कृष्ण और उनकी प्रेमिका गोदा देवी के दिव्य मिलन के दर्शन कराता है। IndoUS Tribune की ओर से, हम आशा करते हैं कि इस यात्रा ने आपको श्री रंगजी मंदिर की भव्यता और उसकी ऐतिहासिक एवं धार्मिक महिमा का अनुभव कराया होगा।
हमारी अगली कड़ी में, हम आपको वृंदावन के एक और पवित्र मंदिर, जुगल किशोर मंदिर (केसी घाट) की यात्रा पर ले जाएंगे। तब तक के लिए, भगवान श्री कृष्ण की कृपा आप पर बनी रहे, यही शुभकामनाएँ।

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