IndoUS Tribune – आंध्र प्रदेश मंदिर यात्रा: पाँचवाँ पड़ाव: अहोबिलम नरसिंह स्वामी मंदिर (कर्नूल)

IndoUS Tribune – आंध्र प्रदेश मंदिर यात्रा: पाँचवाँ पड़ाव: अहोबिलम नरसिंह स्वामी मंदिर (कर्नूल)

भूमिकापाँचवाँ पड़ाव: दिव्य और रहस्यमय अहोबिलम

IndoUS Tribune की यात्रा और दर्शन श्रृंखला के पाँचवें पड़ाव में आपका हार्दिक स्वागत है। तिरुपति, श्रीकालहस्ती, कनक दुर्गा और अन्य पवित्र धामों की यात्रा के बाद, अब हम पहुँच रहे हैं एक अत्यंत दिव्य और रहस्यमय स्थल—अहोबिलम (Ahobilam)। यह वह पवित्र भूमि है जहाँ भगवान विष्णु के उग्र एवं अद्भुत अवतार श्रीनृसिंह की कृपा धारा आज भी प्रत्यक्ष अनुभव की जाती है।

पूर्वी घाट की पर्वतमालाओं में बसे इस पवित्र स्थल की आध्यात्मिक ऊर्जा, ऐतिहासिक महिमा और अनोखी स्थापत्य परंपरा इसे आंध्र प्रदेश के सबसे महत्वपूर्ण तीर्थों में शामिल करती है।

अहोबिलमनव नरसिंह के अद्वितीय धाम

आंध्र प्रदेश के कर्नूल जिले में स्थित अहोबिलम, भगवान नृसिंह के नौ (नव) स्वरूपों का अद्वितीय केंद्र है। वैष्णव परंपरा में इसका विशेष स्थान है क्योंकि यह वही स्थान माना जाता है जहाँ भगवान नृसिंह ने खंभे से प्रकट होकर अत्याचारी असुर राजा हिरण्यकशिपु का वध किया था, ताकि अपने परम भक्त प्रह्लाद की रक्षा की जा सके।

ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व

  • वैष्णव परंपरा का केंद्र: यह स्थल विशेषकर श्रीनृसिंह उपासना का एक प्रमुख और प्राचीन केंद्र है।
  • नव नरसिंह मंदिर: यहाँ पर नृसिंह के नौ मंदिर हैं जो लगभग 5 किलोमीटर की परिधि में फैले हुए हैं—दुनिया में ऐसा अन्यत्र कहीं नहीं मिलता।
  • संरक्षक मठ: अहोबिलम मठ, जो पिछले 625 वर्षों से अधिक समय से इन मंदिरों का संरक्षण कर रहा है, इस स्थल के आध्यात्मिक और प्रशासनिक महत्व को दर्शाता है।

मुख्य दंतकथाएँ और नामकरण

अहोबिलम के नाम और महिमा से जुड़ी कई दिव्य दंतकथाएँ हैं:

  • हिरण्यकशिपु वध: यह सर्वमान्य है कि भगवान नृसिंह इसी भूमि पर खंभे को चीरकर प्रकट हुए थे।
  • अहो बलम्!”: मान्यता है कि जब भगवान नृसिंह ने हिरण्यकशिपु का वध किया और अपना उग्र रूप शांत किया, तब देवताओं ने उनके अद्भुत बल और स्वरूप को देखकर विस्मय से कहा था अहो बलम्! (वाह! क्या शक्ति है!)”, और इन्हीं शब्दों के मेल से इस स्थान का नाम अहोबिलम पड़ा।
  • चेंचु लक्ष्मी विवाह: एक और महत्वपूर्ण कथा के अनुसार, भगवान ने यहाँ की स्थानीय चेंचु जनजाति की कन्या चेंचुलक्ष्मी से विवाह किया था, जो प्रकृति और संस्कृति के समन्वय का प्रतीक है।
  • परुएटा उत्सव: चेंचु जनजाति आज भी इस दिव्य कथा को जीवित रखते हुए, 40 दिनों का परुएटा उत्सव मनाती है।

अध्यात्म की ऊर्जा और स्वरूप

अहोबिलम को केवल एक पर्यटन स्थल नहीं, बल्कि अत्यंत पवित्र तीर्थ माना जाता है। यहाँ की हर गुफा, जलधारा, पर्वत और शिला दैवी शक्ति से ओत-प्रोत मानी जाती है। अनेक योगियों और आचार्यों ने यहाँ तपस्या की है।

नव नरसिंह के नौ स्वरूप

अहोबिलम में पूजित भगवान नृसिंह के नौ स्वरूप, जो विभिन्न स्थानों पर स्थित हैं, इस प्रकार हैं:

  1. ज्वाला नरसिंह
  2. अहोबिला नरसिंह
  3. मालोला नरसिंह
  4. क्रोडा नरसिंह
  5. करंजा नरसिंह
  6. भार्गव नरसिंह
  7. योगानंद नरसिंह
  8. क्षत्रवटा नरसिंह
  9. पवना नरसिंह

इसके अतिरिक्त, नीचे स्थित (लोअर अहोबिलम) प्रह्लाद वरद नरसिंह का मंदिर तीर्थयात्रियों का प्रमुख केंद्र है।

उग्रस्तंभम और रक्तकुंडम्

  • उग्रस्तंभम: ऊँचे पर्वतीय भाग में स्थित यह वह विशाल शिला है जिसे हिरण्यकशिपु के महल का खंभा माना जाता है, जिसे चीरकर भगवान नृसिंह प्रकट हुए थे।
  • रक्तकुंडम्: उग्रस्तंभम के पास वह पवित्र जलकुंड है जहाँ नृसिंहजी ने हिरण्यकशिपु के वध के बाद अपने रक्तरंजित हाथ धोए थे। मान्यता है कि इसी कारण इस कुंड का जल आज भी लालिमा लिए रहता है।

📅 उत्सव और परंपराएँ

  • ब्रहमोत्सवम् (10 दिन): यह यहाँ का सबसे प्रमुख और भव्य उत्सव है।
  • विशेष अभिषेक: प्रत्येक स्वाति नक्षत्र को नौों नरसिंह रूपों का विशेष अभिषेक किया जाता है।
  • कठिन पर्वतीय यात्रा: कई मंदिर पहाड़ों और जंगलों में स्थित हैं, जिसके कारण इस तीर्थ को तपस्या का स्थल भी माना जाता है, जहाँ पहुँचने के लिए शारीरिक और मानसिक दृढ़ता आवश्यक है।

अहोबिलम नृसिंह की कृपा

भगवान नृसिंह का अवतार धर्म की रक्षा और भक्त के प्रति उनके असीम प्रेम को दर्शाता है। माना जाता है कि उनकी उपासना से भक्तों को निम्न लाभ प्राप्त होते हैं:

  • भय दूर होता है और शत्रु भय से मुक्ति मिलती है।
  • साहस और आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।
  • कष्टों का निवारण होता है।
  • मनोवांछित फल और मानसिक शांति प्राप्त होती है।

कठिन कालकलियुग में यह स्थल शक्ति, सुरक्षा और आशीर्वाद का सबसे प्रभावी केंद्र माना जाता है।

 समापनअगला पड़ाव: महानंदी मंदिर (नंद्याल)

अहोबिलम के दर्शन ने हमारी यात्रा को और अधिक आध्यात्मिक गहराई प्रदान की। यह स्थल केवल एक मंदिर नहीं, बल्कि भक्ति, साहस और दिव्यता का जीवंत प्रतीक है। IndoUS Tribune की “आंध्र प्रदेश मंदिर यात्रा” श्रृंखला के साथ जुड़े रहने के लिए आपका धन्यवाद।

हमारा अगला पड़ाव होगा—महालिंगेश्वर स्वामी के प्राचीन और शक्तिपूर्ण धाम, महानंदी मंदिर (नंद्याल)

तब तक भगवान नृसिंह का आशीर्वाद आपके जीवन में बल, संरक्षण और कल्याण लेकर आए—इसी कामना के साथ।

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