
आंध्र प्रदेश की आराधना यात्रा श्री अन्नावरम सत्यानारायण स्वामी मंदिर(पूर्वी गोदावरी)
IndoUS Tribune की “यात्रा और दर्शन” श्रृंखला में आपका एक बार फिर स्वागत है। भारत की आध्यात्मिक
और सांस्कृतिक धरोहर को पाठकों तक पहुँचाने की इस विशेष यात्रा में हम आंध्र प्रदेश के प्रसिद्ध मंदिरों के दर्शन
कर रहे हैं।
इस यात्रा के नौवें पड़ाव पर हम पहुँचे हैं पूर्वी गोदावरी जिले में स्थित अन्नावरम सत्यानारायण स्वामी मंदिर,
जो श्रद्धा, विश्वास और सत्य का अद्भुत केंद्र है।
यह मंदिर केवल पूजा का स्थान नहीं है, बल्कि यह हमें सिखाता है कि सत्य, धर्म और भक्ति से जीवन कैसे आगे
बढ़ता है। यही कारण है कि यहाँ देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु आते हैं।
मंदिर का नाम “अन्नावरम” कैसे पड़ा?
“अन्नावरम” शब्द अन्न (भोजन) से जुड़ा है। मान्यता है कि इस क्षेत्र में पहले हमेशा अन्नदान होता था, यानी
किसी को भूखा नहीं लौटाया जाता था।
एक और मान्यता के अनुसार, भगवान यहाँ अपने भक्तों को उनकी इच्छित वरदान (अनिवारम्) देते हैं, इसलिए
इस स्थान का नाम अन्नावरम पड़ा।
मंदिर की स्थापना और दैवीय कथा
कहा जाता है कि गाँव के एक ब्राह्मण एरंकी प्रकाशम और उस समय के ज़मींदार राजा इनुगंती वेंकट
रामारायणम को भगवान विष्णु ने स्वप्न में दर्शन दिए।
भगवान ने उन्हें बताया कि उनकी मूर्ति रत्नगिरि पहाड़ी पर बिना पूजा के पड़ी है और उसे खोजकर स्थापित
किया जाए।
सन् 1891 में मूर्ति की खोज हुई और वहीं मंदिर की नींव रखी गई। समय के साथ यह मंदिर पूरे भारत में प्रसिद्ध
हो गया।
भगवान सत्यदेव का अनोखा स्वरूप
अन्नावरम मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता है — भगवान सत्यदेव का त्रिमूर्ति स्वरूप।
यहाँ एक ही मूर्ति में तीनों देव विराजमान हैं:
नीचे का भाग – भगवान ब्रह्मा
मध्य भाग – भगवान शिव
ऊपरी भाग – भगवान विष्णु
यह भारत के गिने-चुने मंदिरों में से एक है जहाँ ब्रह्मा, विष्णु और महेश एक साथ पूजे जाते हैं। इसी कारण यह
मंदिर वैष्णव और शैव, दोनों भक्तों के लिए समान रूप से पवित्र है।
रत्नगिरि पहाड़ी और पंपा नदी
मंदिर रत्नगिरि पहाड़ी पर स्थित है, जो लगभग 300 फीट ऊँची है।
इस पहाड़ी के पास बहने वाली पंपा नदी को भी बहुत पवित्र माना जाता है। मान्यता है कि यह नदी भक्तों के
पाप धोकर उन्हें शांति देती है।
मंदिर की बनावट और उसका अर्थ
मंदिर द्रविड़ शैली में बना है और इसका आकार रथ (चैरियट) जैसा है।
रथ के पहिए सूर्य और चंद्रमा का प्रतीक हैं
यह बताता है कि समय निरंतर चलता रहता है
गर्भगृह ब्रह्मांड के केंद्र का प्रतीक माना जाता है
इस बनावट से यह संदेश मिलता है कि ईश्वर पूरे ब्रह्मांड में व्याप्त हैं।
सत्यनारायण व्रत का विशेष महत्व
अन्नावरम पूरे भारत में सत्यनारायण व्रत के लिए प्रसिद्ध है।
यह व्रत लोग करते हैं:
विवाह के लिए
गृह प्रवेश के लिए
संतान, शिक्षा और नौकरी के लिए
व्यापार, स्वास्थ्य और सुख-समृद्धि के लिए
पुराणों के अनुसार, स्वयं भगवान विष्णु ने यह व्रत देवर्षि नारद को मानव कल्याण के लिए बताया था।
आज भी यहाँ रोज़ाना हज़ारों श्रद्धालु यह व्रत करते हैं।
मंदिर परिसर के अन्य दर्शनीय स्थल
मंदिर परिसर में और भी कई पवित्र स्थान हैं:
श्री सीता राम मंदिर (क्षेत्रपाल)
वना दुर्गा और कनक दुर्गा मंदिर
ग्राम देवी नेरेलम्मा मंदिर
आसपास के कई प्राचीन मंदिर, जिनका संरक्षण अन्नावरम ट्रस्ट करता है
तिरुपति के बाद दूसरा सबसे बड़ा तीर्थ
आंध्र प्रदेश में श्रद्धालुओं की संख्या के लिहाज से अन्नावरम को तिरुपति के बाद दूसरा स्थान प्राप्त है।
यहाँ प्रतिदिन लगभग 5,000 से अधिक भक्त दर्शन के लिए आते हैं।
निष्कर्ष
अन्नावरम सत्यानारायण स्वामी मंदिर IndoUS Tribune की आंध्र प्रदेश मंदिर यात्रा का एक अत्यंत महत्वपूर्ण
पड़ाव है।
यह स्थान हमें सिखाता है कि सत्य, श्रद्धा और सेवा से जीवन में शांति और समृद्धि आती है।
IndoUS Tribune की यह यात्रा आगे भी आपको भारत की आध्यात्मिक धरोहर से जोड़ती रहेगी।
� हमारा अगला पड़ाव होगा: श्री क्षेत्र द्वारका तिरुमला, जिसे “आंध्र का छोटा तिरुपति” कहा जाता है।
तब तक के लिए,
भगवान सत्यदेव की कृपा आप सभी पर बनी रहे।