February 22, 2025
काशी विश्वनाथ मंदिर: शिव की भक्ति का अद्भुत केंद्र और सांस्कृतिक धरोहर
Dharam Karam

काशी विश्वनाथ मंदिर: शिव की भक्ति का अद्भुत केंद्र और सांस्कृतिक धरोहर

भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों की यात्रा में हमारा अगला पड़ाव काशी विश्वनाथ मंदिर है। भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों की यात्रा में अब तक हमने 8 ज्योतिर्लिंगों के दर्शन किए हैं, जिनके नाम हैं:

• सोमनाथ ज्योतिर्लिंग, गिर, गुजरात
• मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग, श्रीशैलम, आंध्र प्रदेश
• महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग, उज्जैन, मध्य प्रदेश
• ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग, खंडवा, मध्य प्रदेश
• बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग, देवघर, झारखंड
• भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग, महाराष्ट्र
• रामनाथस्वामी ज्योतिर्लिंग, रामेश्वरम, तमिलनाडु
• नागेश्वर ज्योतिर्लिंग, द्वारका, गुजरात

हमारा अगला पड़ाव वाराणसी, काशी में काशी विश्वनाथ मंदिर है। आइए, अब दर्शन करते हैं काशी विश्वनाथ मंदिर के।

काशी विश्वनाथ मंदिर, वाराणसी, उत्तर प्रदेश में स्थित, भारत के सबसे प्रमुख और महत्वपूर्ण हिंदू मंदिरों में से एक है। यह 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है, जहाँ भगवान शिव को ‘विश्वनाथ’ या ‘विश्वेश्वर’ के रूप में पूजा जाता है, जिसका अर्थ है “संसार के स्वामी”। मान्यता है कि यहाँ भगवान शिव प्रकाश के स्तंभ के रूप में प्रकट हुए थे, जो इसे विशेष रूप से धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व प्रदान करता है। यह मंदिर गंगा नदी के पश्चिमी तट पर स्थित है और हर साल लाखों श्रद्धालु यहाँ दर्शन के लिए आते हैं।

काशी विश्वनाथ मंदिर का इतिहास और निर्माण

मूल रूप से इस मंदिर को ‘आदि विश्वेश्वर मंदिर’ कहा जाता था, जिसका निर्माण सबसे पहले प्राचीन काल में हुआ था। मोहम्मद गोरी के आक्रमण के दौरान इसे नष्ट कर दिया गया था, परंतु बाद में राजा मानसिंह और टोडर मल ने इसे पुनः बनवाया। मुगल सम्राट अकबर के शासनकाल (1585) में भी इसका पुनर्निर्माण किया गया, लेकिन मुगल शासक औरंगजेब ने 1669 में इसे फिर से ध्वस्त कर इसके स्थान पर ज्ञानवापी मस्जिद का निर्माण करवाया। इसके बावजूद, हिंदू भक्त मंदिर के अवशेषों पर लगातार पूजा करते रहे। वर्तमान मंदिर का निर्माण 18वीं शताब्दी में इंदौर की रानी अहिल्या बाई होल्कर ने 1780 में कराया। इस मंदिर की विशेषता इसके सोने के गुंबद और शिखर हैं, जो इसे ‘स्वर्ण मंदिर’ के रूप में भी प्रसिद्ध करते हैं।

मंदिर की संरचना और विशेषताएँ

मंदिर के आंतरिक भाग में अद्भुत नक्काशी और कलात्मक डिजाइन देखने को मिलती है। इसके स्तंभ, बीम और दीवारें बारीकी से नक्काशीदार हैं, जो भारतीय स्थापत्य कला का उत्कृष्ट उदाहरण हैं। मंदिर के परिसर के अंदर कई छोटे शिवलिंग और देवी-देवताओं की मूर्तियाँ स्थापित हैं। मुख्य पूजन शिवलिंग एक काले पत्थर का है, जिसकी ऊँचाई 2 फीट (0.6 मीटर) और परिधि 3 फीट (0.9 मीटर) है, और यह एक चाँदी के पेडस्टल पर स्थित है। इसके अतिरिक्त, आँगन में ज्ञानवापी कुंड स्थित है, जिसे “ज्ञान का स्रोत” माना जाता है, और इसके पानी से ज्ञान और आत्मबोध प्राप्त करने की मान्यता है।

नवीनतम पुनर्निर्माण और काशी विश्वनाथ कॉरिडोर

2021 में काशी विश्वनाथ मंदिर का बड़े पैमाने पर पुनर्निर्माण किया गया और ‘काशी विश्वनाथ धाम कॉरिडोर’ का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किया गया। इस परियोजना का उद्देश्य न केवल मंदिर परिसर का विस्तार करना था, बल्कि भक्तों के लिए सुगम और व्यवस्थित दर्शन की व्यवस्था भी प्रदान करना था। कॉरिडोर के निर्माण के बाद से मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, और 2023 में प्रतिदिन लगभग 45,000 भक्त दर्शन के लिए आने लगे।

इस परियोजना के तहत मंदिर और गंगा घाट को एकीकृत करते हुए लगभग 5 लाख वर्ग फुट क्षेत्र में विस्तार किया गया, जिसमें 400 से अधिक पुराने मकानों को पुनर्व्यवस्थित किया गया। अब भक्त सीधे गंगा घाट से मंदिर तक आसानी से पहुँच सकते हैं, जिससे भीड़भाड़ कम हुई है और सुरक्षा एवं स्वच्छता को बढ़ावा मिला है। इसके साथ ही, मंदिर परिसर में कई आधुनिक सुविधाएँ जैसे फूड प्लाजा, ध्यान केंद्र, प्रदर्शनी हॉल और दुकानों की स्थापना भी की गई है, जो भक्तों के अनुभव को और भी बेहतर बनाती हैं।

नया दर्शन प्रणाली

काशी विश्वनाथ मंदिर में अब एक नई दर्शन प्रणाली लागू की गई है, जिससे भक्तों के लिए दर्शन करना अधिक सुगम हो गया है। अब भक्त बिना किसी धक्का-मुक्की के एक व्यवस्थित कतार में मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश कर सकते हैं और आसानी से शिवलिंग के दर्शन कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त, मंदिर प्रशासन ने ऑनलाइन बुकिंग की सुविधा भी प्रदान की है, जिससे भक्त अपने दर्शन का समय पहले से तय कर सकते हैं। यह नई व्यवस्था विशेष रूप से तीर्थयात्रियों और वृद्ध लोगों के लिए बहुत लाभकारी साबित हो रही है, जो भीड़भाड़ के कारण पहले कठिनाइयों का सामना करते थे।

निष्कर्ष
काशी विश्वनाथ मंदिर भारतीय धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर का अमूल्य रत्न है। यह हिंदू धर्म के अनुयायियों के लिए आस्था और भक्ति का केंद्र है। काशी विश्वनाथ कॉरिडोर और नई दर्शन प्रणाली ने इस पवित्र स्थान को और भी सुविधाजनक और सुलभ बना दिया है, जिससे हर साल लाखों भक्त यहाँ दर्शन और पूजा के लिए आते हैं।

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