November 7, 2024
कैलाश पर्वत यात्रा: एक पवित्र तीर्थयात्रा और रोमांचक अनुभव
Dharam Karam

कैलाश पर्वत यात्रा: एक पवित्र तीर्थयात्रा और रोमांचक अनुभव

कैलाश पर्वत, जिसे हिमालय के मुकुट के रूप में जाना जाता है, दुनिया की सबसे रहस्यमय और पवित्र स्थलों में
से एक है। यह पर्वत 6,638 मीटर (21,778 फीट) की ऊँचाई पर स्थित है और तिब्बत के नागरी प्रांत में पड़ता है।
हिन्दू, बौद्ध, जैन, और बोन धर्म के अनुयायियों के लिए यह स्थान अत्यधिक धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व
रखता है। मान्यता है कि कैलाश पर्वत भगवान शिव का निवास स्थान है, जहाँ से वे सृष्टि का संचालन करते हैं।
इस लेख में हम कैलाश यात्रा के धार्मिक, आध्यात्मिक, और प्राकृतिक महत्व के साथ-साथ यात्रा की जानकारी
और इससे जुड़ी महत्वपूर्ण बातों को विस्तार से जानेंगे।

धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व

कैलाश पर्वत की धार्मिक मान्यताएँ अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं। हिंदू धर्म में, इसे भगवान शिव और माता पार्वती का
निवास स्थान माना जाता है। इस पर्वत पर शिवजी ने तांडव नृत्य किया था, जिसे सृष्टि, पालन, और विनाश का
प्रतीक माना जाता है।

बौद्ध धर्म में, यह गौतम बुद्ध के ध्यान का स्थान माना जाता है। यहाँ के आसपास बौद्ध धर्म के प्रमुख मठ
और पवित्र स्थल स्थित हैं।
जैन धर्म में, पहले तीर्थंकर ऋषभदेव ने कैलाश पर्वत पर ही मोक्ष प्राप्त किया था।
बोन धर्म में इसे पवित्र शक्ति का केंद्र माना जाता है, जहाँ से सृष्टि की उत्पत्ति और जीवन की शुरुआत हुई
थी।

इस स्थान का विशेष महत्व इसकी परिक्रमा में निहित है। कैलाश पर्वत की परिक्रमा (कोरा) को सबसे शुभ और
पवित्र कार्य माना जाता है। एक परिक्रमा करने से ही मोक्ष की प्राप्ति हो सकती है, ऐसा विश्वास किया जाता है।

कैलाश परिक्रमा (कोरा) का महत्व

कैलाश पर्वत की परिक्रमा को धार्मिक और आध्यात्मिक रूप से अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जाता है।

परिक्रमा की लंबाई: यह लगभग 52 किमी की दूरी तय करती है।
समय: इसे पूरा करने में आम तौर पर तीन दिन लगते हैं।
कठिनाई स्तर: यह परिक्रमा कठिन होती है, जिसमें ऊँचाई, ठंडी हवा, और चुनौतीपूर्ण मार्ग होते हैं।
इसके बावजूद श्रद्धालु इसे उत्साह और विश्वास के साथ पूरा करते हैं।

परिक्रमा का उद्देश्य शरीर और आत्मा की शुद्धि और भगवान शिव से आशीर्वाद प्राप्त करना है। परिक्रमा के
दौरान, श्रद्धालु अपने सारे पापों से मुक्ति की कामना करते हैं।

कैलाश यात्रा की विशेषताएँ

1. मानसरोवर झील

कैलाश पर्वत के पास स्थित मानसरोवर झील दुनिया की सबसे पवित्र झीलों में से एक है। इसका नीला पानी और
शांत वातावरण ध्यान और ध्यान के लिए आदर्श स्थान बनाता है। मान्यता है कि इस झील में स्नान करने से सारे
पाप धुल जाते हैं। मानसरोवर झील की परिक्रमा भी कई श्रद्धालु करते हैं, जो 90 किमी की होती है।

2. दोल्मा ला पास

कैलाश पर्वत यात्रा के दौरान, श्रद्धालुओं को दोल्मा ला पास से गुजरना पड़ता है। यह पास समुद्र तल से 5,636
मीटर की ऊँचाई पर स्थित है और इस यात्रा का सबसे कठिन हिस्सा होता है। दोल्मा ला पास को पार करना
आध्यात्मिक यात्रा का महत्वपूर्ण हिस्सा है, जहाँ श्रद्धालु अपने मानसिक और शारीरिक सामर्थ्य की परीक्षा देते
हैं।

कैलाश यात्रा कैसे करें?

कैलाश यात्रा के लिए नेपाल या भारत से यात्रा शुरू की जाती है। भारत सरकार द्वारा संचालित विशेष
तीर्थयात्रा योजनाओं के माध्यम से भी कैलाश यात्रा की जा सकती है। यह यात्रा अत्यंत सावधानी और तैयारी की
माँग करती है।

काठमांडू से कैलाश यात्रा: सबसे पहले आप नेपाल की राजधानी काठमांडू पहुँचते हैं, जहाँ से आपकी
यात्रा शुरू होती है। इसके बाद आप नेपाल-तिब्बत सीमा के पास स्थित केरुंग कस्बे तक सड़क मार्ग से
पहुँचते हैं।
केरुंग से सागा: केरुंग से आप सागा तक यात्रा करते हैं। यह यात्रा बेहद रोमांचक होती है, जहाँ रास्ते में
सुंदर पहाड़, झीलें और बर्फ से ढके क्षेत्र दिखाई देते हैं।
मानसरोवर झील: सागा से आप पवित्र मानसरोवर झील पहुँचते हैं, जहाँ श्रद्धालु स्नान करते हैं और पूजा
करते हैं। यहाँ से कैलाश पर्वत की पहली झलक मिलती है।
कैलाश पर्वत की परिक्रमा: मानसरोवर झील से कैलाश पर्वत की परिक्रमा की जाती है। परिक्रमा की
यात्रा कठिन है और इसके लिए शारीरिक और मानसिक तैयारी आवश्यक है।
दोल्मा ला पास: परिक्रमा के दौरान, सबसे कठिन पड़ाव दोल्मा ला पास होता है, जिसे पार करने के बाद
आप वापस सागा लौटते हैं।
वापसी यात्रा: इसके बाद आप केरुंग होते हुए काठमांडू लौटते हैं।

कैलाश यात्रा की तैयारी और परमिट

कैलाश यात्रा के लिए आपको पहले से विशेष तैयारी करनी होती है, क्योंकि यह यात्रा अत्यधिक ऊँचाई पर होती
है और यहाँ के मौसम की स्थिति अप्रत्याशित होती है। इसके अलावा, तिब्बत में यात्रा करने के लिए आपको
विशेष परमिट और वीज़ा की आवश्यकता होती है, जिसे आधिकारिक टूर ऑपरेटर द्वारा प्राप्त किया जा सकता
है।

परमिट: तिब्बत ट्रैवल परमिट, एरिया परमिट, और समूह परमिट जैसे कई प्रकार के परमिट की
आवश्यकता होती है।
ट्रैवल ऑपरेटर: व्यक्तिगत रूप से कैलाश यात्रा नहीं की जा सकती; यह यात्रा केवल अधिकृत टूर
ऑपरेटर द्वारा संचालित समूहों के माध्यम से ही की जा सकती है।
स्वास्थ्य और फिटनेस: यात्रा शुरू करने से पहले, अपनी शारीरिक क्षमता और स्वास्थ्य की जाँच करवा
लेना आवश्यक है, क्योंकि ऊँचाई पर ऑक्सीजन की कमी होती है और मौसम की स्थिति चुनौतीपूर्ण हो
सकती है।

यात्रा का सबसे अच्छा समय

कैलाश यात्रा के लिए सबसे उपयुक्त समय मई से सितंबर के बीच होता है। इन महीनों में मौसम अपेक्षाकृत साफ
होता है और यात्रा की कठिनाइयाँ कम होती हैं।

गर्मियों में: मानसून से पहले का समय सबसे अच्छा माना जाता है, जब आसमान साफ होता है और
प्राकृतिक दृश्य बेहद खूबसूरत होते हैं।
सितंबर के बाद: ठंड के कारण यात्रा बंद हो जाती है और यह क्षेत्र भारी बर्फबारी से ढक जाता है।

निष्कर्ष

कैलाश पर्वत की यात्रा एक अद्वितीय और अविस्मरणीय अनुभव है, जो न केवल श्रद्धालुओं के लिए आध्यात्मिक
संतोष प्रदान करता है, बल्कि प्रकृति प्रेमियों और रोमांच प्रेमियों के लिए भी एक स्वप्न यात्रा साबित होती है।
इसका धार्मिक और पौराणिक महत्व, इसके शानदार दृश्य और चुनौतीपूर्ण मार्ग सभी मिलकर इसे दुनिया के
सबसे पवित्र और प्रेरणादायक स्थलों में से एक बनाते हैं।

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