December 22, 2024
नर्मदा नदी के प्रत्येक पत्थर का शिवलिंग रूप: आध्यात्मिक महत्व और पौराणिक कथाएँ
Dharam Karam

नर्मदा नदी के प्रत्येक पत्थर का शिवलिंग रूप: आध्यात्मिक महत्व और पौराणिक कथाएँ

हमारी भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों की यात्रा में आज चौथा दर्शन ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग का है, जो नर्मदा नदी के किनारे स्थित है। इस यात्रा के दौरान यह जानना आवश्यक है कि नर्मदा नदी के प्रत्येक पत्थर को शिवलिंग माना जाता है और इसका आध्यात्मिक महत्व क्या है।

नर्मदा नदी से निकलने वाले इन शिवलिंगों को ‘नर्मदेश्वर’ कहा जाता है, जिन्हें घर में स्थापित कर पूजा करना अत्यंत शुभ माना जाता है। यह शिवलिंग साक्षात् शिवस्वरूप हैं और स्वयम्भू रूप से प्रकट होते हैं। शास्त्रों में कहा गया है कि इन शिवलिंगों की पूजा से मणि से करोड़ गुना अधिक फल प्राप्त होता है। गृहस्थ लोगों के लिए नर्मदेश्वर शिवलिंग की पूजा अत्यंत फलदायी मानी जाती है, क्योंकि यह शिवलिंग परिवार का कल्याण और समस्त सिद्धियों की प्राप्ति कराता है।

नर्मदा नदी के पत्थरों का शिवलिंग रूप: पौराणिक कथाएँ स्कन्दपुराण की कथा के अनुसार, एक बार भगवान शिव ने अपने अनोखे रूप से मुनियों और देवताओं को मोहित कर दिया। उनके इस रूप को देखकर मुनियों ने क्रोधित होकर उन्हें शाप दे दिया कि वे लिंगरूप हो जाएं। इसके बाद, शिवजी का लिंगरूप अमरकंटक पर्वत के रूप में प्रकट हुआ और वहां से नर्मदा नदी का प्रवाह हुआ। इसलिए नर्मदा के पत्थरों को शिवरूप माना जाता है, जिसे कहा जाता है “नर्मदा का हर कंकर शंकर है।”

नर्मदा के पत्थरों का शिवलिंग रूप: ब्रह्माजी का वरदान एक अन्य कथा के अनुसार, नर्मदा नदी ने ब्रह्माजी की तपस्या कर उन्हें प्रसन्न किया और गंगा के समान बनने का वर मांगा। हालांकि, ब्रह्माजी ने इसे असंभव बताते हुए नर्मदा को वरदान दिया कि उनके तट पर जितने भी पत्थर होंगे, वे सभी शिवलिंगरूप होंगे, और उनके दर्शन मात्र से सभी पापों का नाश हो जाएगा। इसलिए, नर्मदा के प्रत्येक पत्थर को शिवलिंग माना जाता है, जो भगवान शिव की अपार कृपा और शक्ति का प्रतीक है।

इन कथाओं और मान्यताओं से स्पष्ट होता है कि नर्मदा नदी का हर पत्थर अद्वितीय है और शिवलिंग के रूप में पूजनीय है। यह धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व नर्मदा नदी को अन्य नदियों से अलग और विशेष बनाता है।