
प्रेमपूर्ण व्यवहार: जीवन का अनमोल संदेश
भय और मृत्यु के इस अनोखे संदेश को एक शिष्य की जीवन के माध्यम से समझाया जाता है। यह कहानी है एक संत और उसके शिष्य की, जिनकी गहरी बातचीत ने जीवन को नए आयाम दिये।
संत बैठे थे, उनके पास एक शिष्य आया। यह शिष्य स्वभाव से थोड़ा क्रोधी था, पर उसने अपने गुरु से पूछा – “गुरुजी, आपका व्यवहार इतना मधुर कैसे है? क्या रहस्य है इसमें?” संत ने कहा, “मेरा रहस्य नहीं, तुम्हारा है। तुम अगले हफ्ते मरने वाले हो!”
यह सुनकर शिष्य दुखी हुआ और संत के आशीर्वाद ले वहां से चला गया। लेकिन इस घटना ने उसके जीवन को पूरी तरह से बदल दिया। वह अब हर किसी से प्रेम से मिलता और किसी पर क्रोध नहीं करता था। उसने अपने समय को ध्यान और पूजा में लगाना शुरू कर दिया था। वह उन लोगों से भी मिलता, जिनसे उसने पहले अच्छी तरह से मिलने का सोचा भी नहीं था।
हफ्ते बीतने के बाद उसने पुनः गुरुजी के पास जाकर आशीर्वाद मांगा। संत ने पूछा, “क्या पिछले सात दिनों में तुम्हारा व्यवहार कैसा रहा?” शिष्य ने उत्साह से बताया, “गुरुजी, मैंने न किसी से क्रोध किया, न किसी को अपशब्द कहा। मैंने हर किसी से प्रेमपूर्ण व्यवहार किया।”
तब संत ने बताया, “इसमें मेरे अच्छे व्यवहार का रहस्य है। मुझे पता है कि मैं कभी भी मर सकता हूँ, इसलिए मैं हर किसी से प्रेमपूर्ण व्यवहार करता हूँ।”
यह कहानी हमें यह सिखाती है कि हमारे पास भी सिर्फ सात दिन हैं, जो हमें अपने व्यवहार को सुधारने के लिए उपयुक्त हैं। इस नए दिशा में चलने के लिए हमें प्रेमपूर्ण और समझदार व्यवहार का आदान-प्रदान करना चाहिए।
जीवन में हमें कई बार प्रतिस्पर्धा, असहमति और टूट फूट का सामना करना पड़ता है, परंतु हमारे व्यवहार से हम इस प्रकार के संघर्षों का समाधान ढूंढ सकते हैं। प्रेमपूर्ण और समझदार व्यवहार से हम अपने आसपास के लोगों के साथ संबंधों को मजबूत और सुखद बना सकते हैं।
गुरु जी ने अपने शिष्य को समझाया कि हम सभी का समय सीमित है और हमें इसे जीवन को सार्थक और खुशहाल बनाने में लगाना चाहिए। इसके लिए, हमें निम्नलिखित तरीकों से जीवन जीना चाहिए:
प्रेमपूर्णता और सहानुभूति: हमें दूसरों के प्रति प्रेम और सहानुभूति बनाए रखना चाहिए। इससे हम खुद और अपने आसपास के लोगों के बीच संबंधों को मजबूत कर सकते हैं।
समझदार व्यवहार: हमें जीवन में समझदारी से व्यवहार करना चाहिए। इससे हम समस्याओं को हल करने में मदद मिलती है और हमारे संबंध में सौहार्द बना रहता है।
ध्यान और पूजा: हमें अपने आत्मा के विकास के लिए ध्यान और पूजा में समय निकालना चाहिए। इससे हम आत्मानुवाद के साथ जुड़े रह सकते हैं और आत्मा को शांति प्राप्त होती है।
क्षमा और सहयोग: हमें अपने जीवन में क्षमा और सहयोग के गुण बढ़ाने चाहिए। यह हमें आत्म-संरक्षण और समृद्धि में मदद करता है।
इस तरह से, हम अपने जीवन को प्रेमपूर्ण और संबलित बना सकते हैं, जो हमें स्वयं को संतुष्ट और संतुलित महसूस कराएगा, और हमारे आसपास की दुनिया को भी बेहतर बनाएगा। यह एक वास्तविक साधना है जो हमें सच्ची खुशियों और आनंद की दिशा में ले जाएगी।