भगवान शिव के द्वादश ज्योतिर्लिंग दर्शन अगला पड़ाव: नागेश्वर ज्योतिर्लिंग
By: Dr Avi Verma
हमारी भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों की यात्रा में अब हम पहुँच चुके हैं नागेश्वर ज्योतिर्लिंग पर, जो द्वारका,
गुजरात में स्थित है। इससे पहले हमने सोमनाथ (गुजरात), मल्लिकार्जुन (आंध्र प्रदेश), महाकालेश्वर (मध्य
प्रदेश), ओंकारेश्वर (मध्य प्रदेश), बैद्यनाथ (झारखंड), भीमाशंकर (महाराष्ट्र) और रामनाथस्वामी (तमिलनाडु)
ज्योतिर्लिंगों के दर्शन किए। अब बारी है, पौराणिक और आध्यात्मिक रूप से महत्वपूर्ण नागेश्वर ज्योतिर्लिंग की।
नागेश्वर ज्योतिर्लिंग का महत्त्व और इतिहास
नागेश्वर मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और शिव पुराण के अनुसार इसे भगवान शिव के 12 प्रमुख ज्योतिर्लिंगों में से एक माना जाता है। यह मंदिर ‘दारुकवन’ नामक एक प्राचीन वन में स्थित था, जिसे शिव पुराण में कई बार उल्लेख किया गया है। मान्यता है कि यहाँ एक राक्षस दारुक का शासन था, जिसने शिव भक्त सुप्रिया और अन्य लोगों को बंदी बना लिया था। सुप्रिया ने बंदी शिव भक्तों को “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करने के लिए प्रेरित किया, जिसके बाद भगवान शिव प्रकट हुए और दारुक का वध कर दिया। भगवान शिव ने अपनी दिव्य उपस्थिति को ज्योतिर्लिंग के रूप में वहाँ स्थापित किया। राक्षस दारुक की पत्नी दारुका ने माता पार्वती की तपस्या करके वन का नियंत्रण प्राप्त किया और उस वन का नाम ‘दारुकवन’ रखा गया। शिव और पार्वती के आशीर्वाद से इस क्षेत्र का धार्मिक महत्व और भी बढ़ गया। नागेश्वर ज्योतिर्लिंग में भगवान शिव की कृपा और पार्वती माता का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए भक्त दूर-दूर से यहाँ आते हैं।
ज्योतिर्लिंग की विशेषता
शिव पुराण के अनुसार, जब ब्रह्मा और विष्णु के बीच सर्वश्रेष्ठता को लेकर विवाद हुआ, तब भगवान शिव ने एक
अनंत ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट होकर दोनों को अपनी असीम शक्ति का परिचय कराया। नागेश्वर ज्योतिर्लिंग
को भी भगवान शिव की उस अनंत शक्ति का प्रतीक माना जाता है। यहाँ के शिवलिंग को स्वयंभू (स्वयं प्रकट)
माना जाता है, जो इस स्थान की पवित्रता को और भी बढ़ाता है।
नागेश्वर ज्योतिर्लिंग का वातावरण और आकर्षण
नागेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर एक शांत और दिव्य वातावरण में स्थित है। यहाँ भगवान शिव की एक विशाल 25
मीटर ऊँची प्रतिमा स्थापित है, जो भक्तों को उनकी महिमा और शक्ति की याद दिलाती है। मंदिर के चारों ओर
एक सुंदर बगीचा और एक तालाब है, जो इस पवित्र स्थान को और भी आकर्षक बनाता है।
नागेश्वर ज्योतिर्लिंग का दर्शन और यात्रा मार्ग
नागेश्वर ज्योतिर्लिंग, द्वारका शहर और बेट द्वारका द्वीप के बीच स्थित है। यहाँ पहुँचने के लिए:
हवाई मार्ग से: नजदीकी हवाई अड्डा जामनगर या पोरबंदर है, जहाँ से सड़क मार्ग द्वारा मंदिर तक
पहुँचा जा सकता है।
रेल मार्ग से: द्वारका रेलवे स्टेशन से 16 किलोमीटर की दूरी पर यह मंदिर स्थित है।
सड़क मार्ग से: एनएच 947 से होकर आप नागेश्वर मंदिर तक पहुँच सकते हैं।
इस पवित्र मंदिर के दर्शन के बाद, भक्तों का मन और आत्मा भगवान शिव की महिमा में लीन हो जाता है।
नागेश्वर ज्योतिर्लिंग का दर्शन करने से भक्तों को मोक्ष और भगवान शिव की असीम कृपा प्राप्त होती है। यह स्थान
उन भक्तों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, जो भगवान शिव के अनंत स्वरूप का अनुभव करना चाहते हैं।
नागेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन करके, भक्त अपनी आध्यात्मिक यात्रा को और भी ऊँचाई तक ले जाते हैं।