October 16, 2024
भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग दर्शन यात्रा में अगला पड़ाव: श्री केदारनाथ.
Dharam Karam

भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग दर्शन यात्रा में अगला पड़ाव: श्री केदारनाथ.

अब तक हमने भगवान शिव के इन 10 ज्योतिर्लिंगों के दर्शन कर लिए हैं:


सोमनाथ ज्योतिर्लिंग – गुजरात

मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग – आंध्र प्रदेश

महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग – उज्जैन (मध्य प्रदेश)

ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग – मध्य प्रदेश

वैद्यनाथ (बैद्यनाथ धाम) ज्योतिर्लिंग – झारखंड

भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग – महाराष्ट्र

रामनाथस्वामी ज्योतिर्लिंग – तमिलनाडु

नागेश्वर ज्योतिर्लिंग – गुजरात

काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग – उत्तर प्रदेश

त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग – महाराष्ट्र

और अब हमारी यात्रा का अगला पड़ाव है केदारनाथ धाम। उत्तराखंड राज्य में स्थित यह धाम, शिव भक्तों के लिए अत्यंत पवित्र और ऐतिहासिक स्थल है। यहां की प्राकृतिक सुंदरता और पौराणिक महत्व इसे चार धामों में से एक बनाते हैं। आइए, केदारनाथ के इतिहास और पौराणिक कथाओं पर एक नजर डालते हैं।

केदारनाथ का इतिहास और पौराणिक कथा

पांडवों और भगवान शिव की कथा

महाभारत के महानायक पांडवों ने अपने कुल के लोगों का वध करने के पाप से मुक्ति पाने के लिए भगवान शिव की आराधना की थी। लेकिन भगवान शिव उनसे नाराज़ होकर उनसे छिपना चाहते थे। उन्होंने खुद को एक बैल के रूप में बदल लिया और हिमालय के गर्भ में समा गए। इस स्थान पर भगवान शिव के बैल रूपी शरीर का कूबड़ प्रकट हुआ, और वही स्थल आज केदारनाथ मंदिर के रूप में पूजनीय है। ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण पांडवों ने ही किया था, जबकि वर्तमान मंदिर का पुनर्निर्माण 8वीं शताब्दी में आदिगुरु शंकराचार्य ने किया।

केदारनाथ मंदिर की स्थापत्य कला और विशेषता

केदारनाथ मंदिर लगभग 1,200 साल पुराना माना जाता है और यह भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। यह मंदिर बड़ी-बड़ी पत्थरों की चट्टानों से बना हुआ है, जो इसे एक अद्वितीय स्थापत्य कृति बनाता है। यहां के शिवलिंग को ‘सदाशिव’ के रूप में पूजा जाता है। मंदिर का गर्भगृह पूजा के लिए और मंडप भक्तों की सभा के लिए है। यहां की ठंडी हवाएं और हिमालय की ऊंची चोटियों के बीच स्थित यह मंदिर भक्तों के लिए अद्वितीय आध्यात्मिक अनुभव का केंद्र है।

केदारनाथ की पौराणिक कहानियां

केदारनाथ से जुड़ी कई पौराणिक कथाएं हैं, जो इसे और भी पवित्र बनाती हैं:

पांडवों की कथा: जैसा कि पहले बताया गया, भगवान शिव बैल के रूप में छिप गए थे, और पांडवों ने उनके कूबड़ को केदारनाथ में पाया। भगवान शिव के अन्य अंग तुंगनाथ, रुद्रनाथ, मध्यमहेश्वर और कल्पेश्वर में प्रकट हुए, जिन्हें पंचकेदार के नाम से जाना जाता है।

नर और नारायण की कथा: एक अन्य कथा के अनुसार, नर और नारायण ऋषि ने केदारनाथ में कठोर तपस्या की थी, जिससे प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें यहां वास का आशीर्वाद दिया।

लिंग का निर्माण: ऐसा माना जाता है कि केदारनाथ में स्थित शिवलिंग प्राकृतिक रूप से पृथ्वी, वायु, जल और अग्नि के तत्वों से बना है, जो इसे विशेष और अद्वितीय बनाता है।

केदारनाथ धाम का महत्व

केदारनाथ धाम हिंदू धर्म के चार धामों में से एक है और हर साल लाखों भक्त भगवान शिव के दर्शन के लिए यहां आते हैं। यह मंदिर समुद्र तल से 3,583 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है और यहां तक पहुंचने के लिए भक्तों को कठिन यात्रा करनी पड़ती है। हालांकि, अब हेलीकॉप्टर सेवा भी उपलब्ध है, जिससे यात्रा थोड़ी आसान हो गई है।

केदारनाथ मंदिर का द्वार हर साल कार्तिक माह (अक्टूबर-नवंबर) में बंद होता है और वैशाख माह (अप्रैल-मई) में फिर से खुलता है। इस दौरान मंदिर के कपाट बंद रहते हैं, लेकिन भक्तों की श्रद्धा और विश्वास कभी नहीं थमता। मंदिर के निकट स्थित मंदाकिनी और सरस्वती नदियों के किनारे यह धाम एक अद्वितीय आध्यात्मिक वातावरण प्रदान करता है।

केदारनाथ के अन्य आकर्षण

केदारनाथ धाम में कई अन्य धार्मिक और पर्यटक स्थल भी हैं, जैसे गौरीकुंड, चोरबारी ताल, भैरव मंदिर और वासुकी ताल। ये स्थान भी केदारनाथ की यात्रा को और भी अधिक पवित्र और स्मरणीय बनाते हैं।

कैसे पहुँचे केदारनाथ

केदारनाथ धाम उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है और यह समुद्र तल से 3,583 मीटर (11,755 फीट) की ऊंचाई पर स्थित है। यहाँ पहुँचने के दो प्रमुख रास्ते हैं:

पैदल यात्रा: गौरीकुंड से केदारनाथ तक की दूरी लगभग 16 किलोमीटर है, जिसे भक्त पैदल तय करते हैं। इस यात्रा को पवित्र माना जाता है और भक्तगण इस कठिन यात्रा को श्रद्धापूर्वक करते हैं। यात्रा के दौरान आपको पहाड़ों की मनमोहक प्राकृतिक सुंदरता और मंदिर की अद्भुत छटा देखने को मिलेगी।
हेलीकॉप्टर सेवा: यदि आप पैदल यात्रा नहीं करना चाहते हैं, तो केदारनाथ तक पहुँचने के लिए हेलीकॉप्टर सेवा का भी उपयोग कर सकते हैं। यह सेवा जोली ग्रांट एयरपोर्ट, देहरादून और सेरसी गाँव के पास फाटा हेलीपैड से उपलब्ध है। हेलीकॉप्टर द्वारा यात्रा लगभग 40 मिनट में पूरी हो जाती है।

समापन

केदारनाथ धाम का इतिहास, पौराणिक कथाएं और प्राकृतिक सुंदरता इसे न सिर्फ एक धार्मिक स्थल बल्कि एक आध्यात्मिक यात्रा का अद्वितीय अनुभव बनाते हैं। भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक केदारनाथ धाम में भगवान शिव की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करना हर भक्त का सपना होता है।

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