
आंध्र प्रदेश यात्रा: सातवाँ पड़ाव – अमरा लिंगेश्वर मंदिर (अमरावती)
IndoUS Tribune की “यात्रा और दर्शन” श्रृंखला में आपका पुनः स्वागत है! आंध्र प्रदेश के मंदिरों की हमारी आध्यात्मिक यात्रा अब सातवें पवित्र पड़ाव पर पहुँच चुकी है। पहले पड़ाव में हमने तिरुमला वेंकटेश्वर मंदिर (तिरुपति) के दिव्य दर्शन किए, और अब हम आपको ले चलेंगे अमरालिंगेश्वर मंदिर, जिसे स्थानीय रूप से अमरारामम् मंदिर के नाम से भी जाना जाता है — यह भगवान शिव को समर्पित एक अत्यंत पवित्र तीर्थस्थान है।
अमरालिंगेश्वर मंदिर का पौराणिक और ऐतिहासिक महत्व
अमरालिंगेश्वर मंदिर आंध्र प्रदेश के गुंटूर जिले के अमरावती में स्थित है और यह पंचरामा क्षेत्रों में से एक है — पाँच प्राचीन शिव मंदिरों का समूह जो देश भर के शिवभक्तों के लिए अत्यंत श्रद्धा का केंद्र है। यहाँ भगवान शिव को अमरेश्वर / अमरालिंगेश्वर स्वामी के रूप में पूजा जाता है, और उनकी शक्ति के समान रूप से देवी बाला चामुंडिका उनकी आराध्य संगिनी हैं। Wikipedia+1
पंचरामा कथानुसार, भगवान शिव का लिंग काले असुर तरकासुर के शरीर पर था, जिसे शिव के पुत्र कार्तिकेय ने विघटित किया। उस लिंग के पांच विखंडित टुकड़े अलग-अलग स्थानों पर गिरे और उन्हें पंचरामा क्षेत्रों में प्रतिष्ठित किया गया — अमरावती में गिरा टुकड़ा यहाँ स्थापित हुआ। Culture and Heritage
विशेषताएँ और दर्शन
अमरालिंगेश्वर मंदिर अपने 15 फुट ऊँचे सफेद शिवलिंग के लिए प्रसिद्ध है, जिसे अमरेश्वर / अमरालिंगेश्वर कहा जाता है। यह शिवलिंग पंचरामा में सबसे बड़ा माना जाता है और इसका नाप लगभग तीन फुट परिधि का है। Wikipedia
सभ्य कथा के अनुसार, यह लिंग बढ़ता जा रहा था और इसलिए उसके शीर्ष पर एक कील ठोंकी गई, जिससे खून जैसा लाल धब्बा बना — जो आज भी भक्तों को देखने को मिलता है। इसी वजह से इसकी अनोखी पहचान है। The New Indian Express
मंदिर ड्रविड़ शैली की संरचना में बना है और इसके चारों दिशाओं में ऊँचे गोपुरम हैं जो दर्शनीय हैं। यहाँ कृष्णा नदी के तट पर स्थित होने के कारण इसका वातावरण अत्यंत शांत और आध्यात्मिक है। Wikipedia
सामाजिक और सांस्कृतिक आयाम
मंदिर में हर साल हजारों की संख्या में भक्त आते हैं, विशेष रूप से कार्तिका मासम् जैसे पवित्र महीनों में, जब विशेष पूजा विधियाँ और तेप्पोत्सव (नौका उत्सव) का आयोजन होता है। मंदिर प्रशासन तीर्थयात्रियों के लिए सुविधाएँ भी प्रदान करता है, जैसे जल, आवास, अन्नदान और उत्तरदायित्वपूर्ण व्यवस्था। The New Indian Express
इतिहास के पन्नों में भी इस मंदिर का योगदान उल्लेखनीय है — यहाँ वसीरेड्डी वेंकटाद्री नायडू, कोटा शासक और विजयनगर साम्राज्य जैसे राजाओं ने मंदिर के संरक्षण और विस्तार में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। Wikipedia
आध्यात्मिकता और दर्शन लाभ
अमरालिंगेश्वर मंदिर न केवल एक स्थापत्य चमत्कार है, बल्कि यह भक्ति और शांति का एक केंद्र भी है। पंचरामा क्षेत्रों की तरह, यह स्थल शिवभक्तों के लिए मोक्ष और आंतरिक शांति की खोज का प्रतीक है — जहाँ श्रद्धालु पूजा-अर्चना के लिए दूर-दूर से आते हैं। The Times of India
IndoUS Tribune की “यात्रा और दर्शन” श्रृंखला में अमरालिंगेश्वर मंदिर के दर्शन हमें एक बार फिर भारतीय संस्कृति की प्राचीन आध्यात्मिकता, मंदिर स्थापत्य और पौराणिक परंपराओं से जोड़ते हैं।
हमारे अगले पड़ाव पर हम पहुँचेंगे द्राक्षारामम् मंदिर (कोनासेमा) — एक ऐसा स्थान जहाँ भगवान शिव को भीमेश्वर स्वामी के रूप में पूजा जाता है, और जो पञ्चरामा में अपनी विशिष्ट पहचान रखता है।
तब तक, भगवान अमरालिंगेश्वर की कृपा आपके जीवन में सुख, शांति और समृद्धि लेकर आए — यही हमारी शुभकामना।