
IndoUS Tribune की हरिद्वार के मंदिरों की यात्रा का सातवाँ पड़ाव: भारत माता मंदिर – देशभक्ति औरआध्यात्मिकता का संगम: भारत माता मंदिर
हरिद्वार, जिसे ‘धर्म द्वार’ कहा जाता है, हिंदू धर्म में एक अत्यंत पवित्र स्थल है। यहाँ के हर मंदिर और घाट अपनी
एक विशेषता रखते हैं, जो उन्हें श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र बनाता है। IndoUS Tribune की हरिद्वार के
मंदिरों और पवित्र स्थलों की आध्यात्मिक यात्रा के सातवें पड़ाव पर हम आपको लेकर आए हैं भारत माता मंदिर
– एक अनूठा तीर्थ स्थल जो न केवल आध्यात्मिकता बल्कि देशभक्ति की भावना का भी प्रतीक है।
भारत माता मंदिर का परिचय भारत माता मंदिर, जिसे स्वामी सत्यामित्रानंद गिरी द्वारा स्थापित किया गया
था, 15 मई 1983 को तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी द्वारा उद्घाटित किया गया था। यह मंदिर किसी
पारंपरिक देवता को समर्पित न होकर भारत माता यानी संपूर्ण राष्ट्र को समर्पित है। यहाँ भारत की विविधता,
सांस्कृतिक विरासत और एकता को दर्शाया गया है। यह मंदिर श्रद्धालुओं के लिए केवल एक पूजा स्थल नहीं,
बल्कि भारत की समृद्ध परंपराओं और राष्ट्रीयता का प्रतीक भी है।
वास्तुकला और संरचना भारत माता मंदिर अपनी अनूठी वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है। 180 फीट ऊँचा यह
मंदिर आठ मंज़िलों में विभाजित है, जिनमें से प्रत्येक मंज़िल एक विशेष विषय को समर्पित है:
पहली मंज़िल (भारत माता कक्ष): यहाँ भारत माता की विशाल प्रतिमा स्थापित है, जो राष्ट्र की पोषण
और संरक्षण की भावना को दर्शाती है। इस मंज़िल पर भारत का एक विशाल मानचित्र भी बना हुआ है,
जो राष्ट्र की भौगोलिक विविधता को दर्शाता है।
दूसरी मंज़िल (शूर मंदिर): यह मंज़िल स्वतंत्रता सेनानियों को समर्पित है। यहाँ भगत सिंह, चंद्रशेखर
आज़ाद, नेताजी सुभाष चंद्र बोस और महात्मा गांधी सहित अनेक वीरों की प्रतिमाएँ स्थापित हैं।
तीसरी मंज़िल (मातृ मंदिर): इस मंज़िल पर मीरा बाई, सावित्री, मैत्री, रानी लक्ष्मीबाई आदि महान
महिलाओं की उपलब्धियों को दर्शाया गया है। यह भारत की नारी शक्ति को श्रद्धांजलि अर्पित करता है।
चौथी मंज़िल (संत मंदिर): यहाँ भारत के विभिन्न धर्मों के संतों की शिक्षाओं को प्रस्तुत किया गया है,
जिनमें गुरु नानक, कबीर, तुलसीदास, गौतम बुद्ध और महावीर स्वामी के विचारों को दर्शाया गया है।
पाँचवीं मंज़िल (सभा कक्ष): इस मंज़िल पर भारतीय धर्मों की एकता को चित्रों और भित्तिचित्रों के
माध्यम से दर्शाया गया है। यह मंज़िल विभिन्न धर्मों और सांस्कृतिक धरोहरों को एक ही छत के नीचे
संजोए हुए है।
छठी मंज़िल: यहाँ देवी शक्ति के विभिन्न रूपों जैसे दुर्गा, पार्वती, काली, सरस्वती, लक्ष्मी और राधा की
प्रतिमाएँ स्थापित हैं। यह मंज़िल मातृशक्ति की आराधना का प्रतीक है।
सातवीं मंज़िल: यह मंज़िल भगवान विष्णु के विभिन्न अवतारों को समर्पित है, जिनमें राम, कृष्ण,
नृसिंह, वामन और अन्य अवतार शामिल हैं।
आठवीं मंज़िल: यहाँ भगवान शिव को समर्पित एक विशाल मंदिर स्थित है, जहाँ से सप्त सरोवर और
हिमालय की अद्भुत झलक देखने को मिलती है। इस मंज़िल से हरिद्वार का विहंगम दृश्य देखने को
मिलता है।
राष्ट्रीय एकता और सामाजिक सेवा का केंद्र भारत माता मंदिर न केवल आध्यात्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि
यह सामाजिक सेवा और राष्ट्रीय एकता का केंद्र भी है। यह मंदिर विभिन्न सामाजिक सेवा कार्यक्रमों के माध्यम से
समाज के वंचित वर्गों की सहायता करता है। यहाँ विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन भी
किया जाता है, जो देश की विविधता में एकता को उजागर करते हैं। यह स्थान किसी भी जाति, धर्म या संप्रदाय
की सीमाओं से परे, सभी को समान रूप से एकता और देशभक्ति का संदेश देता है।
कैसे पहुँचे? भारत माता मंदिर हरिद्वार के सप्त सरोवर क्षेत्र में स्थित है। यहाँ पहुँचने के लिए स्थानीय बसें, टोंगे,
रिक्शा या टैक्सी आसानी से उपलब्ध हैं। यह मंदिर हरिद्वार रेलवे स्टेशन से लगभग 5 किलोमीटर की दूरी पर
स्थित है और यहाँ तक पहुँचने के लिए तीर्थयात्री आसानी से सार्वजनिक या निजी परिवहन का उपयोग कर
सकते हैं।
भारत माता मंदिर एक ऐसा स्थान है जहाँ आकर न केवल श्रद्धालु आध्यात्मिक ऊर्जा से भर जाते हैं, बल्कि वे
अपने देश के गौरव और समृद्ध संस्कृति को भी महसूस कर सकते हैं। IndoUS Tribune की इस यात्रा में, हम
आपको इस अद्भुत स्थल की ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक गहराइयों से परिचित करा रहे हैं।