
IndoUS Tribune की हरिद्वार मंदिर यात्रा का 11वाँ पड़ाव: बिड़ला घाट – गंगा तट पर शांति, श्रद्धा और साधना का संगम
हरिद्वार — जहाँ गंगा धरती पर अवतरित होती हैं, और जहाँ हर घाट एक कथा, एक आस्था और एक आत्मिक अनुभव को समेटे हुए है। IndoUS Tribune की हरिद्वार मंदिर यात्रा के ग्यारहवें पड़ाव पर हम पहुँचे हैं बिड़ला घाट, जो कि न केवल हरिद्वार के प्राचीन घाटों में से एक है, बल्कि आत्मिक शांति और भक्ति का एक जीवंत प्रतीक भी है।
विष्णु घाट के समीप स्थित यह घाट हरिद्वार के उन गिने-चुने स्थानों में शामिल है जहाँ शांति, स्वच्छता और सुरक्षात्मक व्यवस्था के साथ गंगास्नान का सौम्य अनुभव प्राप्त होता है। यह घाट भारत की प्रसिद्ध औद्योगिक और धार्मिक परिवार बिड़ला परिवार द्वारा निर्मित किया गया था, जिनका राष्ट्र और संस्कृति के प्रति योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण रहा है।
पौराणिकता और इतिहास:
बिड़ला घाट से जुड़ी कोई विशेष पौराणिक कथा तो नहीं मिलती, लेकिन इसका महत्व हरिद्वार की उस सनातन परंपरा में है, जहाँ गंगा के प्रत्येक तट को पूज्य और दिव्य माना गया है। यह घाट श्रद्धालुओं को पवित्र गंगा में स्नान कर आत्मिक शुद्धि और मोक्ष की अनुभूति प्रदान करता है। माना जाता है कि इस घाट पर की गई प्रार्थनाएँ शीघ्र फलदायी होती हैं और यहाँ की शांति और सादगी आत्मा को गहराई से छू जाती है।
शांति और भक्ति का केन्द्र:
बिड़ला घाट पर जैसे ही आप पहुँचते हैं, एक अद्भुत शांति आपको घेर लेती है। गंगा का मधुर कलकल, गहराती संध्या की छाया, और श्रद्धालुओं की मौन साधना — ये सब मिलकर इस स्थान को एक आध्यात्मिक आश्रय बना देते हैं। यहाँ की सीढ़ियाँ सीधे गंगा में उतरती हैं, और उनके पास सुरक्षा रेलिंग भी उपलब्ध है ताकि स्नान करते समय श्रद्धालुओं को कोई असुविधा न हो।
गंगा आरती का दिव्य अनुभव:
शाम को बिड़ला घाट पर होने वाली गंगा आरती यहाँ के वातावरण को एक नई ऊर्जा से भर देती है। जब पुजारी पारंपरिक वस्त्रों में मंत्रोच्चारण करते हुए दीप प्रज्वलित करते हैं, और जब सैकड़ों दीपक गंगा में प्रवाहित होते हैं — तो यह दृश्य केवल आँखों से नहीं, आत्मा से अनुभव होता है। यह आरती हरिद्वार की अन्य प्रसिद्ध आरतियों की तुलना में अधिक शांत और व्यक्तिगत अनुभव प्रदान करती है।
त्योहारों की रौनक:
श्रावण मास, कार्तिक पूर्णिमा, और गंगा दशहरा जैसे पर्वों पर बिड़ला घाट भक्ति, सजावट और दीपों की रोशनी से जगमगा उठता है। कुंभ और अर्धकुंभ मेले के समय यह घाट भी श्रद्धालुओं के प्रमुख स्नान स्थलों में से एक बन जाता है। यहाँ आकर श्रद्धालु केवल पूजा ही नहीं करते, बल्कि भारत की जीवंत धार्मिक परंपरा का हिस्सा भी बनते हैं।
आसपास के दर्शनीय स्थल:
बिड़ला घाट से कुछ ही दूरी पर माँ मनसा देवी और चंडी देवी मंदिर स्थित हैं, जहाँ से हरिद्वार का विहंगम दृश्य देखा जा सकता है। साथ ही, सप्तऋषि आश्रम भी पास ही है, जहाँ सप्तऋषियों ने ध्यान और तपस्या की थी।
बिड़ला घाट केवल एक स्नान स्थल नहीं, बल्कि एक अनुभव है
जहाँ गंगा की धारा आत्मा को छूती है, जहाँ शांति हृदय में उतरती है, और जहाँ श्रद्धा, साधना और संस्कृति एक साथ प्रवाहित होते हैं। IndoUS Tribune की हरिद्वार यात्रा में यह पड़ाव हमें यह सिखाता है कि भक्ति केवल शोर में नहीं, बल्कि मौन में भी होती है।