March 29, 2025
हरिद्वार के मंदिरों की यात्रा का तीसरा पड़ाव: हर की पौड़ी
Dharam Karam

हरिद्वार के मंदिरों की यात्रा का तीसरा पड़ाव: हर की पौड़ी

हरिद्वार, जिसे ‘धर्म द्वार’ कहा जाता है, हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र स्थानों में से एक है। यहां बहने वाली मां गंगा न केवल आस्था का प्रतीक हैं, बल्कि मोक्ष प्राप्ति का द्वार भी मानी जाती हैं। IndoUS Tribune की हरिद्वार के मंदिरों की आध्यात्मिक यात्रा के तीसरे पड़ाव पर हम लेकर आए हैं आपको “हर की पौड़ी” – वह पवित्र स्थल, जहां गंगा पहाड़ों से मैदानों में प्रवेश करती हैं और जहां हर दिन भव्य गंगा आरती का आयोजन होता है। यहां की दिव्यता, पौराणिकता और श्रद्धा की अद्भुत गाथा को विस्तार से जानने के लिए पढ़ें हमारा विशेष आलेख।

हर की पौड़ी: हरिद्वार का दिव्य संगम

हरिद्वार, जिसे देवभूमि कहा जाता है, अपने पवित्र घाटों और आध्यात्मिकता के लिए प्रसिद्ध है। इस पवित्र नगरी में स्थित हर की पौड़ी न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि यह श्रद्धालुओं के लिए आस्था, विश्वास और मोक्ष की प्रतिमूर्ति भी है। यह स्थान गंगा नदी के किनारे स्थित प्रमुख घाटों में से एक है, जहां भक्तगण पुण्य स्नान कर अपने पापों का प्रायश्चित करते हैं।

हर की पौड़ी का पौराणिक महत्व

हर की पौड़ी का शाब्दिक अर्थ है “भगवान के चरण”। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान विष्णु के चरण चिन्ह यहाँ मौजूद हैं, जो इसे अत्यंत पवित्र बनाते हैं। कहा जाता है कि यह वही स्थान है जहां से गंगा नदी पर्वतों को छोड़कर मैदानी क्षेत्र में प्रवेश करती है। इस स्थल को “ब्रह्मकुंड” भी कहा जाता है और मान्यता है कि समुद्र मंथन के दौरान अमृत की कुछ बूंदें इसी स्थान पर गिरी थीं।

हर की पौड़ी को राजा विक्रमादित्य ने अपने भाई भरथरी की स्मृति में बनवाया था, जो भगवान शिव के परम भक्त थे। उनकी तपस्या और भक्ति को चिरस्थायी बनाने के लिए राजा ने इस पवित्र घाट का निर्माण करवाया।

गंगा आरती: आध्यात्मिक अनुभूति

हर की पौड़ी पर प्रतिदिन होने वाली गंगा आरती एक दिव्य और अद्भुत दृश्य प्रस्तुत करती है। शाम के समय जब आकाश में सूर्यास्त की लालिमा होती है, तब मंदिरों के घंटे और शंख ध्वनि के साथ गंगा आरती प्रारंभ होती है।

गंगा आरती के दौरान दीपों की जगमगाहट, मंत्रोच्चार और शंखनाद से संपूर्ण वातावरण भक्तिमय हो जाता है। श्रद्धालु अपने हाथों में दीप प्रवाहित कर माँ गंगा का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। यह दृश्य हर किसी के मन में आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार करता है और लोगों को प्रभु भक्ति में लीन कर देता है।

हर की पौड़ी में स्नान का महत्व

हिंदू धर्म में मान्यता है कि हर की पौड़ी पर गंगा स्नान करने से जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है। विशेष रूप से कुंभ मेला और अर्ध कुंभ मेले के दौरान यहाँ लाखों श्रद्धालु गंगा स्नान के लिए आते हैं। माना जाता है कि इन पावन अवसरों पर गंगा में स्नान करने से आत्मा शुद्ध होती है और व्यक्ति को स्वर्ग की प्राप्ति होती है।

त्योहार और प्रमुख आयोजन

हर की पौड़ी वर्ष भर अनेक धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजनों का केंद्र रहती है। इनमें से कुछ प्रमुख आयोजन इस प्रकार हैं:

  • कुंभ मेला: हर 12 वर्षों में होने वाला विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक मेला।
  • अर्ध कुंभ मेला: हर 6 वर्षों में आयोजित होने वाला कुंभ का लघु संस्करण।
  • श्रावण मास: इस महीने में हजारों कांवड़िए गंगा जल लेकर शिवलिंग का अभिषेक करने जाते हैं।
  • गंगा दशहरा: इस दिन माँ गंगा का धरती पर अवतरण हुआ था।
  • सावन सोमवार: भक्तजन इस दौरान गंगाजल अर्पित कर भगवान शिव की पूजा करते हैं।

हर की पौड़ी से जुड़े अन्य प्रमुख स्थल

हर की पौड़ी के आसपास कई प्रसिद्ध मंदिर और स्थल हैं, जहां श्रद्धालु दर्शन कर अपनी यात्रा को पूर्णता प्रदान कर सकते हैं:

  • माया देवी मंदिर: हरिद्वार का एक प्रमुख शक्ति पीठ।
  • मनसा देवी मंदिर: यह मंदिर बिल्लवा पर्वत पर स्थित है और यहाँ जाने के लिए रोपवे की सुविधा उपलब्ध है।
  • चंडी देवी मंदिर: नील पर्वत पर स्थित, देवी दुर्गा के चंडी रूप को समर्पित।
  • भारत माता मंदिर: भारत माता को समर्पित यह मंदिर अनोखी वास्तुकला का उदाहरण है।

हर की पौड़ी की आध्यात्मिक यात्रा

हर की पौड़ी सिर्फ एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि यह एक आत्मिक शांति और ऊर्जा प्राप्त करने का स्थान भी है। यहाँ की पवित्रता, मंत्रों की गूंज, दीपों की ज्योति और गंगा की अविरल धारा हर भक्त को मोक्ष और आत्मिक संतोष का अनुभव कराती है। जो भी व्यक्ति हरिद्वार आता है, उसकी यात्रा तब तक अधूरी मानी जाती है जब तक वह हर की पौड़ी के दर्शन न कर ले।

हर की पौड़ी वह स्थान है जहाँ धर्म, संस्कृति और अध्यात्म का अद्भुत संगम देखने को मिलता है। यदि आप कभी भी हरिद्वार की यात्रा करें, तो इस पवित्र घाट पर आकर माँ गंगा की आरती और स्नान का पुण्य लाभ अवश्य लें।

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