March 29, 2025
IndoUS Tribune की हरिद्वार के मंदिरों की यात्रा का पाँचवां पड़ाव: हरिद्वार की दिव्य गंगा आरती
Dharam Karam

IndoUS Tribune की हरिद्वार के मंदिरों की यात्रा का पाँचवां पड़ाव: हरिद्वार की दिव्य गंगा आरती

हरिद्वार, जिसे ‘धर्म द्वार’ कहा जाता है, हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र स्थानों में से एक है। यहां गंगा माता का साक्षात स्वरूप देखने को मिलता है, जहां उनकी महिमा में हर दिन भव्य गंगा आरती का आयोजन होता है। IndoUS Tribune की हरिद्वार के मंदिरों और पवित्र स्थलों की आध्यात्मिक यात्रा के पाँचवें पड़ाव पर हम आपको लेकर आए हैं हरिद्वार की प्रसिद्ध गंगा आरती में – वह दिव्य अनुष्ठान, जहां गंगा माता की आरती के साथ सारा वातावरण मंत्रमुग्ध हो जाता है और श्रद्धालु स्वयं को ईश्वर के और अधिक समीप महसूस करते हैं। इस विशेष लेख में पढ़िए गंगा आरती का महत्व, इतिहास, पौराणिक कथाएं और हरिद्वार के प्रमुख घाटों पर आरती का समय।

हरिद्वार की दिव्य गंगा आरती – आस्था का अनूठा संगम

हरिद्वार को प्राचीन काल से ही गंगा माता का प्रवेश द्वार माना जाता है। यहाँ गंगा नदी अपने पूरे वेग से बहती है और श्रद्धालु जन गंगा माता के दर्शन, स्नान और पूजन कर अपने जीवन को धन्य मानते हैं।

हरिद्वार की गंगा आरती केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि करोड़ों श्रद्धालुओं के लिए आत्मिक शांति, पुण्य और मोक्ष का मार्ग है। सूर्यास्त के समय दीपों की जगमगाहट, मंत्रोच्चारण और घंटियों की ध्वनि जब गंगा के प्रवाह में घुलती है, तो मानो स्वर्ग पृथ्वी पर उतर आता है।


गंगा आरती का ऐतिहासिक महत्व और पौराणिक कथा

पौराणिक कथाओं के अनुसार, गंगा माता का धरती पर अवतरण राजा भगीरथ की कठिन तपस्या के बाद हुआ था। गंगा का वेग इतना प्रचंड था कि भगवान शिव ने उन्हें अपनी जटाओं में धारण कर उसकी धारा को शांत किया। हरिद्वार वह पुण्य भूमि है जहाँ गंगा सबसे पहले मैदानों में प्रवेश करती हैं।

मान्यता है कि हरिद्वार में गंगा आरती करने से व्यक्ति के समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसलिए हरिद्वार में गंगा आरती का विशेष महत्व है और यह परंपरा सदियों से चली आ रही है।


हर की पौड़ी – गंगा आरती का मुख्य केंद्र

हरिद्वार की सबसे प्रसिद्ध और भव्य गंगा आरती हर की पौड़ी घाट पर होती है। कहते हैं स्वयं भगवान विष्णु ने यहाँ अमृत कुंभ रखा था और यह वह स्थान है जहाँ अमृत की कुछ बूंदें गिरी थीं। इसलिए हर की पौड़ी को “अमृत कुण्ड” भी कहा जाता है।

यहाँ गंगा आरती में सैकड़ों पंडित मंत्रोच्चारण के साथ बड़ी-बड़ी दीपमालाएं लेकर गंगा माता की आरती करते हैं। चारों तरफ भक्त ‘हर हर गंगे’ और ‘जय मां गंगे’ के जयकारे लगाते हैं। आरती के समय गंगा घाट दीपों की रौशनी से जगमगा उठता है और वातावरण पूरी तरह आध्यात्मिक ऊर्जा से भर जाता है।

अन्य प्रमुख घाट जहाँ होती है गंगा आरती

1. मल्की घाट

  • यह घाट अपेक्षाकृत शांत है और यहाँ स्थानीय लोग गंगा आरती करते हैं।
  • यहाँ की आरती सुबह-सुबह बहुत ही शांति और सादगी से होती है।

2. कुशावर्त घाट

  • यह घाट भी गंगा स्नान और आरती के लिए प्रसिद्ध है।
  • मान्यता है कि यहीं ऋषि दुर्वासा ने तप किया था।
  • आरती का समय: सुबह 6:00 बजे और शाम 6:00 बजे

3. सुभाष घाट

  • हर की पौड़ी के पास ही स्थित यह घाट भी गंगा आरती के लिए जाना जाता है।
  • यहाँ आरती की भव्यता कम लेकिन आत्मिक शांति अधिक मिलती है।

गंगा आरती का समय – कब और कहाँ?

हरिद्वार में गंगा आरती दिन में दो बार होती है:

घाट का नामसुबह का समयशाम का समय
हर की पौड़ीसूर्योदय के समय (लगभग 5:30 बजे)सूर्यास्त के समय (शाम 6:00 – 7:00 बजे, मौसम के अनुसार)
मल्की घाटसुबह 6:00 बजेशाम 6:00 बजे
कुशावर्त घाटसुबह 6:00 बजेशाम 6:00 बजे
सुभाष घाटसुबह 6:00 बजेशाम 6:00 बजे

विशेष: सर्दियों में आरती का समय थोड़ा पहले और गर्मियों में थोड़ा देर से शुरू होता है।


गंगा आरती में विशेष अनुभव

  • आरती के दौरान भक्त दीप जलाकर गंगा में प्रवाहित करते हैं। यह दृश्य अत्यंत मनोहारी होता है।
  • आरती में भाग लेने से अद्भुत शांति और ऊर्जा का अनुभव होता है।
  • माना जाता है कि गंगा आरती देखने मात्र से व्यक्ति के पाप कटते हैं और उसे पुण्य की प्राप्ति होती है।

निष्कर्ष – गंगा आरती हरिद्वार की आत्मा है

हरिद्वार की गंगा आरती एक ऐसा अनुभव है जो जीवन में एक बार अवश्य करना चाहिए। यहाँ आकर यह महसूस होता है कि प्रकृति, मानव और ईश्वर एक ही सूत्र में बंधे हुए हैं। गंगा आरती केवल पूजा नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक यात्रा है जो आत्मा को परमात्मा से जोड़ देती है।

हरिद्वार की यात्रा तब तक अधूरी है जब तक आप हर की पौड़ी पर गंगा आरती का अनुभव न करें।

हर हर गंगेजय मां गंगे!”

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