IndoUS Tribune की हरिद्वार मंदिर यात्रा का 12वाँ पड़ाव: गौ घाट – आत्मशुद्धि, श्रद्धा और अमरत्व की खोज का स्थल

IndoUS Tribune की हरिद्वार मंदिर यात्रा का 12वाँ पड़ाव: गौ घाट – आत्मशुद्धि, श्रद्धा और अमरत्व की खोज का स्थल

हरिद्वार – गंगा माँ की दिव्यता से ओतप्रोत यह नगरी भारत की धार्मिक और आध्यात्मिक चेतना का केन्द्र रही है।
हरिद्वार में स्थित प्रत्येक घाट एक गहरी पौराणिक कथा, आस्था की परंपरा और आत्मिक अनुभूति का प्रतीक है।
IndoUS Tribune की मंदिर यात्रा श्रृंखला के बारहवें पड़ाव पर हम पहुँचे हैं गौ घाट — एक ऐसा स्थल जहाँ
श्रद्धालु केवल शारीरिक स्नान ही नहीं करते, बल्कि आत्मा के बोझ से भी मुक्त होते हैं।

गौ घाट का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व

गौ घाट, हर की पौड़ी के दक्षिणी छोर पर स्थित है, और यह अपने धार्मिक महत्व के साथ-साथ ऐतिहासिक दृष्टि
से भी अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है। यह घाट अपेक्षाकृत शांत और कम भीड़भाड़ वाला है, जहाँ गहन साधना और
आत्मचिंतन के लिए उपयुक्त वातावरण प्राप्त होता है।

यही वह घाट है जहाँ महात्मा गांधी, पंडित जवाहरलाल नेहरू और श्रीमती इंदिरा गांधी जैसी महान विभूतियों
की अस्थियों का विसर्जन किया गया था। इससे इस घाट की ऐतिहासिक गरिमा और भी बढ़ जाती है।
नाम ‘गौ घाट’ क्यों पड़ा?

हिंदू धर्म में गाय को माँ का दर्जा प्राप्त है और उसकी हत्या को महापाप माना जाता है — यह पाप ब्राह्मण हत्या
के समकक्ष माना जाता है। इसी विश्वास के आधार पर इस घाट का नाम गौ घाट पड़ा। ऐसा माना जाता है कि
यदि किसी व्यक्ति से अनजाने में भी गोहत्या जैसा पाप हुआ हो, तो वह इस घाट पर स्नान करके उस पाप से मुक्त
हो सकता है। श्रद्धालु यहाँ स्नान कर आत्मशुद्धि की कामना करते हैं और अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए
पिंडदान एवं तर्पण करते हैं।

पौराणिक मान्यता और हर की पौड़ी से संबंध

गौ घाट, हर की पौड़ी का ही एक अभिन्न अंग है। हर की पौड़ी का अर्थ होता है “हरि के चरण” — और यह वह
स्थल है जहाँ गंगा नदी को पृथ्वी पर भगवान विष्णु के चरणों के स्पर्श का गौरव प्राप्त है। यहाँ एक शिला पर
भगवान विष्णु के चरणचिह्न आज भी विद्यमान हैं और भक्तगण उन्हें साक्षात हरि का प्रतीक मानकर पूजा करते
हैं।

इसके अतिरिक्त, यह भी मान्यता है कि समुद्र मंथन के समय जब देवताओं और असुरों ने अमृत कलश को प्राप्त
किया, तब अमृत की कुछ बूंदें धरती पर चार स्थानों पर गिरीं — हरिद्वार, उज्जैन, नासिक और प्रयागराज।
हरिद्वार में अमृत की यह बूंदें हर की पौड़ी के निकट गिरी थीं, और गौ घाट उसी पवित्र क्षेत्र का हिस्सा है।

आध्यात्मिक अनुभव और आयोजन

गौ घाट पर प्रतिदिन गंगा आरती का आयोजन होता है, जिसमें श्रद्धालु दीप प्रज्वलित कर गंगा माँ की आराधना
करते हैं। दीपों की झिलमिलाहट, मंत्रोच्चार की गूंज और गंगा की सतत प्रवाहमान धारा — यह सब मिलकर एक
अनुपम आध्यात्मिक वातावरण बनाते हैं। यहाँ का अनुभव केवल देखने या सुनने तक सीमित नहीं रहता, बल्कि
मन, आत्मा और चेतना को भीतर तक छू जाता है।

कुछ महत्वपूर्ण बिंदु:

 गौ घाट हर की पौड़ी का शांत लेकिन महत्वपूर्ण भाग है।
 यहाँ पिंडदान, तर्पण, और गोहत्या जैसे पापों से मुक्ति के लिए स्नान किया जाता है।
 इस घाट पर भारत के महान नेताओं की अस्थियों का विसर्जन हुआ था।
 यह स्थान गंगा आरती, ध्यान और साधना के लिए अत्यंत उपयुक्त है।
 यहाँ तक पहुँचना आसान है — यह हरिद्वार रेलवे स्टेशन से मात्र 2 किमी की दूरी पर स्थित है।

IndoUS Tribune की ओर से श्रद्धा-सम्मान

IndoUS Tribune की हरिद्वार मंदिर यात्रा में गौ घाट एक विशेष स्थान रखता है — यह सिर्फ एक धार्मिक
स्थल नहीं, बल्कि आत्म-मुक्ति और श्रद्धा का तीर्थ है। यहाँ आकर व्यक्ति अपने पापों से प्रायश्चित करता है, अपने
पूर्वजों को स्मरण करता है और जीवन की अस्थिरता को समझते हुए ईश्वर के निकट पहुँचता है।
हमारी अगली कड़ी में हम आपको हरिद्वार के एक और अद्भुत मंदिर या घाट की यात्रा पर ले चलेंगे। तब तक के
लिए, गंगा माँ की कृपा बनी रहे, यही शुभकामनाएँ।

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