
वृंदावन: छठा पड़ाव – श्री राधा मदन मोहन मंदिर
IndoUS Tribune की “यात्रा और दर्शन: वृंदावन मंदिर” श्रृंखला में आपका स्वागत है! जहाँ भगवान कृष्ण की बांसुरी की धुन हवा में गूंजती है और हर गली राधा-कृष्ण के प्रेम की कहानियाँ सुनाती है। इस आध्यात्मिक यात्रा के पहले पड़ाव में हमने बांके बिहारी जी के दर्शन किए थे। अब छठे पड़ाव पर हम चलेंगे वृंदावन के सबसे प्राचीन और श्रद्धेय मंदिरों में से एक – श्री राधा मदन मोहन मंदिर की ओर।
श्री राधा मदन मोहन मंदिर का इतिहास
वृंदावन के आदि मंदिरों में शामिल, यह मंदिर भगवान श्रीकृष्ण के मदन मोहन रूप को समर्पित है। ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर की मूल स्थापना भगवान कृष्ण के प्रपौत्र राजा वज्रनाभ द्वारा की गई थी। हालांकि वर्तमान मंदिर का निर्माण 1580 ई. में श्री चैतन्य महाप्रभु के शिष्य श्री सनातन गोस्वामी के मार्गदर्शन में कपूर रामदास, एक व्यापारी द्वारा करवाया गया।
श्री विग्रह की खोज और प्रतिष्ठा
यह विग्रह एक पुरानी वटवृक्ष (अद्वैत वट) की जड़ में अद्वैत आचार्य को प्राप्त हुआ था। उन्होंने इसकी पूजा का कार्य अपने शिष्य पुरुषोत्तम चौबे को सौंपा, जिन्होंने आगे चलकर इसे सनातन गोस्वामी को अर्पित किया। सनातन गोस्वामी ने इसे द्वादशादित्य टीले पर स्थापित कर पूजा प्रारंभ की।
औरंगज़ेब के हमले और विग्रह का स्थानांतरण
1670 ई. में मुग़ल शासक औरंगज़ेब के मंदिरों पर हमलों के दौरान, मदन मोहन जी की मूल मूर्ति को जयपुर और फिर करौली (राजस्थान) में स्थानांतरित कर दिया गया। वहाँ आज भी इसे श्रद्धा से पूजा जाता है। वृंदावन में आज जो मूर्ति स्थापित है, वह मूल विग्रह की प्रति-प्रतिमा (प्रतीक रूप) है।
वर्तमान मंदिर और स्थापत्य
वर्तमान मंदिर की नींव 1819 ई. में बंगाल के ज़मींदार नंद कुमार बसु द्वारा डाली गई। यह मंदिर नागर शैली में बना है और इसकी ऊँचाई लगभग 50 फीट है। यह कालिया घाट के निकट यमुना तट पर स्थित है। लाल पत्थर से बना यह भव्य मंदिर अर्धवृत्ताकार शिखर के साथ अत्यंत सुंदर शिल्पकला को दर्शाता है।
मंदिर में पूज्य विग्रह
इस मंदिर में भगवान मदन मोहन के साथ राधा रानी और ललिता सखी की मूर्तियाँ प्रतिष्ठित हैं। यह राधा जी की मूर्तियाँ ओडिशा के राजा प्रतापरुद्र के पुत्र पुरुषोत्तम जेन द्वारा पुरी से मंगवाई गई थीं।
विशेषता और महत्त्व
- यह वृंदावन का सबसे प्राचीन मंदिर माना जाता है।
- यह श्री सनातन गोस्वामी की साधना भूमि रही है। उनका भजन कुटीर और समाधि स्थल इसी मंदिर परिसर में स्थित है।
- मंदिर का ग्रंथ संग्रहालय (Grantha Samagra) कुछ प्राचीन पांडुलिपियों को संरक्षित रखता है।
- यहाँ प्रतिदिन भगवान को “अंगा कड़ी” (चना और गेहूँ के आटे से बना लड्डू) का भोग अर्पित किया जाता है, जो सनातन गोस्वामी की आरंभ की गई परंपरा है।
दर्शन समय
गर्मी में:
सुबह: 6:00 बजे से 11:00 बजे तक
शाम: 5:00 बजे से 9:30 बजे तक
सर्दियों में:
सुबह: 7:00 बजे से 12:00 बजे तक
शाम: 4:00 बजे से 8:00 बजे तक
कार्तिक माह में मंगल आरती सुबह 4:00 बजे होती है।
कैसे पहुँचें
यह मंदिर भक्तिवेदांत स्वामी मार्ग से लौबाज़ार और कृष्ण बलराम मंदिर के बीच स्थित है। कालिया घाट से मात्र आधा किलोमीटर की दूरी पर है।
श्री राधा मदन मोहन मंदिर का यह अनुभव IndoUS Tribune की आध्यात्मिक यात्रा को एक गहराई प्रदान करता है – जहाँ इतिहास, भक्ति और सौंदर्य का संगम होता है।
हमारी अगली कड़ी में हम चलेंगे वृंदावन के एक और पवित्र स्थान – श्री राधा दामोदर मंदिर की ओर, जहाँ श्री जीव गोस्वामी और अन्य गौड़ीय आचार्यों की उपस्थिति से इस मंदिर को अद्वितीय बना दिया है। तब तक के लिए, श्री मदन मोहन जी की कृपा आप पर बनी रहे, यही मंगलकामनाएँ।