IndoUS Tribune की हरिद्वार के मंदिरों की यात्रा का नौवां पड़ाव: सप्तऋषि आश्रम – जहां योग, ध्यान और वेदों की ऊर्जा एक साथ प्रवाहित होती है

IndoUS Tribune की हरिद्वार के मंदिरों की यात्रा का नौवां पड़ाव: सप्तऋषि आश्रम – जहां योग, ध्यान और वेदों की ऊर्जा एक साथ प्रवाहित होती है

हरिद्वार, जिसे ‘धर्म द्वार’ कहा जाता है, हिंदू धर्म में एक अत्यंत पवित्र स्थल है। यहाँ के हर मंदिर और घाट अपनी एक विशेषता रखते हैं, जो उन्हें श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र बनाता है। IndoUS Tribune की हरिद्वार के मंदिरों और पवित्र स्थलों की आध्यात्मिक यात्रा के नौवे पड़ाव पर हम आपको लेकर आए हैं – सप्तऋषि आश्रम, एक ऐसा स्थल जो योग, वेद, ध्यान और प्रकृति की ऊर्जा का समन्वय है। यह आश्रम माँ गंगा के तट पर स्थित है और इसका नाम उन सात महापुरुषों – ऋषि भारद्वाज, ऋषि जमदग्नि, ऋषि विश्वामित्र, ऋषि गौतम, ऋषि अत्रि, ऋषि कश्यप और ऋषि वशिष्ठ – के नाम पर पड़ा है, जिन्होंने यहीं तपस्या की थी।

इतिहास और स्थापना:

सप्तऋषि आश्रम न केवल प्राचीन आध्यात्मिक केंद्र है, बल्कि यह सनातन धर्म प्रतिनिधि सभा पंजाब (पंजीकृत) का भी मुख्य स्थल है, जिसकी स्थापना भारत रत्न महामना पंडित मदन मोहन मालवीय जी ने 1923 में लाहौर (तत्कालीन अविभाजित भारत) में की थी। विभाजन के बाद जब सभा की सारी संपत्ति पाकिस्तान में रह गई, तब त्यागमूर्ति गोस्वामी गणेश दत्त जी महाराज के नेतृत्व में इस संस्था ने भारत में दोबारा कार्य शुरू किया।

आध्यात्मिक वातावरण:

35 एकड़ में फैला यह आश्रम एक प्राकृतिक स्वर्ग है जहाँ आम, अमरूद, पीपल, आँवला, रुद्राक्ष और अनेक औषधीय पौधे सुगंध और शांति का वातावरण रचते हैं। आश्रम में कुल 45 कुटियाँ हैं, जिनमें से 28 वातानुकूलित हैं। यह हरिद्वार आने वाले साधकों और पर्यटकों के लिए शांति और आत्मचिंतन का आदर्श स्थल है।

मंदिर और दैनिक पूजा:

आश्रम में आठ प्रमुख मंदिर हैं:

  • श्री गंगेश्वर महादेव जी
  • श्री गणेश जी
  • माँ दुर्गा
  • श्री हनुमान जी
  • श्री राधा-कृष्ण
  • श्री राम परिवार
  • माँ सरस्वती
  • श्री बालाजी

यहाँ भगवान शिव को मुख्य आराध्य माना जाता है और प्रतिदिन प्रातःकाल में रुद्राभिषेक एवं लिंग पूजन संपन्न होता है, जो श्रद्धालुओं को दिव्य अनुभव प्रदान करता है।

ऐतिहासिक महत्व:

1954 में भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने यहाँ की यज्ञशाला में पवित्र अग्नि प्रज्वलित की थी, जो आज तक अखंड रूप से जल रही है और 101 वर्षों तक जलती रहने का संकल्प है। आश्रम में महामना मालवीय जी और गोसाईं गणेश दत्त जी की प्रतिमाएँ और कीर्ति स्तंभ भी स्थित हैं।

सेवाएँ और सुविधाएँ:

  • आध्यात्मिक रिट्रीट्स: आत्मा और परमात्मा से जुड़ाव के लिए विशेष सत्र
  • योग सत्र: प्रतिदिन योग कक्षाएं जो शरीर, मन और आत्मा को संतुलित करती हैं
  • आवास: स्वच्छ, शांतिपूर्ण और सुसज्जित कक्षों की सुविधा

शिक्षा और धर्म प्रचार:
सनातन धर्म प्रतिनिधि सभा विभिन्न राज्यों में धर्मशालाएँ, विद्यालय, कॉलेज, आयुर्वेद केंद्र, महावीर दल व प्रशिक्षण संस्थानों के माध्यम से कर्म, उपासना और ज्ञान की सनातन परंपरा को प्रचारित कर रही है। यह संस्था कुम्भ, अर्धकुम्भ, ग्रहण मेले और धार्मिक आयोजनों में प्रशासन का सहयोग करती है।

कैसे पहुँचें:

  • सुबह के समय में आश्रम की यात्रा करें ताकि आप ध्यान और शांत वातावरण का अनुभव कर सकें।
  • मंदिरों में होने वाली मंगल आरती और रुद्राभिषेक में भाग अवश्य लें।

सप्तऋषि आश्रम न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि यह एक जीवनदर्शन है – जहाँ ध्यान, सेवा, योग और वेदों की शक्ति एक साथ प्रवाहित होती है। हरिद्वार की इस आध्यात्मिक धरोहर को देखने और अनुभव करने का अवसर न गँवाएँ।

  • ऋषिकेश से पैदल: लक्ष्मण झूला पार कर NH58 हाईवे पर 1.5 किमी चलें और हरिद्वार की ओर जाने वाली बस या साझा ऑटो लें।
  • हरिद्वार बस स्टेशन से: रेलवे स्टेशन की ओर पैदल चलें, फिर खन्ना नगर की ओर मुड़ें और 1 किमी चलने के बाद आश्रम का प्रवेशद्वार दिखाई देगा।

स्थानीय सुझाव:

  • सुबह के समय में आश्रम की यात्रा करें ताकि आप ध्यान और शांत वातावरण का अनुभव कर सकें।
  • मंदिरों में होने वाली मंगल आरती और रुद्राभिषेक में भाग अवश्य लें।

सप्तऋषि आश्रम न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि यह एक जीवनदर्शन है – जहाँ ध्यान, सेवा, योग और वेदों की शक्ति एक साथ प्रवाहित होती है। हरिद्वार की इस आध्यात्मिक धरोहर को देखने और अनुभव करने का अवसर न गँवाएँ।

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