वृंदावन: तेरहवाँ पड़ाव – निधिवन मंदिर

वृंदावन: तेरहवाँ पड़ाव – निधिवन मंदिर

IndoUS Tribune की “यात्रा और दर्शन: वृंदावन मंदिर” श्रृंखला में आपका स्वागत है! जहाँ भगवान कृष्ण की बांसुरी की धुन हवा में गूंजती है और हर गली राधा-कृष्ण के प्रेम की कहानियाँ सुनाती है। इस आध्यात्मिक यात्रा के तेरहवें पड़ाव पर हम पहुँच रहे हैं वृंदावन के सबसे रहस्यमयी और पवित्र स्थलों में से एक — निधिवन। यहाँ का वातावरण, लोककथाएँ और दिव्य रहस्य, हर श्रद्धालु को अद्भुत अनुभव प्रदान करते हैं।

निधिवन का रहस्य और महिमा

निधिवन, जिसका अर्थ है “पवित्र वन”, वृंदावन का वह स्थान है जहाँ आज भी भक्त मानते हैं कि राधा-कृष्ण रासलीला रचते हैं। यह वन तुलसी के घने वृक्षों से भरा है, जिनकी विशेषता यह है कि ये युगल रूप में पाए जाते हैं और आपस में गुँथे हुए होते हैं। स्थानीय मान्यता है कि ये वृक्ष रात होते ही गोपियों का रूप ले लेते हैं और प्रभु श्रीकृष्ण के साथ रास में सम्मिलित होते हैं। सुबह होते ही वे पुनः वृक्ष के स्वरूप में लौट आते हैं।

रासलीला की परंपरा

कहते हैं कि सूर्यास्त के बाद निधिवन के द्वार बंद कर दिए जाते हैं। कोई भी मनुष्य, पशु या पक्षी इस वन में रात के समय नहीं रुकता। आस-पास के घरों में रहने वाले लोग भी सूर्यास्त के बाद खिड़कियाँ बंद कर देते हैं। ऐसा विश्वास है कि जो कोई भी निधिवन की रात्रि लीला को देखने का प्रयास करता है, वह या तो अपनी दृष्टि खो देता है या मानसिक संतुलन।

भक्तों के अनुभव और चमत्कार

कई स्थानीय लोग दावा करते हैं कि उन्होंने रात में पायल की झंकार, बांसुरी की ध्वनि और नृत्य की आहट सुनी है। कुछ श्रद्धालु बताते हैं कि उन्होंने रंगमहल के पास सुगंधित फूलों की बौछार और दिव्य प्रकाश की झलक देखी है।
किंवदंती है कि जिन्होंने जिज्ञासा में रात को रासलीला देखने का प्रयास किया, वे अगले दिन या तो अंधे हो गए या उनकी मानसिक स्थिति असामान्य हो गई। यही कारण है कि आज तक कोई भी निधिवन की रात्रि लीला को देखने का साहस नहीं कर पाया।

रंगमहलराधाकृष्ण का विश्राम स्थल

निधिवन परिसर में स्थित रंगमहल भी श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र है। यहाँ यह मान्यता है कि हर रात श्रीकृष्ण स्वयं राधारानी को सजाते हैं और लीला के पश्चात् विश्राम करते हैं।
मंदिर के पुजारी प्रतिदिन रात को यहाँ पलंग सजाते हैं, चंदन की खाट पर बिस्तर बिछाते हैं, राधा जी के लिए श्रृंगार सामग्री रखते हैं, दातून, पान, मिठाई और जल की व्यवस्था करते हैं। सुबह जब द्वार खोले जाते हैं तो सब वस्तुएँ बिखरी हुई, आंशिक रूप से उपयोग की हुई मिलती हैं, मानो रात में वास्तव में किसी ने उनका उपयोग किया हो।

निधिवन और स्वामी हरिदास

निधिवन को और अधिक पवित्र बनाता है इसका संबंध संत स्वामी हरिदास से, जिन्होंने अपनी तपस्या और भक्ति से श्रीराधा-कृष्ण को साक्षात् प्रकट किया। यहीं उनके सम्मुख श्रीकृष्ण और राधा ने संयुक्त रूप से स्वरूप धारण कर बाँके बिहारी जी की प्रतिमा प्रकट की। यही प्रतिमा बाद में बाँके बिहारी मंदिर में प्रतिष्ठित हुई।

निधिवन का आध्यात्मिक प्रभाव

निधिवन की माटी, पेड़-पौधे और वातावरण भक्तों के लिए दिव्य ऊर्जा का अनुभव कराते हैं। यहाँ का हर कोना भक्ति और प्रेम से ओतप्रोत लगता है। श्रद्धालु मानते हैं कि निधिवन की यात्रा से उनके जीवन के संकट दूर होते हैं और उन्हें राधा-कृष्ण की विशेष कृपा प्राप्त होती है।

FAQ (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)

प्रश्न 1: निधिवन में रात को क्यों कोई नहीं रुकता?
उत्तर: मान्यता है कि रात में यहाँ राधा-कृष्ण रासलीला करते हैं। जो भी मनुष्य इसे देखने का प्रयास करता है, उसे गंभीर दंड भुगतना पड़ता है।

प्रश्न 2: रंगमहल की पूजा व्यवस्था कैसी होती है?
उत्तर: प्रतिदिन शाम को पुजारी राधा-कृष्ण के लिए पलंग, श्रृंगार सामग्री, पान, दातून और मिठाई रखते हैं। सुबह ये सब उपयोग किए हुए मिलते हैं।

प्रश्न 3: निधिवन का स्वामी हरिदास से क्या संबंध है?
उत्तर: स्वामी हरिदास ने यहाँ कठोर साधना की थी। उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर राधा-कृष्ण ने बाँके बिहारी जी की मूर्ति प्रकट की।

प्रश्न 4: क्या श्रद्धालु निधिवन में दर्शन के लिए किसी विशेष समय पर जा सकते हैं?
उत्तर: निधिवन के दर्शन प्रातः से लेकर सूर्यास्त तक होते हैं। सूर्यास्त के बाद यहाँ प्रवेश वर्जित है।

समापन

निधिवन मंदिर, वृंदावन की उस रहस्यमयी लीला का प्रतीक है जो आज भी भक्तों के हृदय में आस्था का दीप प्रज्वलित करती है। यह स्थल हमें याद दिलाता है कि राधा-कृष्ण का प्रेम और उनकी दिव्य रासलीला केवल कथा नहीं, बल्कि भक्ति और अध्यात्म की जीवंत परंपरा है। IndoUS Tribune की इस यात्रा में, हमने निधिवन की अलौकिकता और रहस्य को साझा किया।

हमारी अगली कड़ी में, हम आपको वृंदावन के सेवाकुंज मंदिर की ओर ले चलेंगे, जहाँ राधा-कृष्ण की सेवाभावना और लीला की झलक मिलती है। तब तक, निधिवन की पवित्र ऊर्जा और राधा-कृष्ण की कृपा आपके जीवन को आलोकित करती रहे।

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