वृंदावन मंदिर यात्रा का तीसरा पड़ाव प्रेम मंदिर के दिव्य दर्शन

वृंदावन मंदिर यात्रा का तीसरा पड़ाव प्रेम मंदिर के दिव्य दर्शन

IndoUS Tribune की यात्रा और दर्शनवृंदावन मंदिर श्रृंखला में आपका पुनः स्वागत है!

जहाँ हवाओं में राधे-राधे की पुकार गूंजती है, जहाँ हर वृक्ष, हर कली, हर कुंज गवाही देती है राधा-कृष्ण के अमर प्रेम की—वहीं स्थित है एक ऐसा अद्वितीय मंदिर जो अपने नाम के अनुरूप प्रेम का प्रतीक है – प्रेम मंदिर

बांके बिहारी जी और निधिवन की रहस्यमयी दिव्यता के बाद, हमारा अगला पड़ाव है एक ऐसा मंदिरजो श्रद्धालु के हृदय को भक्ति, सौंदर्य और निर्मल प्रेम से सराबोर कर देता है।

प्रेम मंदिर – जहाँ भक्ति और सौंदर्य का मिलन होता है

वृंदावन की बाहरी परिधि में स्थित यह मंदिर, जैसे ही दृष्टि के सामने आता है, श्रद्धालु स्तब्ध रह जाता है –संगमरमर की अद्भुत नक्काशी, चमचमाता श्वेत सौंदर्य, और चारों ओर सजे गुलाबों से सुगंधित बगीचे, सब मिलकर मानो स्वर्गिक सौंदर्य की अनुभूति कराते हैं।

रात्रि में जब मंदिर रंगबिरंगी रोशनियों में नहाता है, तब यह दृश्य किसी चित्रकला के दिव्य कैनवास से कम नहीं होता।फव्वारों की लहरों में प्रतिबिंबित होता मंदिर, और राधा-कृष्ण के झूलते झांझर भक्ति की अमिट छाप छोड़ जाते हैं।

मंदिर की स्थापत्य कला – एक अनुपम कृति

प्रेम मंदिर का निर्माण सफेद इटालियन कैरारा संगमरमर से किया गया है, जिसे कारीगरों ने 12 वर्षों की अथक साधना से आकार दिया।इसकी बेसमेंट 20 फीट गहरी ग्रेनाइट से बनी है, जो इसे सदियों तक स्थायित्व प्रदान करेगी।

इस मंदिर की दीवारों पर राधाकृष्ण की 84 लीलाओं को इतनी बारीकी और जीवंतता से उकेरा गया है कि लगता है जैसे समय वहीं ठहर गया हो —
श्रीकृष्ण कालिया नाग पर नृत्य कर रहे हों, गोवर्धन पर्वत उठा रहे हों, या रास लीला में राधा जी संग आनंद में मग्न हों।

परिक्रमा पथ में चलते हुए हर झांकी से भक्ति का प्रवाह इतना गहरा होता है कि मनुष्य को अपनी सांसों की गति का भी भान नहीं रहता।

प्राकृतिक सौंदर्य और शांति का संगम

प्रेम मंदिर का परिसर लगभग 55 एकड़ में फैला हुआ है।चारों ओर हरियाली, गुलाब के फूल, कमल के ताल, और संगीत की धीमी धुनें इस स्थान को किसी स्वप्नलोक में बदल देते हैं।

श्रद्धालु मंदिर की सीढ़ियां चढ़ते हुए जैसे-जैसे गर्भगृह के समीप आता है, वह मायामोह और व्यर्थ के विचारों से स्वतः मुक्त हो जाता है।गर्भगृह में विराजमान श्री राधा गोविंद और श्री सीता राम की मूर्तियाँ इतनी दिव्य हैं कि नेत्रों से अश्रु स्वतः बहने लगते हैं।

दीवारों पर अंकित भक्ति के पद और संत परंपरा

मंदिर के भीतर की दीवारों पर जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा रचित पदसंकीर्तन अंकित हैं, जो हर हृदय को भीतर तक भिगो देते हैं।यहाँ आठ प्रमुख सखियाँपाँच जगद्गुरु, और रासिक संतों की भव्य मूर्तियाँ भी स्थापित हैं, जो भक्ति की परंपरा को मूर्त रूप देती हैं।

जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज – प्रेम के अवतार

इस मंदिर के संस्थापकभक्तियोगरसावतारजगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज, एक ऐसी दिव्य विभूति हैं जिन्होंने भक्ति मार्ग को सरल, सुलभ और सर्वसुलभ बनाया।वे अंतिम 700 वर्षों में जगद्गुरु की उपाधि पाने वाले एकमात्र संत हैं।

उनका सपना था –एक ऐसा मंदिर बनाना, जो भक्तिदर्शनऔर आध्यात्मिक शिक्षा का केंद्र बने।1946 में जब वे युवा थे, तभी उन्होंने यह संकल्प लिया था।और 2001 से 2012 तक, यह सपना रूपांतरित हुआ एक ऐसे मंदिर में जो युगों तक प्रेम की गा  कहता रहेगा।

दर्शन समय और जानकारी

  • प्रातःकाल: 8:30 बजे – 12:00 बजे तक
  • सायंकाल: 4:30 बजे – 8:30 बजे तक
  • मंदिर सप्ताह के सातों दिन खुला रहता है।


समापन – भक्ति की निष्कलंक झलक

प्रेम मंदिर, IndoUS Tribune की वृंदावन यात्रा का ऐसा पड़ाव है जहाँ सिर्फ दर्शन नहीं, बल्कि आत्मा का साक्षात्कार होता है। यहाँ का हर पत्थर, हर ध्वनि, हर दृश्य भगवान के प्रेम को जीता है।

हम आशा करते हैं कि इस यात्रा ने आपको राधा-कृष्ण के निराकार प्रेम से साक्षात्कार कराया होगा।

अब समय है अगले पड़ाव की ओर बढ़ने का –हमारी अगली कड़ी में, हम आपको ले चलेंगे राधा वल्लभ मंदिर, जहाँ राधारानी की महिमा अपने चरम पर है।

तब तक के लिए —
राधे राधेप्रेम मंदिर की अनुभूति आपके जीवन में प्रेमसौंदर्य और भक्ति की सरिता बहाती रहे।

1 Comment

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