
वृंदावन: अठारहवाँ पड़ाव – राधा कृष्ण मंदिर (पागल बाबा आश्रम)
By: Dr Avi Verma
IndoUS Tribune की “यात्रा और दर्शन: वृंदावन मंदिर” श्रृंखला का अंतिम पड़ाव
IndoUS Tribune की “यात्रा और दर्शन: वृंदावन मंदिर” श्रृंखला में आपका पुनः स्वागत है! जहाँ हर श्वास में राधा-कृष्ण की भक्ति रची-बसी है, और हर मंदिर श्रीकृष्ण की लीलाओं का साक्षी है। इस श्रृंखला के अठारहवें और अंतिम पड़ाव में हम आपको ले चलते हैं पागल बाबा आश्रम, जिसे राधा कृष्ण मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। यह मंदिर वृंदावन-मथुरा मार्ग पर स्थित है और अपनी भव्यता, श्रद्धा और अद्भुत कहानी के लिए प्रसिद्ध है।
पागल बाबा मंदिर का इतिहास और प्रेरणा
पागल बाबा मंदिर का निर्माण वर्ष 1969 में हुआ था। इसका इतिहास एक अत्यंत भावनात्मक कथा से जुड़ा है — एक भक्त ब्राह्मण, जो श्री बांके बिहारी जी के परम उपासक थे।
कहा जाता है कि एक बार आर्थिक तंगी के कारण उन्होंने एक साहूकार से धन उधार लिया। समय पर किस्तें चुकाने के बाद भी साहूकार ने झूठा मुकदमा दायर कर दिया। अदालत में जब ब्राह्मण से साक्ष्य माँगा गया, तो उन्होंने निडर होकर कहा, “मेरे साक्षी स्वयं श्री बांके बिहारी जी हैं।”
न्यायालय ने मंदिर को नोटिस भेजा और अगले दिन एक वृद्ध व्यक्ति अदालत में उपस्थित हुए, जिन्होंने सटीक तिथियाँ बताईं जब ब्राह्मण ने भुगतान किया था। जांच के बाद सब सत्य पाया गया, और ब्राह्मण निर्दोष घोषित हुआ।
न्यायाधीश इस दिव्य घटना से अभिभूत हो गया। उसने अपना पद, परिवार सब कुछ त्याग दिया और वृंदावन आकर ठाकुर जी की खोज में भटकने लगा। लोगों ने उसकी दीवानगी देखकर उसे “पागल बाबा” कहना शुरू किया। भक्तों की सहायता से उसने यह भव्य मंदिर बनवाया — भगवान बांके बिहारी जी को समर्पित।
मंदिर की वास्तुकला और विशेषताएँ
सफेद संगमरमर से निर्मित यह नौ मंज़िला मंदिर आधुनिक नागर शैली का अद्भुत उदाहरण है। यह 221 फीट ऊँचा और लगभग 150 फीट चौड़ा है। मंदिर के हर तल पर अलग-अलग “धाम” की स्थापना की गई है।
मंदिर के प्रवेश द्वार पर सुंदर हरियाली, जलफव्वारा और तालाब भक्तों का स्वागत करते हैं। भीतर एक काँच के कक्ष में अखंड ज्योति 24 घंटे जलती रहती है। मंदिर ट्रस्ट की प्रबंध समिति द्वारा संचालित धर्मशालाएँ यात्रियों की सुविधा के लिए दोनों ओर स्थित हैं।
आध्यात्मिकता और सांस्कृतिक प्रदर्शन
मंदिर के भूतल पर वर्षभर कठपुतली शो आयोजित किया जाता है, जिसमें रामायण, महाभारत और कृष्ण लीला के दृश्य प्रदर्शित होते हैं।
इसके अलावा, इलेक्ट्रॉनिक झाँकियाँ भी उपलब्ध हैं, जहाँ भक्त “पागल बाबा लीला” का दिव्य अनुभव कर सकते हैं।
पहली मंज़िल पर बना वृत्ताकार झरोखा भगवान विष्णु के सुदर्शन चक्र का प्रतीक है। मंदिर की ऊपरी मंज़िल से आप पूरे वृंदावन शहर का विहंगम दृश्य देख सकते हैं।
मंदिर के दर्शन का समय
ग्रीष्मकाल:
सुबह – 5:00 AM से 11:30 AM
शाम – 3:00 PM से 9:00 PM
शीतकाल:
सुबह – 6:00 AM से 12:00 PM
शाम – 3:30 PM से 8:30 PM
(मंदिर दोपहर 12 बजे से 3:30 बजे तक बंद रहता है।)
पागल बाबा की विरासत
पागल बाबा ने न केवल भक्ति का उदाहरण प्रस्तुत किया, बल्कि उन्होंने समाजसेवा में भी अपना जीवन समर्पित किया। उन्होंने आँखों के अस्पताल, होम्योपैथिक क्लीनिक और ओपीडी जैसी सेवाएँ भी शुरू कीं, ताकि गरीबों को उपचार और सहायता मिल सके।
यात्रा का समापन: IndoUS Tribune की ओर से
राधा कृष्ण मंदिर (पागल बाबा आश्रम) की यह यात्रा हमारी वृंदावन श्रृंखला का अठारहवाँ और अंतिम पड़ाव है। IndoUS Tribune की ओर से हम हृदय से धन्यवाद देते हैं कि आपने हमारे साथ यह अद्भुत आध्यात्मिक यात्रा की — बांके बिहारी जी से लेकर राधा–कृष्ण मंदिर तक।
हम आशा करते हैं कि यह श्रृंखला आपके हृदय में भक्ति, श्रद्धा और वृंदावन की पवित्रता का संचार करने में सफल रही होगी।
जल्द ही, हम एक नई “यात्रा और दर्शन” श्रृंखला प्रारंभ करेंगे — जो आपको भारत के अन्य पवित्र स्थलों की ओर ले जाएगी।
तब तक के लिए, श्री राधे–कृष्ण की कृपा आप पर बनी रहे — यही हमारी शुभकामनाएँ। 🌺
लेख श्रृंखला संकलन:
डॉ. अवि वर्मा
संपादक एवं प्रकाशक, IndoUS Tribune