वृंदावन: सत्रहवाँ पड़ाव – श्री राधा श्यामसुंदर मंदिर

वृंदावन: सत्रहवाँ पड़ाव – श्री राधा श्यामसुंदर मंदिर

IndoUS Tribune की “यात्रा और दर्शनवृंदावन मंदिर” श्रृंखला में आपका पुनः स्वागत है!

वृंदावन की गलियाँ आज भी श्रीराधा-कृष्ण की लीलाओं की सुगंध से महकती हैं।यहाँ हर मंदिर, हर कुंज और हर घाट अपने भीतर कोई न कोई दिव्य कथा समेटे हुए है।हमारी श्रृंखला यात्रा और दर्शन के सत्रहवें पड़ाव में, हम आपको लेकर चल रहे हैं श्री राधा श्यामसुंदर मंदिर — 
एक ऐसा दिव्य स्थान जहाँ भक्तों का विश्वास है कि स्वयं श्रीमती राधारानी ने अपने हृदय से भगवान श्रीकृष्ण के श्याम सुंदर स्वरूप को प्रकट किया था।

श्री राधा श्यामसुंदर मंदिर का इतिहास

यह मंदिर वृंदावन के सात प्रमुख गौड़ीय वैष्णव मंदिरों में से एक है और इसका इतिहास 16वीं शताब्दी तक जाता है।परंपरा के अनुसार, महान संत श्री श्यामानंद प्रभु (पूर्व नाम: कृष्णदास) ने इस विग्रह को श्रीमती राधारानी से प्राप्त किया था।

कथा के अनुसार, एक दिन श्यामानंद प्रभु वृंदावन के एक उपवन में झाड़ू लगा रहे थे। उसी समय उन्हें मिट्टी में दबी एक सुंदर स्वर्ण पायल मिली। जब कुछ गोपिकाएँ उसे लौटाने आईं, तो उन्होंने कहा कि यह उनकी सखी राधारानी की है। लेकिन श्यामानंद प्रभु ने आग्रह किया कि वे उसे स्वयं श्रीमती राधारानी को ही लौटाएँगे।

गोपिकाएँ उन्हें एक दिव्य स्थली पर ले गईं, जहाँ श्रीमती राधारानी ने स्वयं प्रकट होकर उन्हें दर्शन दिए। उन्होंने पायल को प्रभु के माथे पर स्पर्श कराया, जिससे उनके मस्तक पर एक विशेष तिलक का चिह्न बन गया — जो आज “श्यामानंदी तिलक” के नाम से प्रसिद्ध है। उसी क्षण राधारानी ने अपने हृदय से भगवान श्रीकृष्ण के श्याम सुंदर स्वरूप को उत्पन्न किया और श्यामानंद प्रभु को भेंट किया।

यह दिव्य विग्रह “लाला” नाम से प्रसिद्ध हुआ, क्योंकि यह बालक स्वरूप में श्यामसुंदर का प्रतीक था। बाद में इस विग्रह की पूजा अत्यंत श्रद्धा से की जाने लगी और भक्तों ने इसके इर्द-गिर्द एक सुंदर मंदिर का निर्माण कराया।

मंदिर का विकास और स्थापत्य सौंदर्य

समय के साथ इस मंदिर का विस्तार हुआ।प्रसिद्ध आचार्य श्रीला बलदेव विद्याभूषण ने यहाँ मुख्य वेदी पर बड़े विग्रहों की स्थापना की और मंदिर के आचार्य परंपरा को सुदृढ़ किया।

मंदिर के भीतर प्रवेश करते ही भक्ति का एक अद्भुत वातावरण अनुभव होता है। दीवारों पर रंगीन भित्ति चित्र अंकित हैं जो श्री श्यामानंद प्रभु की जीवन-लीला, राधा-कृष्ण की रास-लीला और वृंदावन के दिव्य स्थलों का वर्णन करते हैं। मंदिर की छतें और स्तंभ पारंपरिक ब्रज स्थापत्य शैली में बनाए गए हैं — जिसमें लाल बलुआ पत्थर, नक्काशीदार तोरण द्वार और कलात्मक झरोखे दिखाई देते हैं।

मंदिर परिसर में हर दिन प्रातः मंगल आरती, दोपहर की राजभोग आरती, और संध्या की शयन आरती संपन्न होती है।भजन, कीर्तन और हरिनाम संकीर्तन से वातावरण दिव्यता से भर जाता है।

देवता और उनका भक्तिभाव

श्री श्याम सुंदर का यह स्वरूप अन्य किसी भी विग्रह से भिन्न है क्योंकि यह मूर्ति मनुष्य द्वारा निर्मित नहीं, बल्कि राधारानी के हृदय से स्वयं प्रकट हुई मानी जाती है। “श्यामसुंदर” शब्द का अर्थ ही है — “श्याम वर्ण में सुंदरतम भगवान”।

मंदिर की वेदी पर तीन जोड़ी विग्रह प्रतिष्ठित हैं — श्री राधा-श्यामसुंदर, श्री राधा-ललिता और श्री नित्य-गौर। भक्तों का विश्वास है कि श्याम सुंदर विग्रह में राधा और कृष्ण दोनों का प्रेममय रूप संयुक्त है।

भक्तगण यहाँ आरती के समय “जय राधे श्याम सुंदर!” के जयघोष के साथ भजन गाते हैं।मंदिर में नित्य भागवत कथागीता प्रवचन, और भक्ति योग सत्र आयोजित किए जाते हैं।

प्रमुख उत्सव और श्रद्धा का संगम

मंदिर में वर्ष भर अनेक पर्व मनाए जाते हैं।विशेष रूप से श्रीकृष्ण जन्माष्टमीराधाष्टमीवसंत पंचमी, और रास पूर्णिमा पर यहाँ भक्तों का विशाल समागम होता है।इन अवसरों पर मंदिर को पुष्पों से सजाया जाता है, दीपों की श्रृंखला जलती है, और भक्ति संगीत से वातावरण गूंज उठता है।

भक्तों का मानना है कि यहाँ दर्शन करने से मन की शुद्धि होती है, और जीवन में भक्ति का भाव प्रबल होता है।

आध्यात्मिक संदेश

श्री राधा श्यामसुंदर मंदिर केवल एक पूजा स्थली नहीं, बल्कि यह आध्यात्मिक विश्वविद्यालय और भक्ति का चिकित्सालय कहा जा सकता है — जहाँ जीवन के गूढ़ प्रश्नों का उत्तर मिलता है:
“सुख-दुःख का अर्थ क्या है?”,
“भक्ति में सच्ची शांति कहाँ मिलती है?”,
और “राधा-कृष्ण के प्रेम का रहस्य क्या है?”

मंदिर के आचार्य इन प्रश्नों का उत्तर वेदों, उपनिषदों और भागवत पुराण के आधार पर देते हैं, जिससे हर आगंतुक अपने जीवन में दिशा और शांति का अनुभव करता है।

श्री राधा श्यामसुंदर मंदिर में दर्शन, वृंदावन की हमारी आध्यात्मिक यात्रा का एक अविस्मरणीय अध्याय है। यहाँ भक्ति और प्रेम का संगम होता है — जहाँ राधारानी की करुणा और श्याम सुंदर की माधुर्यता एकाकार हो जाती है।

IndoUS Tribune की ओर से, हम आशा करते हैं कि इस यात्रा ने आपको वृंदावन की पवित्र भूमि की भक्ति, सौंदर्य और रहस्य से जोड़ने का अवसर दिया होगा।

हमारी अगली कड़ी में, हम आपको वृंदावन के श्री राधा कृष्ण मंदिरपागल बाबा आश्रम की यात्रा पर ले चलेंगे — जहाँ साधना, सेवा और समर्पण का अद्भुत संगम देखने को मिलता है।
तब तक के लिए, राधा श्याम सुंदर जी की कृपा आप पर बनी रहे — यही शुभकामना।

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