
भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों की यात्रा का अगला पड़ाव: पवित्र रामेश्वरम मंदिर
अगले पड़ाव में, “भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों की यात्रा” के अंतर्गत, हम तमिलनाडु, भारत में स्थित पवित्र
रामेश्वरम मंदिर की यात्रा करेंगे। यह मंदिर, जिसे रामनाथस्वामी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है, भगवान
शिव को समर्पित है और यह बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है। अब तक हमारी यात्रा में हम निम्नलिखित
ज्योतिर्लिंगों की यात्रा कर चुके हैं:
सोमनाथ ज्योतिर्लिंग, गिर, गुजरात
मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग, श्रीशैलम, आंध्र प्रदेश
महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग, उज्जैन, मध्य प्रदेश
ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग, खंडवा, मध्य प्रदेश
बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग, देवघर, झारखंड
भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग, महाराष्ट्र
रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग की महिमा और महत्व
रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग की महिमा उसकी पौराणिकता, धार्मिकता और अद्वितीयता में निहित है। यह स्थान न
केवल शिवभक्तों के लिए बल्कि भारतीय संस्कृति और धर्म में रुचि रखने वाले हर व्यक्ति के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण
है। रामेश्वरम की पावन भूमि ने अपने भीतर अनेक धर्म-कथाओं, आस्थाओं, और ऐतिहासिक घटनाओं को समेटा
हुआ है, जो इसे हिंदू धर्म के सबसे पवित्र स्थलों में से एक बनाती है।
पौराणिक पृष्ठभूमि और रामेश्वरम का महत्व
रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग की पौराणिक पृष्ठभूमि रामायण की पवित्र कथा से जुड़ी हुई है। मान्यता है कि जब भगवान
राम ने लंका के राक्षस राजा रावण का वध किया, तो उन्हें ब्रह्महत्या के पाप से मुक्ति पाने के लिए भगवान शिव
की पूजा करनी पड़ी। इस पाप से मुक्ति पाने के लिए भगवान राम ने रामेश्वरम में शिवलिंग की स्थापना की और
उसकी पूजा की। यह शिवलिंग रामेश्वरम मंदिर में स्थित है, जिसे रामलिंगम के नाम से जाना जाता है। इसके
अलावा, हनुमान जी ने कैलाश पर्वत से शिवलिंग लाया था, जिसे विश्वलिंगम कहा जाता है। आज भी रामलिंगम
की पूजा से पहले विश्वलिंगम की पूजा की जाती है।
रामेश्वरम का स्थापत्य और अद्वितीयता
रामेश्वरम मंदिर का स्थापत्य न केवल भारतीय वास्तुकला का उत्कृष्ट उदाहरण है, बल्कि यह स्थान इसके
गलियारों और स्तंभों की अद्वितीयता के लिए भी प्रसिद्ध है। इस मंदिर के गलियारे की लंबाई 3850 फीट है, जो
इसे दुनिया का सबसे लंबा मंदिर गलियारा बनाती है। गलियारे में 4000 से अधिक स्तंभ हैं, जिन पर की गई
नक्काशी कला और इतिहास का अद्वितीय मेल है। ये स्तंभ उस समय की कारीगरी और स्थापत्य कला का एक
अद्वितीय उदाहरण प्रस्तुत करते हैं। इन स्तंभों पर की गई नक्काशी हमें उस समय के राजाओं और उनके योगदान
की झलक दिखाती है, जिन्होंने इस मंदिर के निर्माण में अपनी भूमिका निभाई थी।
धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व
रामेश्वरम मंदिर न केवल हिंदू धर्म में बल्कि भारतीय उपमहाद्वीप में भी एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है। यह स्थान
चार धाम यात्रा का एक हिस्सा है, जो हर हिंदू के जीवन में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। चार धाम में से एक होने के
कारण, रामेश्वरम की यात्रा किसी भी भक्त के लिए अत्यंत आवश्यक मानी जाती है। यहाँ की यात्रा करने से न
केवल पापों का नाश होता है, बल्कि यह भी माना जाता है कि यहाँ आने से व्यक्ति की आत्मा को शांति और मोक्ष
की प्राप्ति होती है।
मंदिर के मुख्य आकर्षण और त्यौहार
रामेश्वरम मंदिर में महाशिवरात्रि सबसे बड़ा उत्सव है, जिसमें हर साल हजारों भक्त आते हैं। इसके अलावा,
थिरुकल्याणम (जुलाई-अगस्त) और नवरात्रि (सितंबर-अक्टूबर) भी यहाँ के प्रमुख उत्सव हैं। इन अवसरों पर
मंदिर को विशेष रूप से सजाया जाता है और विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों का आयोजन किया जाता है।
मंदिर तक पहुंचने के मार्ग
रामेश्वरम मंदिर तक पहुंचने के कई मार्ग हैं। हवाई मार्ग से आने वाले भक्तों के लिए निकटतम हवाई अड्डा मदुरै है,
जो रामेश्वरम से लगभग 150 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। मदुरै से रामेश्वरम के लिए टैक्सी और बस सेवा
उपलब्ध है। रेल मार्ग से भी रामेश्वरम तक आसानी से पहुंचा जा सकता है, और मंदिर का रेलवे स्टेशन से पैदल
दूरी पर होना यात्रियों के लिए और भी सुविधाजनक है। सड़क मार्ग से यात्रा करने वाले भक्तों के लिए भी यहां
अच्छी बस सेवाएँ उपलब्ध हैं।
मंदिर में प्रवेश और ड्रेस कोड
रामेश्वरम मंदिर में प्रवेश के लिए भक्तों को एक विशेष ड्रेस कोड का पालन करना होता है। पुरुषों के लिए धोती
और शर्ट, पायजामा, या पैंट के साथ शर्ट पहनना अनिवार्य है, जबकि महिलाओं के लिए चूड़ीदार और साड़ी
आवश्यक मानी जाती है। इस ड्रेस कोड का पालन मंदिर की शुद्धता और धार्मिक परंपराओं को बनाए रखने के
लिए किया जाता है।
यात्रा का सही समय
रामेश्वरम मंदिर के दर्शन के लिए अक्टूबर से मार्च के बीच का समय सबसे अनुकूल माना जाता है। इस समय
मौसम ठंडा और सुखद रहता है, जिससे यात्रा और मंदिर में पूजा-अर्चना करना अधिक सुविधाजनक होता है। इस
दौरान मंदिर में भीड़ भी कम होती है, जिससे भक्तों को शांतिपूर्वक दर्शन करने का अवसर मिलता है।
सारांश
रामेश्वरम की यात्रा न केवल एक धार्मिक यात्रा है, बल्कि यह एक आध्यात्मिक अनुभव भी है, जो व्यक्ति के जीवन
को गहराई से प्रभावित कर सकता है। यह स्थान भगवान राम और भगवान शिव की भक्ति का अद्वितीय संगम है,
जहाँ आकर हर भक्त को आत्मिक शांति और मोक्ष की प्राप्ति होती है। रामेश्वरम की यात्रा, शिवभक्तों के लिए एक
अनिवार्य तीर्थ यात्रा मानी जाती है, जो उन्हें उनके जीवन के अंतिम उद्देश्य—मोक्ष की प्राप्ति के निकट ले जाती
है।