
आंध्र प्रदेश यात्रा – दूसरा पड़ाव: श्री कला हस्ती मंदिर (चित्तूर) IndoUS Tribune की “यात्रा और दर्शन” श्रृंखला
IndoUS Tribune की “यात्रा और दर्शन” श्रृंखला में आपका पुनः स्वागत है! तिरुमला वेंकटेश्वर मंदिर (तिरुपति) के दिव्य दर्शन के बाद अब हम अपने आंध्र प्रदेश यात्रा के दूसरे पड़ाव पर पहुँच रहे हैं — श्री कलाहस्ती मंदिर, जो भगवान शिव को वायु तत्व (Vayu) के रूप में समर्पित है। यह मंदिर पंचभूतस्थलों में से एक है और इसे दक्षिण का कैलाश भी कहा जाता है।
मंदिर का इतिहास और महत्व
श्री कलाहस्ती मंदिर का नाम तीन भक्तों — एक मकड़ी (श्री), एक साँप (कला) और एक हाथी (हस्ती) — की कथा से लिया गया है। मकड़ी ने शिव की प्रतिमा बुनकर पूजा की, साँप ने रत्न लाए और हाथी ने शिवलिंग की जल से सफाई की। भगवान शिव उनकी भक्ति से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने उन्हें मोक्ष प्रदान किया और अपनी दिव्य उपस्थिति में उनके आत्माओं को सम्मिलित किया।
मंदिर में कन्नप्पा नामक आदिवासी शिकार की भी कथा प्रसिद्ध है, जिन्होंने शिवलिंग से खून बहते देखकर अपनी आँखें समर्पित की। भगवान शिव ने उनकी भक्ति देखकर उन्हें मोक्ष प्रदान किया।
मंदिर का गर्भगृह 5वीं सदी का है, जबकि मुख्य संरचना 11वीं सदी में चोल साम्राज्य के राजेंद्र चोल प्रथम द्वारा बनाई गई थी। सुंदर गोपुरम 11वीं सदी में कुलोतुंगा चोल प्रथम ने निर्मित किए। प्रवेश द्वार का विशाल गोपुरम 1516 में विजयनगर राजा कृष्णदेवराय ने बनवाया। 2010 में गोपुरम गिर गया था, जिसे 2017 में पुनर्निर्मित किया गया।
वास्तुकला और धार्मिक संरचना
- शिवलिंग सफेद पत्थर (कपूर से निर्मित) में ऊँचा और बेलनाकार है।
- मंदिर दक्षिण की ओर मुख वाला है, जबकि गर्भगृह पश्चिम की ओर है।
- मंदिर में शिव के पुत्र गणेश और कार्तिकेय, माता पार्वती (ज्ञानप्रसूनांबिका देवी), लक्ष्मी-गणपति, अन्नपूर्णा, सूर्य, और कई अन्य देवी-देवताओं के छोटे मंदिर हैं।
- दो बड़े मंडप हैं: सद्योगी मंडप और जलकोटी मंडप।
- मंदिर के दो प्रमुख जलाशय हैं: सूर्य पुष्करिणी और चंद्र पुष्करिणी।
पूजा और उत्सव
- मंदिर पंचभूत स्थल के रूप में वायु तत्व का प्रतिनिधित्व करता है।
- राहु-केतु पूजा यहाँ की प्रमुख विशेषता है, जिसे करने से कुंडली दोषों से मुक्ति मिलती है।
- यह मंदिर सूर्य और चंद्र ग्रहण के दौरान भी खुला रहता है, जबकि अधिकांश मंदिर इन समयों में बंद रहते हैं।
- महाशिवरात्रि और ब्रह्मोत्सव मुख्य त्योहार हैं, जब लाखों श्रद्धालु भगवान शिव और पार्वती के रथ यात्रा और वाहन यात्रा में सम्मिलित होते हैं।
मंदिर दर्शन और यात्रा जानकारी
- स्थान: श्री कलाहस्ती, चित्तूर जिला, आंध्र प्रदेश
- शिव के रूप: वायु (Kalahasteeswara)
- समय: सुबह 6:00 बजे से शाम 8:00 बजे तक (विशेष अवसरों पर समय में बदलाव हो सकता है)
- कैसे पहुँचें:
- तिरुपति से लगभग 36 किलोमीटर
- श्री कलाहस्ती रेलवे स्टेशन से केवल 3 किलोमीटर
- सड़क मार्ग द्वारा बस और टैक्सी उपलब्ध
सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व
श्री कलाहस्ती मंदिर दक्षिण भारत का एक अत्यंत पूज्य मंदिर है। यहाँ भक्त भगवान शिव के वायु तत्व के रूप में पूजा करते हैं। पंचभूत स्थल होने के कारण यह स्थान शिवभक्तों के लिए अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। मंदिर की भव्यता, इतिहास और अनोखी कथाएँ भक्तों को आध्यात्मिक अनुभव से जोड़ती हैं।
श्री कलाहस्ती मंदिर के दर्शन आंध्र प्रदेश यात्रा का दूसरा महत्वपूर्ण पड़ाव हैं — एक ऐसा अनुभव जो हमें भारत की प्राचीन आस्था, मंदिर स्थापत्य और भक्ति परंपरा से जोड़ता है। IndoUS Tribune की ओर से हम आशा करते हैं कि इस श्रृंखला के माध्यम से आप भी इस दिव्य यात्रा का हिस्सा बनेंगे और भारतीय संस्कृति की अनमोल आध्यात्मिक धरोहर का अनुभव करेंगे।
हमारे अगले पड़ाव में हम पहुँचेंगे कानका दुर्गा मंदिर (विजयवाड़ा) — जहाँ मां दुर्गा की महिमा और शक्ति का अनुभव किया जा सकेगा।
तब तक के लिए, भगवान शिव की कृपा और आशीर्वाद आपके जीवन में सुख-समृद्धि और शांति लेकर आए — यही हमारी शुभकामना।