
वृंदावन: सोलहवाँ पड़ाव – गोपेश्वर महादेव मंदिर
IndoUS Tribune की “यात्रा और दर्शन: वृंदावन मंदिर” श्रृंखला में आपका पुनः स्वागत है।
वृंदावन की हर गली में राधा-कृष्ण की लीलाओं का अमृत झरता है, और यहाँ के मंदिरों में भक्ति की धारा निरंतर प्रवाहित होती है। हमारी इस पवित्र यात्रा का सोलहवाँ पड़ाव है – गोपेश्वर महादेव मंदिर, जहाँ भगवान शिव स्वयं गोपी रूप धारण कर श्री कृष्ण की रास लीला के साक्षी बने थे।
गोपेश्वर महादेव मंदिर: नित्यत्व के देव का दिव्य रूप
वृंदावन के पावन बंसीवट क्षेत्र में, पवित्र यमुना नदी के समीप स्थित गोपेश्वर महादेव मंदिर भगवान शिव के एक अलौकिक स्वरूप को समर्पित है। यहाँ भगवान शिव शिवलिंग रूप में विराजमान हैं, परंतु मंदिर का विशेष आकर्षण वह कथा है जब महादेव ने गोपी का रूप धारण किया, और इसलिए इन्हें “गोपेश्वर महादेव” कहा जाता है।
यह मंदिर वृंदावन के प्राचीनतम मंदिरों में से एक माना जाता है। किंवदंती के अनुसार, जब भगवान कृष्ण ने राधा और गोपियों के साथ महानंदमयी रास लीला रचाई, तो राधा रानी ने नियम बनाया कि इस रास में केवल महिलाएँ ही सम्मिलित हो सकती हैं। भगवान शिव भी इस दिव्य रास का दर्शन करना चाहते थे, अतः उन्होंने गोपी रूप धारण किया। ललिता सखी के मार्गदर्शन में वे रास स्थल पर पहुँचे।
श्रीकृष्ण ने जब उस नई गोपी को देखा, तो मुस्कुराते हुए बोले— “तुम आज से ‘गोपेश्वर महादेव’ कहलाओगे।” उन्होंने शिवजी को रास द्वारपाल का दायित्व सौंपा। तब से गोपेश्वर महादेव को वृंदावन के रास लीला के रक्षक और गोपियों के भाव के दाता के रूप में पूजा जाता है।
मंदिर का इतिहास और महिमा
यह मंदिर अत्यंत प्राचीन है और इसकी स्थापना भगवान कृष्ण के परपोते वज्रनाभ ने महर्षि शांडिल्य के निर्देशन में की थी।
गोपेश्वर महादेव मंदिर की विशेषता यह है कि यहाँ भगवान शिव का शिवलिंग शाम के समय गोपी वस्त्रों से अलंकृत किया जाता है, जो भक्ति का अद्भुत प्रतीक है।
श्रावण मास (जुलाई–अगस्त) में यहाँ हजारों श्रद्धालु जलाभिषेक के लिए आते हैं। सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित होने के कारण इस दिन भक्तों की विशेष भीड़ होती है।
महा शिवरात्रि के पर्व पर मंदिर में रात्रि जागरण, रुद्राभिषेक, और फूलों से भव्य सजावट का विशेष आयोजन किया जाता है। उस समय मंदिर की अलौकिक आभा और वातावरण भक्तों को गहरी आध्यात्मिक अनुभूति कराता है।
दर्शन और समय सारणी
शीतकालीन समय:
- प्रातः 4:00 बजे से दोपहर 12:00 बजे तक
- सायं 4:00 बजे से रात 8:30 बजे तक
- मंगला आरती: 4:00 बजे प्रातः
ग्रीष्मकालीन समय:
- प्रातः 3:30 बजे से दोपहर 11:30 बजे तक
- सायं 5:00 बजे से रात 9:00 बजे तक
- मंगला आरती: 3:30 बजे प्रातः
🚩 कैसे पहुँचें गोपेश्वर महादेव मंदिर
सड़क मार्ग:
मंदिर तक पहुँचने के लिए राष्ट्रीय राजमार्ग NH-19 से वृंदावन पहुँचा जा सकता है।
स्थानीय परिवहन:
वृंदावन पहुँचने के बाद ई-रिक्शा या ऑटो-रिक्शा से सीधे मंदिर जाया जा सकता है।
निकटतम हवाई अड्डे:
- आगरा एयरपोर्ट – लगभग 80 किमी
- दिल्ली एयरपोर्ट – लगभग 160 किमी
आस्था का केंद्र: गोपेश्वर महादेव
गोपेश्वर महादेव मंदिर न केवल भगवान शिव की भक्ति का केंद्र है, बल्कि यह राधा–कृष्ण की लीलाओं में शिव के पूर्ण समर्पण का प्रतीक भी है। भक्त यहाँ गोपि भाव की प्राप्ति के लिए आते हैं, जो प्रेम और भक्ति का सर्वोच्च स्वरूप माना जाता है।
गोपेश्वर महादेव मंदिर, वृंदावन की हमारी आध्यात्मिक यात्रा का सोलहवाँ पड़ाव, हमें यह सिखाता है कि भगवान शिव जैसे महायोगी भी श्रीकृष्ण की भक्ति में लीन होकर रास की महिमा का अनुभव करना चाहते थे। यह मंदिर हमें भक्ति, प्रेम और आत्मसमर्पण का अद्भुत संदेश देता है।
IndoUS Tribune की ओर से, हम आशा करते हैं कि इस यात्रा ने आपको गोपेश्वर महादेव की महिमा और वृंदावन की पवित्रता का अनुभव कराया होगा।
हमारे अगले पड़ाव में, हम चलेंगे श्री राधा श्यामसुंदर मंदिर की ओर — जहाँ राधा-कृष्ण का अद्भुत मिलन अपने शाश्वत स्वरूप में प्रकट होता है।
तब तक के लिए — हर हर महादेव! जय श्री राधे–कृष्ण!