गीता स्वाध्याय- मेरी समझ से, चौथा अध्याय

गीता स्वाध्याय- मेरी समझ से, चौथा अध्याय

By: Rajendra Kapil चौथे अध्याय का आरम्भ दिव्य ज्ञान से होता है. भगवान कृष्ण अर्जुन को बताते हैं कि, जो ज्ञान मैं तुम्हें दे रहा हूँ, वह बहुत दिव्य है. इसी ज्ञान को मैंने सबसे पहले इस कल्प के आरम्भ में आदित्य नारायण

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India’s living heritage through the worship of Rama

India’s living heritage through the worship of Rama

By: Kushagra Aniket and Rudra Vikrama Srivastava The inauguration of the Ayodhya Rama Mandir on January 22, 2024, captured global attention. It marked a milestone not just in temple construction, but in India’s civilizational story—one shaped by cultural memory and spiritual yearning across

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IndoUS Tribune की हरिद्वार मंदिर यात्रा का 17वाँ पड़ाव

IndoUS Tribune की हरिद्वार मंदिर यात्रा का 17वाँ पड़ाव

वैष्णो देवी मंदिर – माँ की भक्ति, शक्ति और शरण का जीवंत प्रतीक हरिद्वार — गंगा के किनारे बसे इस पावन नगरी में जहाँ हर मंदिर एक नई कथा कहता है, IndoUS Tribune की मंदिर यात्रा के सत्रहवें चरण में हम पहुँचे हैं वैष्णो देवी मंदिर — एक ऐसा स्थल जहाँ भक्त माँ की गुफा में प्रवेश कर केवल मूर्ति के नहीं, बल्कि आत्मा के दर्शन करते हैं। यह मंदिर हरिद्वार के जगदीश नगर, ज्वालापुर क्षेत्र में स्थित है और अपने विशिष्ट स्थापत्य, सुरंगनुमा प्रवेशद्वारों और आध्यात्मिक वातावरण के लिए प्रसिद्ध है। सुरंगों से मंदिर तक – एक आंतरिक यात्रा वैष्णो देवी मंदिर में प्रवेश करते ही श्रद्धालु एक ऐसी यात्रा पर निकलते हैं जो केवल भौतिक नहीं बल्कि आध्यात्मिक भी है।मंदिर की संरचना इस प्रकार की गई है कि दर्शन से पहले भक्तों को एक संकरी सुरंग से होकर गुजरना होता है — यह प्रतीक है जीवन की कठिनाइयों और आत्मिक खोज की उस संकरी राह का, जहाँ अंतिम लक्ष्य मोक्ष है। इस गुफा-यात्रा में पग-पग पर सजग रहना पड़ता है — श्रद्धालु हाथों से दीवारों को छूते हुए, सिर झुकाते हुए, और कभी-कभी रेंगते हुए माँ के दर्शन तक पहुँचते हैं। यह यात्रा एक विशेष प्रकार का आत्म-समर्पण मांगती है — अहं का विसर्जन और भक्ति का पूर्ण समर्पण। तीन देवियों का सजीव स्वरूप मंदिर के गर्भगृह में पहुँचते ही भक्तों को माँ वैष्णो देवी के दर्शन होते हैं, जो लक्ष्मी, काली और सरस्वती के त्रिदेवियों के रूप में प्रतिष्ठित हैं। तीनों मूर्तियाँ अलग-अलग प्रतीकों को दर्शाती हैं — यहाँ दर्शन मात्र से ही एक अद्भुत ऊर्जा का संचार होता है, जो व्यक्ति को भीतर तक झकझोर देती है। 12 ज्योतिर्लिंगों के दर्शन – भारत के तीर्थों की झलक इस मंदिर की विशेषता यह भी है कि इसके परिसर में भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों की सुंदर और यथासंभव सजीव प्रतिकृतियाँ निर्मित की गई हैं। काशी विश्वनाथ से लेकर सोमनाथ तक, प्रत्येक ज्योतिर्लिंग का विशेष स्थान और विवरण दिया गया है, जिससे श्रद्धालु बिना देश की लंबी यात्रा किए ही इन पवित्र स्थलों के दर्शन कर पाते हैं। पौराणिक कथा और त्रिकुटा की भक्ति मंदिर से जुड़ी कथा अत्यंत मार्मिक और प्रेरणादायक है। त्रिकुटा नामक एक युवती ने बाल्यकाल से ही भगवान राम को पति रूप में स्वीकार कर लिया था और कठोर तपस्या के माध्यम से उन्हें पाने का प्रयास किया। भगवान राम ने त्रिकुटा की भक्ति से प्रसन्न होकर वचन दिया कि वे कलियुग में माँ वैष्णो देवी के रूप में पूजी जाएँगी। यही त्रिकुटा, माँ वैष्णो देवी के रूप में विख्यात हुईं। यह कथा उस नारी शक्ति की याद दिलाती है, जो समर्पण और साधना से ब्रह्मांड को भी प्रभावित कर सकती है। हरिद्वार का सांस्कृतिक और आध्यात्मिक रंग मंदिर परिसर में प्रवेश करते ही चारों ओर एक अद्भुत शांति का अनुभव होता है। चिर–परिचित घंटियों की मधुर ध्वनि, अगरबत्तियों की सुगंध, और भक्तों के स्वर मंदिर को जीवंत बना देते हैं। यहाँ के पुजारी न केवल विनम्र और सेवा-भाव से ओतप्रोत हैं, बल्कि हर श्रद्धालु को व्यक्तिगत रूप से मार्गदर्शन भी देते हैं। त्योहारों के समय — विशेषकर नवरात्रि, दुर्गाष्टमी, और रामनवमी के अवसर पर — मंदिर का वातावरण और भी आध्यात्मिक हो उठता है। रंगीन झाँकियाँ, संकीर्तन, भजन संध्या और दीपमालिका की सजावट इस स्थान को एक दिव्य लोक में बदल देती है। गंगा के दर्शन – भक्ति और प्रकृति का समागम मंदिर की ऊँचाई से गंगा नदी का विहंगम दृश्य मन को मोह लेता है। भक्त यहाँ न केवल देवी माँ के दर्शन के लिए आते हैं, बल्कि प्राकृतिक सौंदर्य और हरिद्वार की सांस्कृतिक आत्मा को महसूस करने के लिए भी। सूर्योदय और सूर्यास्त के समय जब मंदिर की दीवारों पर सूर्य की किरणें पड़ती हैं, तो यह दृश्य साक्षात स्वर्ग जैसा प्रतीत होता है। कैसे पहुँचें मंदिर हरिद्वार रेलवे स्टेशन से लगभग 5 किलोमीटर दूर स्थित है। जगदीश नगर, ज्वालापुर में बने इस मंदिर तक टैक्सी, ऑटो रिक्शा अथवा निजी वाहन द्वारा आसानी से पहुँचा जा सकता है। मंदिर प्रत्येक दिन सुबह 8:00 बजे से रात 8:00 बजे तक खुला रहता है। IndoUS Tribune की ओर से श्रद्धा-सम्मान IndoUS Tribune की हरिद्वार मंदिर यात्रा में वैष्णो देवी मंदिर केवल एक तीर्थस्थल नहीं, बल्कि माँ की गोद जैसा शरणस्थल है। यहाँ न केवल देवी के दर्शन होते हैं, बल्कि भक्त को अपने भीतर की शक्ति, भक्ति और साधना की अनुभूति भी होती है। यह स्थल नारी शक्ति, समर्पण और आत्मिक संतुलन का प्रतीक है। हमारी अगली कड़ी में हम आपको हरिद्वार के एक और दिव्य मंदिर या घाट की यात्रा पर ले चलेंगे। तब तक माँ गंगा और माँ वैष्णो देवी की कृपा आप पर बनी रहे — ऐसी हमारी मंगलकामना है।

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IndoUS Tribune की हरिद्वार मंदिर यात्रा का 16वाँ पड़ाव

IndoUS Tribune की हरिद्वार मंदिर यात्रा का 16वाँ पड़ाव

श्री चिंतामणि पार्श्वनाथजी तीर्थ – जैन साधना, शांति और सांस्कृतिक वैभव का अद्भुत संगम हरिद्वार — जहाँ पवित्र गंगा की धारा आत्मा को शुद्ध करती है, वहीं यह नगरी भारत की विविध धार्मिक परंपराओं का संगम भी है।IndoUSTribune की हरिद्वार मंदिर यात्रा के 16वें पड़ाव पर हम पहुँचे हैं श्री चिंतामणि पार्श्वनाथ जैन श्वेतांबर मंदिर, जो कि हरिद्वार में जैन धर्म के अनुयायियों के लिए एक प्रमुख साधना स्थल है। यह मंदिर न केवल एक आस्था का केंद्र है, बल्कि अध्यात्म, अहिंसा और आत्म-शुद्धि की प्रेरणा भी देता है। 📿 मंदिर का परिचय श्री चिंतामणि पार्श्वनाथजी तीर्थ, हरिद्वार के भूपतवाला क्षेत्र में, ऋषिकेश रोड पर स्थित है। यह मंदिर भगवान पार्श्वनाथ, जो जैन धर्म के 23वें तीर्थंकर हैं, को समर्पित है। मंदिर की शांत, शुद्ध और दिव्य वातावरण जैन साधना और ध्यान के लिए आदर्श स्थान प्रदान करता है। 🛕 वास्तुकला और धार्मिक महत्व यह मंदिर श्वेतांबर जैन शैली में निर्मित है, जिसमें नक्काशीदार स्तंभ, सुंदर मूर्तिकला और अत्यंत आकर्षक गर्भगृह में स्थित भगवान पार्श्वनाथ की भव्य मूर्ति विशेष आकर्षण का केंद्र है। सफेद संगमरमर से बनी यह मूर्ति ध्यान मुद्रा में स्थापित है, जो आत्मिक शांति, ज्ञान और करुणा का प्रतीक है। यह तीर्थस्थल जैन धर्म के मूल सिद्धांतों – अहिंसा, सत्य और तपस्या – को समर्पित है। यहाँ आने वाले श्रद्धालु केवल पूजा ही नहीं करते, बल्कि आत्म-नियंत्रण और ध्यान के माध्यम से आत्मिक उन्नति की ओर अग्रसर होते हैं। 📚 ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि हालाँकि यह मंदिर हरिद्वार में आधुनिक समय में स्थापित हुआ है, इसका महत्व पूरे भारत में फैले जैन अनुयायियों के बीच अत्यंत उच्च हैश्री चिंतामणि पार्श्वनाथ की पूजा नासिक, जैसलमेर, और अन्य तीर्थों में भी होती है, जहाँ इनकी नीली प्रतिमा और सात फनों वाला शेषनाग विशेष रूप से पूजी जाती है। जैसलमेर और नासिक में स्थित मंदिरों में जो धार्मिक, शिल्पकला और पांडुलिपियों की धरोहर सुरक्षित है, वह चिंतामणि पार्श्वनाथ के प्रति देश भर में फैले श्रद्धा और समर्पण को दर्शाती है। इन मंदिरों के साथ-साथ हरिद्वार का यह तीर्थस्थल भी जैन संस्कृति के संरक्षण और प्रसार का एक जीवंत केंद्र बनता जा रहा है। 🚗 कैसे पहुँचें: श्री चिंतामणि पार्श्वनाथ मंदिर हरिद्वार रेलवे स्टेशन से लगभग 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। निकटतम रेलवे स्टेशन: हरिद्वार जंक्शन बस सेवा: स्थानीय ऑटो, ई-रिक्शा और टैक्सी आसानी से उपलब्ध हैं निकटतम हवाई अड्डा: जॉली ग्रांट एयरपोर्ट, देहरादून (लगभग 40 किमी) मंदिर परिसर में धर्मशाला, भोजन

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Shrimad Bhagwat Gita Study – Chapter 3  As I Understand

Shrimad Bhagwat Gita Study – Chapter 3  As I Understand

By: Rajendra Kapil In Chapter 2, Lord Krishna clearly explained the concept of Karma Yoga, yet many questions still lingered in Arjuna’s mind. Having spent time with many wise men, Arjuna had observed that such men were often held in higher regard than common

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IndoUS Tribune की हरिद्वार मंदिर यात्रा का 15वाँ पड़ाव ऋषिकेश — योग, तप और दिव्यता की नगरी

IndoUS Tribune की हरिद्वार मंदिर यात्रा का 15वाँ पड़ाव ऋषिकेश — योग, तप और दिव्यता की नगरी

हरिद्वार-ऋषिकेश मार्ग पर स्थित एक अलौकिक स्थल, जहाँ गंगा की लहरों में पौराणिकता की गूंज है और वनों की शांति में तपस्याओं की आभा। IndoUS Tribune की हरिद्वार मंदिर यात्रा के 15वें पड़ाव पर हम पहुँचे हैं ऋषिकेश — जिसे योग नगरी और

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गीता स्वाध्याय- मेरी समझ से, तीसरा अध्याय

गीता स्वाध्याय- मेरी समझ से, तीसरा अध्याय

By: Rajendra Kapil दूसरे अध्याय में भगवान कृष्ण ने कर्मयोग की परिभाषा बड़ी स्पष्ट कर दी थी, लेकिन फिर भी अर्जुन के मन में अभी बहुत से प्रश्न बाक़ी थे. अर्जुन ने बहुत बार ज्ञानी जनों के सम्पर्क में यह महसूस किया था

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Bhagwad Geeta study – As I understand – Chapter 2

Bhagwad Geeta study – As I understand – Chapter 2

By: Rajendra KapilThe first chapter of the Bhagavad Gita ends with Arjuna’s despair. Two questions emerge clearly from Arjuna’s arguments, which are steeped in hopelessness. First, “Standing before me are revered gurus like Dronacharya—will I not incur sin by killing them? Is it

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IndoUS Tribune की हरिद्वार मंदिर यात्रा का 14वाँ पड़ाव: कामराज की काली मंदिर – दिव्यता, ऊर्जा औरआराधना का मिलन

IndoUS Tribune की हरिद्वार मंदिर यात्रा का 14वाँ पड़ाव: कामराज की काली मंदिर – दिव्यता, ऊर्जा औरआराधना का मिलन

हरिद्वार — गंगा की पावन धरती पर स्थित कामराज की काली मंदिर IndoUS Tribune की हरिद्वार मंदिरयात्रा का 14वाँ विश्राम है। यह मंदिर न केवल काली माँ की शक्तिशाली उपस्थिति के लिए जाना जाता है, बल्कियहाँ की दिव्य ऊर्जा, ध्यानमग्न वातावरण और आध्यात्मिक

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16-foot Hanuman statue installed in Guyana’s Sparta

16-foot Hanuman statue installed in Guyana’s Sparta

A majestic 16-foot statue of Lord Hanuman has been installed at the Seeta Ram Radhey Shyam Mandir in Sparta, on the Essequibo Coast of Guyana. Imported from India, the statue represents a deep symbol of faith, friendship, and spiritual strength for the local

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IndoUS Tribune की हरिद्वार मंदिर यात्रा का 13वाँ पड़ाव: बिल्केश्वर महादेव मंदिर – तपस्या, श्रद्धा और शिवत्व का पवित्र संगम

IndoUS Tribune की हरिद्वार मंदिर यात्रा का 13वाँ पड़ाव: बिल्केश्वर महादेव मंदिर – तपस्या, श्रद्धा और शिवत्व का पवित्र संगम

हरिद्वार — जहाँ गंगा माँ की निर्मल धारा आत्मा को शुद्ध करती है और जहाँ हर मंदिर और घाट श्रद्धा की गहराई को छूता है। IndoUS Tribune की हरिद्वार मंदिर यात्रा के तेरहवें पड़ाव पर हम पहुँचे हैं बिल्केश्वर महादेव मंदिर, जो कि

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गीता स्वाध्याय- मेरी समझ से, दूसरा अध्याय

गीता स्वाध्याय- मेरी समझ से, दूसरा अध्याय

By: Rajendra Kapilभगवद् गीता का पहला अध्याय अर्जुन के विषाद पर समाप्त होता है. निराशा में डूबे अर्जुन केतर्कों में से दो प्रश्न खुल कर सामने आते हैं. पहला मेरे सामने गुरु द्रोण जैसे पूज्यगुरु खड़े हैं, क्याउन्हें मारने से मुझे पाप नहीं

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Pope Leo XIV elected: First American Pope begins new era

Pope Leo XIV elected: First American Pope begins new era

In a historic and emotionally charged moment, white smoke billowed from the Sistine Chapel, signifying the election of a new Pope. Cardinal Robert Francis Prevost, a 69-year-old American prelate from Chicago, was chosen as the 267th pontiff of the Roman Catholic Church, taking

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IndoUS Tribune की हरिद्वार मंदिर यात्रा का 12वाँ पड़ाव: गौ घाट – आत्मशुद्धि, श्रद्धा और अमरत्व की खोज का स्थल

IndoUS Tribune की हरिद्वार मंदिर यात्रा का 12वाँ पड़ाव: गौ घाट – आत्मशुद्धि, श्रद्धा और अमरत्व की खोज का स्थल

हरिद्वार – गंगा माँ की दिव्यता से ओतप्रोत यह नगरी भारत की धार्मिक और आध्यात्मिक चेतना का केन्द्र रही है।हरिद्वार में स्थित प्रत्येक घाट एक गहरी पौराणिक कथा, आस्था की परंपरा और आत्मिक अनुभूति का प्रतीक है।IndoUS Tribune की मंदिर यात्रा श्रृंखला के

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Shreemad Bhagwat Geeta – As I Understand: Chapter One

Shreemad Bhagwat Geeta – As I Understand: Chapter One

By: Rajendra KapilBeginning today, Indo-US Tribune launches a new series titled “Shreemad Bhagwat Geeta : AsI Understand” ( English Version), a humble attempt to understand and explain the BhagavadGita. In this series, our esteemed columnist Rajendra Kapil ji, who has previously writtenextensively on

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Vietnam president hails growing spiritual and cultural ties with India

Vietnam president hails growing spiritual and cultural ties with India

Vietnam President Luong Cuong on Tuesday lauded India’s gesture of sending Holy Buddha Relics to Vietnam, calling it a testament to the growing spiritual and cultural ties between the two nations. President Cuong, alongside India’s Union Minister for Parliamentary and Minority Affairs Kiren

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IndoUS Tribune की हरिद्वार मंदिर यात्रा का 11वाँ पड़ाव: बिड़ला घाट – गंगा तट पर शांति, श्रद्धा और साधना का संगम

IndoUS Tribune की हरिद्वार मंदिर यात्रा का 11वाँ पड़ाव: बिड़ला घाट – गंगा तट पर शांति, श्रद्धा और साधना का संगम

हरिद्वार — जहाँ गंगा धरती पर अवतरित होती हैं, और जहाँ हर घाट एक कथा, एक आस्था और एक आत्मिक अनुभव को समेटे हुए है। IndoUS Tribune की हरिद्वार मंदिर यात्रा के ग्यारहवें पड़ाव पर हम पहुँचे हैं बिड़ला घाट, जो कि न केवल हरिद्वार के प्राचीन घाटों में से एक है, बल्कि आत्मिक शांति और भक्ति का एक जीवंत प्रतीक भी है। विष्णु घाट के समीप स्थित यह घाट हरिद्वार के उन गिने-चुने स्थानों में शामिल है जहाँ शांति, स्वच्छता और सुरक्षात्मक व्यवस्था के साथ गंगास्नान का सौम्य अनुभव प्राप्त होता है। यह घाट भारत की प्रसिद्ध औद्योगिक और धार्मिक परिवार बिड़ला परिवार द्वारा निर्मित किया गया था, जिनका राष्ट्र और संस्कृति के प्रति योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण रहा है। पौराणिकता और इतिहास: बिड़ला घाट से जुड़ी कोई विशेष पौराणिक कथा तो नहीं मिलती, लेकिन इसका महत्व हरिद्वार की उस सनातन परंपरा में है, जहाँ गंगा के प्रत्येक तट को पूज्य और दिव्य माना गया है। यह घाट श्रद्धालुओं को पवित्र गंगा में स्नान कर आत्मिक शुद्धि और मोक्ष की अनुभूति प्रदान करता है। माना जाता है कि इस घाट पर की गई प्रार्थनाएँ शीघ्र फलदायी होती हैं और यहाँ की शांति और सादगी आत्मा को गहराई से छू जाती है। शांति और भक्ति का केन्द्र: बिड़ला घाट पर जैसे ही आप पहुँचते हैं, एक अद्भुत शांति आपको घेर लेती है। गंगा का मधुर कलकल, गहराती संध्या की छाया, और श्रद्धालुओं की मौन साधना — ये सब मिलकर इस स्थान को एक आध्यात्मिक आश्रय बना देते हैं। यहाँ की सीढ़ियाँ सीधे गंगा में उतरती हैं, और उनके पास सुरक्षा रेलिंग भी उपलब्ध है ताकि स्नान करते समय श्रद्धालुओं को कोई असुविधा न हो। गंगा आरती का दिव्य अनुभव: शाम को बिड़ला घाट पर होने वाली गंगा आरती यहाँ के वातावरण को एक नई ऊर्जा से भर देती है। जब पुजारी पारंपरिक वस्त्रों में मंत्रोच्चारण करते हुए दीप प्रज्वलित करते हैं, और जब सैकड़ों दीपक गंगा में प्रवाहित होते हैं — तो यह दृश्य केवल आँखों से नहीं, आत्मा से अनुभव होता है। यह आरती हरिद्वार की अन्य प्रसिद्ध आरतियों की तुलना में अधिक शांत और व्यक्तिगत अनुभव प्रदान करती है। त्योहारों की रौनक: श्रावण मास, कार्तिक पूर्णिमा, और गंगा दशहरा जैसे पर्वों पर बिड़ला घाट भक्ति, सजावट और दीपों की रोशनी से जगमगा उठता है। कुंभ और अर्धकुंभ मेले के समय यह घाट भी श्रद्धालुओं के प्रमुख स्नान स्थलों में से एक बन जाता है। यहाँ आकर श्रद्धालु केवल पूजा ही नहीं करते, बल्कि भारत की जीवंत धार्मिक परंपरा का हिस्सा भी बनते हैं। आसपास के दर्शनीय स्थल: बिड़ला घाट से कुछ ही दूरी पर माँ मनसा देवी और चंडी देवी मंदिर स्थित हैं, जहाँ से हरिद्वार का विहंगम दृश्य देखा जा सकता है। साथ ही, सप्तऋषि आश्रम भी पास ही है, जहाँ सप्तऋषियों ने ध्यान और तपस्या की थी। बिड़ला घाट केवल एक स्नान स्थल नहीं, बल्कि एक अनुभव है जहाँ गंगा की धारा आत्मा को छूती है, जहाँ शांति हृदय में उतरती है, और जहाँ श्रद्धा, साधना और संस्कृति एक साथ प्रवाहित होते हैं। IndoUS Tribune की हरिद्वार यात्रा में यह पड़ाव हमें यह सिखाता है कि भक्ति केवल शोर में नहीं, बल्कि मौन में भी होती है।

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गीता स्वाध्याय- मेरी समझ से, पहला अध्याय

गीता स्वाध्याय- मेरी समझ से, पहला अध्याय

By: Rajendra Kapilसंपादक की तरफ़ से:   आज से इंडोयूएस ट्रिब्यून एक नयी श्रृंखला आरंभ करने जा रहा है, गीता स्वाध्याय, जोकि भगवद् गीता को समझने और समझाने का एक विनम्र प्रयास होगा. इस श्रृंखला में, हमारे स्तम्भ के लेखक, राजेन्द्र कपिल जी,

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IndoUS Tribune की हरिद्वार मंदिर यात्रा का दसवां पड़ाव: विष्णु घाट – जहाँ श्रीहरि ने गंगा में लिया था पावन स्नान

IndoUS Tribune की हरिद्वार मंदिर यात्रा का दसवां पड़ाव: विष्णु घाट – जहाँ श्रीहरि ने गंगा में लिया था पावन स्नान

IndoUS Tribune की हरिद्वार मंदिर यात्रा का दसवां पड़ाव: विष्णु घाट – जहाँ श्रीहरि ने गंगा में लिया था पावन स्नान IndoUS Tribune की हरिद्वार मंदिर यात्रा का दसवां पड़ाव: विष्णु घाट – जहाँ श्रीहरि ने गंगा में लिया था पावन स्नान हरिद्वार, जिसे ‘धर्म की द्वार’ कहा जाता है, केवल एक तीर्थ नगरी नहीं, बल्कि भारत की आध्यात्मिक चेतना का जीवंत प्रतीक है। IndoUS Tribune की हरिद्वार के मंदिरों और पवित्र स्थलों की यात्रा के दसवें पड़ाव पर आज हम आपको लेकर चलते हैं विष्णु घाट – एक शांत, पवित्र और दिव्य स्थल, जहाँ स्वयं भगवान विष्णु ने गंगा में

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Pope Francis leaves the world and faithful in times of conflict

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Cardinal Kevin Farrell, Camerlengo of the Apostolic Chamber, announced the passing of Pope Francis from Casa Santa Marta early Monday morning. “Dearest brothers and sisters, with deep sorrow I must announce the death of our Holy Father Francis. At 7:35 this morning, the

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